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हर घर को बिजली देने की योजना: बिजली की मंजिल है अभी दूर

tiwarishalini
Published on: 29 Sept 2017 2:15 PM IST
हर घर को बिजली देने की योजना: बिजली की मंजिल है अभी दूर
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लखनऊ: ‘सौभाग्य योजना’ यानी प्रधानमंत्री सहज हर घर बिजली योजना लांच की गयी है। इरादा है कि 31 मार्च 2019 तक हर घर में बिजली कनेक्शन हो। 4 करोड़ गरीब परिवारों को बिजली देने सरकार उनके दरवाजे तक जायेगी। सौभाग्य योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जाएगा और इस काम में 16,320 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें से ज्यादा पैसा केंद्र सरकार देगी। यह वाकई में बहुत बड़ा काम है क्योंकि बिजली आज भी लोगों के लिए लक्ज़री की तरह है। यही वजह है कि दुनिया में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत भारत में बहुत मामूली है।

उर्जा खपत विकास का सूचकांक होता है और यहीं भारत पिछड़ा हुआ है। वर्तमान में उर्जा उत्पादन के मामले विश्व में भारत तीसरे तथा खपत में चौथे स्थान पर है। भारत की औसत प्रति व्‍यक्ति ऊर्जा उपभोग 914 यूनिट/सालाना है, जबकि चीन का 4,000 और अमेरिका का 14,000 यूनिट है। देश में आजादी के 67 सालों के बाद भी भारत में लगभग 30 करोड़ लोग बिजली के बगैर रह रहे हैं। इसका परिवारों की उत्‍पादकता, खासकर महिलाओं और बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा पर बेहद नकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है।

क्या है ‘सौभाग्य योजना’

  • सौभाग्य योजना बिहार, उत्तर प्रदेश, एमपी, ओडिशा, झारखंड, जम्मू कश्मीर, राजस्थान और पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्रित होगी।
  • सुदूर और दुर्गम इलाकों के वो घर जिनमें बिजली नहीं है उनके लिए बैट्री बैंक सहित 200-300 डब्लूपी का सोलर पावर पैक मुहैया कराया जाएगा। इसमें पांच एलईडी लाइटें, एक डीसी पंखा, एक डीसी पॉवर प्लग दिए जाएंगे। बैट्री बैंकों की 5 साल के लिए मरम्मत और निगरानी की सुविधा भी दी जाएगी।
  • किनको यह सुविधा देनी है उनकी पहचान सामाजिक आर्थिक और जातीय जनगणना के आधार पर की जाएगी।
  • जनगणना में शामिल उन लोगों को जिनके पास बिजली कनेक्शन नहीं है उन्हें मुफ्त कनेक्शन मिलेगा। जिनका नाम जनगणना में नहीं है उन्हें 500 रुपए में कनेक्शन मिलेगा।

हाल मध्य प्रदेश का

मध्य प्रदेश में लगभग डेढ़ करोड़ परिवार हैं, जिसमें से लगभग सवा करोड़ घरों तक बिजली पहुंच चुकी है। अब सौभाग्य योजना के तहत प्रदेश के करीब 25 लाख घरों को बिजली मिलेगी। मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी का दावा है कि दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के तहत प्रदेश के सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है, लेकिन करीब 20 से 25 लाख घरों तक बिजली पहुंचाना बाकी है। पश्चिम क्षेत्र में करीब साढ़े पांच लाख घरों तक बिजली नहीं पहुंच सकी है, इस योजना के तहत ये घर कवर किए जाएंगे।

क्या कर रही सरकार

  • राज्यों के आंकड़ों के अनुसार मई 2017 तक दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत 13511 गांव में बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
  • 2016-17 में बीपीएल परिवारों को 22.4 लाख मुफ्त कनेक्शन दिए गए।
  • 15,000 गावों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
  • बिजली उत्पादन और वितरण से जुड़ी 69,0000 करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं को मंजूरी।
  • उदय योजना के एक ही वर्ष 2016 में डिस्कॉम कंपनियों का सालाना नुकसान कम हुआ है। रीन्यूएबल एनर्जी दोगुनी हो गई, सोलर एनर्जी की क्षमता पांच गुना हो गई है।
  • लक्ष्य से 12 फीसदी ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन किया गया है।
  • 18,000 गांवों में से सिर्फ 3000 गांव में बिजली पहुंचना बाकी।
  • 31 मार्च, 2016 तक 2.32 करोड़ बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया गया है।

