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पानीपत में मच्छरों से जंग लड़ रही युवाओं की टीम, जानिए कैसे

पानीपत की लड़ाई ऐतिहासिक है जिसे अभी याद किया जाता है। अब पानीपत में मच्छरों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है। यह लड़ाई कोई सरकारी महकमा नहीं लड़ रहा है बल्कि युवाओं की एक टीम लड़ रही है जो पूरे शहर में मच्छरों को मारती है।

Dharmendra kumar
Published on: 21 Dec 2018 3:29 PM IST
पानीपत में मच्छरों से जंग लड़ रही युवाओं की टीम, जानिए कैसे
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पानीपत: पानीपत की लड़ाई ऐतिहासिक है जिसे हमेशा याद किया जाता रहेगा। लेकिन अब पानीपत में मच्छरों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है। यह लड़ाई कोई सरकारी महकमा नहीं लड़ रहा है बल्कि युवाओं की एक टीम लड़ रही है जो पूरे शहर में मच्छरों को मारती है।

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सरकार से नहीं लेते हैं कोई सहयोग

इस टीम का नाम सहयोग परिवार है जिसमें कोई दुकानदार, कोई व्यापारी है, तो कई पेशेवर युवा। इन युवाओं ने पिछले साल से ही इस लड़ाई की शुरुआत की है। ये युवा शहर के साथ ही गावों में भी जाकर फॉगिंग कर रहे हैं। इस काम के लिए वे किसी सरकारी और निजी संस्था से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लेते है। वह सभी चीजों का इंतजाम अपने बल पर करते हैं।

दो युवकों की मौत के बाद के मच्छरों के खिलाफ छेड़ा जंग

मच्छरों से होने वाली बीमारियों से दो युवकों की मौत के बाद सहयोग परिवार ने यह बड़ा कदम उठाया। इसके बाद इन्होंने अपने पैसे से एक फॉगिंग मशीन खरीदी। कॉलोनियों में फॉगिंग करने लगे।

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इस मुहिम के साथ अन्य युवा भी जुड़ गए और युवाओं ने मिलकर सहयोग परिवार बना लिया। पिछले वर्ष ही दो फॉगिंग मशीनें और खरीदीं है। अब इनके पास तीन मशीने हैं जिससे ये फॉगिंग कर रहे हैं। मच्छरों का मौसम आते ये शहर की कालोनियों के साथ आस-पास सटे 15 गांवों में नियमित फॉगिंग करते हैं।

सरकार मदद करे तो रोज 10-10 घंटे कर सकते हैं फॉगिंग

सहयोग परिवार के सदस्य कहते हैं कि नगर निगम से उन्हें दवा मिल जाती है और बाकी इंतजाम वे खुद करते हैं। फॉगिंग में हर रोज तीन से पांच हजार रुपये तक खर्च आता है। ये लोग पैसा आपस में ही इकट्ठा करते हैं। उन्होंने कहा कि उनको सरकार की तरफ से रोज लगने वाले पेट्रोल और डीजल दिया जाए, तो हर रोज 10-10 घंटे फॉगिंग कर सकते हैं।

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नालियों में भी करते हैं स्प्रे

वे चिन्हित जगहों पर सप्ताह में तीन बार जाकर फॉगिंग करते हैं, क्योंकि एक बार फॉगिंग करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। इसको खत्म करने के लिए सप्ताह में तीन बार फॉगिंग जरूरी है। लिहाजा, अलग-अलग जगहों पर फॉगिंग का सिलसिला एक क्रम में चलता रहता है। युवाओं ने नालियों में स्प्रे करने के लिए दो मशीनें भी खरीदी हैं। नालियों में लार्वारोधी रसायन का छिड़काव करते हैं।



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Dharmendra kumar

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