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Pani Se Bijli Kaise Banti Hai: पानी से कैसे बनाई जाती है बिजली ?
Pani Se Bijli Kaise Banti Hai: जलविद्युत उत्पादन की प्रक्रिया का मूल सिद्धांत पानी के प्रवाह की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा और फिर विद्युत ऊर्जा में बदलना है।
Pani Se Bijli Kaise Banti Hai: पानी झीलों, नदियों और महासागरों से होकर बहता है, फिर बादलों में वाष्पित हो जाता है - बादल वर्षा बनाते हैं और पानी को वापस झीलों, नदियों और महासागरों में पहुंचा देते हैं, जहां से वह शुरू हुआ था - जिससे उस शक्ति को बार-बार पुनः प्राप्त किया जा सकता है।पानी से बिजली बनाने की प्रक्रिया को जलविद्युत उत्पादन (Hydropower Generation) कहा जाता है। यह प्रक्रिया प्राचीन काल से चली आ रही है, लेकिन आधुनिक समय में यह बिजली उत्पादन के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक बन गई है। जलविद्युत, नवीकरणीय ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है, जो पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालते हुए ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करता है।पानी से बिजली बनाना आधुनिक ऊर्जा उत्पादन का एक महत्वपूर्ण और पर्यावरण-संवेदनशील तरीका है। इस प्रक्रिया में पानी की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। यह विधि न केवल ऊर्जा का एक स्वच्छ और सतत स्रोत प्रदान करती है, बल्कि यह पर्यावरण पर न्यूनतम नकारात्मक प्रभाव डालने का दावा करती है।
जलविद्युत उत्पादन की प्रक्रिया का मूल सिद्धांत पानी के प्रवाह की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा और फिर विद्युत ऊर्जा में बदलना है। यह प्रक्रिया मुख्यतः निम्नलिखित चरणों में होती है:
जल संग्रहण (Water Collection):
बिजली उत्पादन के लिए सबसे पहले पानी को एक जलाशय या बांध में इकट्ठा किया जाता है।
ऊंचाई से गिरने वाले पानी की ऊर्जा को संग्रहित किया जाता है, जो आगे विद्युत उत्पादन में उपयोग की जाती है।
जल प्रवाह का नियंत्रित उपयोग (Controlled Water Flow):
पानी को एक नियंत्रित प्रवाह के माध्यम से टर्बाइनों की ओर निर्देशित किया जाता है। टर्बाइन पानी की गतिज ऊर्जा को घुमाने वाली यांत्रिक ऊर्जा में बदल देती हैं।
टर्बाइन और जनरेटर का संचालन (Turbine and Generator Operation):
जब टर्बाइन घूमती है, तो यह एक जनरेटर को भी घुमाती है।
जनरेटर में विद्युत चुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) के सिद्धांत के तहत विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है।
विद्युत वितरण (Electricity Distribution) :
उत्पन्न विद्युत को ट्रांसफार्मर के माध्यम से बढ़ाकर लंबी दूरी तक पहुंचाया जाता है और फिर उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाया जाता है।
महत्त्व
जलविद्युत को पानी से ईंधन मिलता है, इसलिए यह एक स्वच्छ ईंधन स्रोत है, जिसका अर्थ है कि यह जीवाश्म ईंधन, जैसे कोयला या प्राकृतिक गैस, को जलाने वाले बिजली संयंत्रों की तरह हवा को प्रदूषित नहीं करेगा।जलविद्युत ऊर्जा एक घरेलू स्रोत है, जो प्रत्येक राज्य को अंतर्राष्ट्रीय ईंधन स्रोतों पर निर्भर हुए बिना अपनी खुद की ऊर्जा का उत्पादन करने की अनुमति देता है।
जलविद्युत के माध्यम से उत्पन्न ऊर्जा जल चक्र पर निर्भर करती है, जो सूर्य द्वारा संचालित होती है, जिससे यह एक अक्षय ऊर्जा स्रोत बन जाता है, जिससे यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक विश्वसनीय और किफायती स्रोत बन जाता है जो तेजी से समाप्त हो रहे हैं। अधिकांश जलविद्युत प्रतिष्ठानों को जलाशय तक कुछ सार्वजनिक पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता होती है ताकि जनता इन अवसरों का लाभ उठा सके।