रिन्यूएबल ऊर्जा की ओर झुकाव

भारत में 3.3 लाख मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है जिसमें से 70,000 मेगावाट का उर्जा उत्पादन रिन्यूएबल ऊर्जा के माध्यम से होता है और सरकार का इरादा वर्ष 2022 तक इसे बढाकर 1.75 लाख मेगावाट तक पहुंचाने का है। विद्युत मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 30 नवंबर, 2016 तक भारत की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 309 गीगावॉट थी, और इसमें लगभग 15 फीसदी नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त हुआ है। सितंबर, 2015 से सितंबर 2016 के बीच, पवन उर्जा क्षमता में 15.2 फीसदी या 3.7 गीगावॉट की वृद्धि हुई जबकि सौर ऊर्जा क्षमता में लगभग 4.2 गीगावाट या 96 फीसदी की वृद्धि हुई है।पवन ऊर्जा क्षमता में धीमी वृद्धि के बावजूद, यह वृद्धि भारत को विश्व भर में चीन, अमरीका और जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर रखता है। सरकार ने 2022 तक प्राकृतिक तरीकों से 175 गीगावाट बिजली उत्पादन करने का पेरिस समझौते में हलफनामा दिया है।

750 गीगावॉट की सौर ऊर्जा क्षमता

भारत के पास 750 गीगावॉट की सौर ऊर्जा क्षमता है और साल में 300 दिनों के लिए सौर विकिरण उपलब्ध है। भारत की सौर क्षमता थर्मल पावर क्षमता से 3.5 गुना ज्यादा है। वर्तमान में उर्जा के तमाम स्रोतों में थर्मल पावर की हिस्सेदारी 70 फीसदी की है। वर्ष 2010 के बाद से भारत में सौर ऊर्जा प्रतिष्ठानों में लगातार वृद्धि हो रही है, केवल वर्ष 2012-13 में थोड़ी गिरावट देखी गई है। वर्ष 2022 तक सरकार 100 गीगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करने की उम्मीद कर रही है जो कि 175 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा लक्ष्य का 57 फीसदी है। अगले दो वर्षों में, भारत अपने उर्जा भंडार में 42.6 गीगावॉट जोड़ेगा।

13652 मेगा वाट सौर ऊर्जा

देश में सौर ऊर्जा से कुल बिजली उत्पादन 31 जुलाई 2017 को 13652 मेगा वाट थाI जबकि 2014-15 में यह 3743.97 मेगा वाट था।

सौर ऊर्जा में राज्यों की स्थिति इस प्रकार रही :

  • आंध्र प्रदेश (2048 मेगावाट)
  • राजस्थान (2022 मेगावाट)
  • तमिलनाडु (16 9 7 मेगावाट)
  • तेलंगाना (160 9 मेगावाट)
  • गुजरात (1262 मेगावाट)
  • कर्नाटक (1260 मेगावाट)

गांवों में बिजली पहुंची लेकिन सप्लाई संदिग्ध

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार जून 2016 तक सभी गांवों में 98.1 फीसदी तक विद्युतीकरण हुआ हैI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 15 अगस्त, 2015 को ऐलान किया था कि मई 2018 तक देश के बिना बिजली वाले सभी 18 हजार गांवों तक 1,000 दिनों के भीतर बिजली पहुंचाई जाएगी। लेकिन सच्चाई यह है कि किसी गांव को विद्युतीकृत मानने के लिए सिर्फ 10 फीसदी ग्रामीण घरों का विद्युतीकरण करने की जरूरत हैI लेकिन इन दस घरों तक बिजली आये यह भी संदिग्ध हैI 18,452 गांव जहां सरकार ने बिजली देना तय किया है उनमें से कम से कम 78 फीसदी विद्युतीकृत हुए हैं। हालांकि, 10072 नव विद्युतीकृत गांवों के 92 फीसदी ऐसे घर हैं जहां बिजली नहीं है।