पानी से बिजली बनाने की प्रमुख विधियां
डैम आधारित जलविद्युत (Dam-Based Hydropower):
यह सबसे आम विधि है, जिसमें बांध का निर्माण कर पानी को ऊंचाई पर रोका जाता है।
जब पानी छोड़ा जाता है, तो वह टर्बाइन को घुमाता है और बिजली उत्पन्न होती है।
रन-ऑफ-रिवर सिस्टम (Run-of-the-River Systems):
इस विधि में बिना बड़े जलाशय के, सीधे नदी के प्रवाह का उपयोग किया जाता है।
यह विधि पर्यावरणीय दृष्टि से कम प्रभावकारी है, लेकिन बड़े बांधों की तुलना में कम ऊर्जा उत्पादन करती है।
पंप स्टोरेज प्लांट्स (Pumped Storage Plants)
इसमें अतिरिक्त ऊर्जा के समय पानी को एक ऊंचे जलाशय में पंप किया जाता है।
जब बिजली की मांग अधिक होती है, तो यह पानी नीचे छोड़ा जाता है और बिजली उत्पन्न होती है।
लघु जलविद्युत परियोजनाएं (Small Hydro Projects):
छोटी नदियों और धाराओं पर आधारित यह परियोजनाएं ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लिए आदर्श हैं।
समुद्री जलविद्युत (Marine Hydro Power):
समुद्र की लहरों, ज्वार-भाटे और करंट से बिजली बनाने की आधुनिक तकनीकों का भी विकास हो रहा है।
दुनिया भर में जलविद्युत उत्पादन की स्थिति
1. भारत:भारत में जलविद्युत का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। हिमालयी नदियों और दक्षिण भारतीय जलाशयों से बड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न की जाती है। भाखड़ा नांगल और टिहरी डैम इसके प्रमुख उदाहरण हैं। सरकार नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए छोटे जलविद्युत प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन दे रही है।
2. चीन:चीन जलविद्युत उत्पादन में दुनिया का अग्रणी देश है। दुनिया के सबसे बड़े बांध, थ्री गॉर्ज डैम, का निर्माण यांग्त्ज़ी नदी पर किया गया है, जो 22,500 मेगावाट बिजली पैदा करता है।
3. अमेरिका:अमेरिका में कोलोराडो नदी पर हूवर डैम और ग्रांड कूली डैम जैसे बड़े प्रोजेक्ट जलविद्युत उत्पादन के प्रमुख स्रोत हैं। यहां की सरकार आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर दक्षता बढ़ा रही है।अमेरिका की लगभग 7 फ़ीसदी बिजली पानी से उत्पन्न होती है।
4. ब्राजील:ब्राजील की अधिकांश बिजली जलविद्युत से उत्पन्न होती है। अमेजन नदी और अन्य नदियों पर बड़े बांध बनाए गए हैं।
5. यूरोप:स्विट्ज़रलैंड और नॉर्वे जैसे देश अपनी नदियों और झरनों का कुशल उपयोग करते हैं। ये देश अपनी जरूरत से अधिक बिजली का उत्पादन कर पड़ोसी देशों को निर्यात करते हैं।
6. अफ्रीका:अफ्रीकी देशों में जलविद्युत का काफी संभावनाएं हैं। हालांकि, पर्याप्त निवेश और तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण यह क्षेत्र अब भी विकासशील है।
जलविद्युत उत्पादन की चुनौतियां
बांध बनाने से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे जलजीवों और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।बड़े बांधों के निर्माण के लिए लोगों को उनके घरों से विस्थापित किया जाता है, जससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ग्लोबल वार्मिंग और अनियमित वर्षा से जलाशयों में पानी की उपलब्धता प्रभावित होती है।जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना में भारी निवेश की आवश्यकता होती है।
पानी से बिजली बनाने के फायदे
जलविद्युत ऊर्जा प्रदूषण मुक्त है। इसे बार-बार पुन: उपयोग किया जा सकता है।यह ऊर्जा उत्पादन के लिए स्थिर और भरोसेमंद स्रोत है। एक बार स्थापित होने के बाद, जलविद्युत संयंत्रों का रखरखाव कम खर्चीला होता है।
समुद्र से बिजली बनाना
समुद्र में मौजूद अपार ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करने की कई विधियां विकसित की गई हैं।
ये विधियां समुद्री जल के प्रवाह, लहरों, ज्वार-भाटा और तापीय ऊर्जा का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करती हैं। इसे समुद्री ऊर्जा उत्पादन या मरीन एनर्जी भी कहा जाता है।
समुद्र से बिजली उत्पादन की प्रमुख विधियां
1. ज्वार-भाटा ऊर्जा (Tidal Energy)
ज्वार-भाटा ऊर्जा समुद्र के जलस्तर में होने वाले उतार-चढ़ाव से उत्पन्न होती है। जब समुद्र में ज्वार आता है, तो पानी की विशाल मात्रा को बांधों या बैराज में रोका जाता है। इस पानी को टर्बाइन से गुजरने दिया जाता है, जिससे टर्बाइन घूमती है और बिजली उत्पन्न होती है। यह विधि उन स्थानों पर सबसे प्रभावी है जहां ज्वार-भाटा का अंतर अधिक होता है, जैसे कि भारत के सुंदरबन क्षेत्र या स्कॉटलैंड और कनाडा में।
2. लहर ऊर्जा (Wave Energy)
लहर ऊर्जा समुद्र की सतह पर चलने वाली लहरों की गतिज ऊर्जा का उपयोग करती है। यह विधि विशेष उपकरणों का उपयोग करती है, जिन्हें समुद्र में तैनात किया जाता है। जैसे-जैसे लहरें ऊपर-नीचे होती हैं, यह उपकरण उस गति को यांत्रिक ऊर्जा में बदलते हैं, जो आगे जाकर विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
3. महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy)
महासागर की सतह और गहरे पानी के बीच तापमान के अंतर का उपयोग कर महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy Conversion - OTEC) उत्पन्न की जाती है। गर्म सतही पानी को वाष्पित किया जाता है, और यह वाष्प टर्बाइन को चलाकर बिजली उत्पन्न करता है। बाद में ठंडे गहरे पानी का उपयोग वाष्प को फिर से पानी में बदलने के लिए किया जाता है। यह विधि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे प्रभावी होती है।
5 सागर की लवणीयता ऊर्जा (Salinity Gradient Energy)
यह ऊर्जा समुद्र के पानी और मीठे पानी के बीच लवणीयता के अंतर से उत्पन्न होती है। जब मीठा पानी और खारा पानी एक-दूसरे से मिलते हैं, तो उनके लवणीयता के अंतर के कारण एक रासायनिक प्रक्रिया होती है, जिसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
समुद्र से बिजली उत्पादन की चुनौतियां
समुद्री ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना और रखरखाव महंगा होता है।समुद्री जीव-जंतु और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकते हैं।समुद्री ऊर्जा उत्पादन के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी और उपकरणों की आवश्यकता होती है।यह विधि केवल उन क्षेत्रों में प्रभावी है जहां लहरें, ज्वार-भाटा, या तापमान अंतर पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
भारत में समुद्र से बिजली उत्पादन की संभावनाएं
भारत के पास 7,500 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा है, जो समुद्री ऊर्जा के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करती है। गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ज्वार-भाटा ऊर्जा के लिए अनुकूल क्षेत्र हैं। इसके अलावा, अंडमान और लक्षद्वीप जैसे द्वीपीय क्षेत्रों में भी लहर ऊर्जा उत्पादन की संभावना है।
पानी से बिजली बनाने की तकनीक ऊर्जा उत्पादन का एक स्थायी और प्रभावी साधन है। हालांकि, इसके प्रभावों को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से इसका विस्तार करना आवश्यक है। जलविद्युत न केवल ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि यह एक हरित भविष्य की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। दुनिया भर में जलविद्युत के सफल मॉडल यह दर्शाते हैं कि सही दृष्टिकोण और तकनीक के साथ इसे और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।