बिजली आये भी तो

दीनदयाल योजना के तहत 100 घर वाली जगह को गांव कहा गया है। इससे कम घर मजरे-टोले में गिने जाएंगे, इनमें से कई मजरे-टोले तक बिजली नहीं पहुंची है। बिजली भले सब गांव में पहुँच जाये लेकिन उन गाँव में सब घरों में तो पहुंचेI क्योंकि विद्युत मंत्रालय किसी भी ऐसे गांव को विद्युतीकृत घोषित कर देता है जहाँ के 10 फीसदी घरों में बिजली कनेक्शन हो गया है। अब जिन घरों में बिजली कनेक्शन दे दिया गया है वहां बिजली आना भी एक मुद्दा है। मिसाल के तौर पर उत्तर प्रदेश के तीन-चौथाई विद्युतीकृत घरों में दिन में 12 घंटे से भी कम बिजली आती है। जहाँ बिजली आती है वहां बिजली की क्वालिटी भी बड़ा सवाल है। क्वालिटी यानी सामान वोल्टेज पर बिजली सप्लाई। स्थिति यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लो वोल्टेज बड़ी समस्या है और इसी तरह अचानक हाई वोल्टेज आना भी समस्या बना हुआ है। बिजली सब घरों तक पहुंचे, सब घरों में पर्याप्त समय बिजली आये और क्वालिटी वाली बिजली आये, यह एक बड़ा रास्ता तय करने के सामान है।

निजी क्षेत्र ने शुरू किया था बिजली का काम

भारत का सबसे पहला बिजली उत्पादन कंपनी निजी क्षेत्र का थाI उस कंपनी का नाम कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन (सीईएससी) था जो 1899 में शुरु हुआ थाI डीजल से पहली बार बिजली का उत्पादन दिल्ली में 1905 में शुरू हुआ थाI इसी तरह मैसूर में 1902 में जल विद्युत उत्पादन केन्द्र बना थाI आजादी के समय देश में 60 फीसदी बिजली उत्पादन का काम निजी कंपनियों के हाथ में था जबकि आज लगभग 80 फीसदी बिजली का उत्पादन सरकारी क्षेत्र के हाथों में है और सिर्फ 12 फीसदी बिजली निजी कंपनियों के हाथ में है।

एक रिकॉर्ड बनाने की तैयारी

बिजली उत्पादन के क्षेत्र में भारत एक रिकार्ड बनाने जा रहा है। दरअसल चेन्नई के कालापक्कम तट पर भारतीय परमाणु वैज्ञानिक विशालकाय आधुनिक तकनीक का स्टोव तैयार कर रहे हैं, यह स्टोव अपने आखिरी पड़ाव पर है। वैज्ञानिक पिछले 15 साल से इस रिएक्टर के निर्माण कार्य में जुटे थे। इस विशालकाय न्यूक्लियर रिएक्टर को अक्षय पात्र की तरह माना जाता है जहां कभी भी भोजन खत्म नहीं होता। यहां बिना रुके लगातार बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा और इतनी बिजली का उत्पादन होगा जो कभी भी खत्म होने का नाम नहीं लेगी।

इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेंसी का कहना है कि पारंपरिक रिएक्टर की तुलना में फास्ट रिएक्टर 70 फीसदी तेज बिजली का उत्पादन कर सकते हैं और यह पारंपरिक रिएक्टर से काफी सुरक्षित हैं, इसके जरिए रेडिएशन भी काफी कम होता है और यह बहुत ही कम रेडियोएक्टिव पदार्थ का उत्सर्जन करता है। ऐसे में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर एक विशेष प्रकार के परमाणु रिएक्टर होते हैं जोकि काफी ज्यादा परमाणु उर्जा पैदा करते हैं। भारत पिछले 27 साल से फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर पर प्रयोग कर रहा है। कालापक्कम में छोटा न्यूक्लियर रिएक्टर है जिसे प्रोटोटाइप ब्रीडर रिएक्टर नाम दिया गया है, यह फास्ट ब्रीडर के जरिए बिजली का काफी तेजी से उत्पादन करेगा जिसे व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकेगा। दुनिया का एकमात्र कॉमर्शियल फास्ट ब्रीडिंग रिएक्टर रूस के यूराल में स्थित है।

एटॉमिक एनर्जी पर काम जारी

भारत ने अपने बलबूते स्वदेशी परमाणु रिएक्टरों के सहारे 7000 मेगावाट बिजली बनाने का फैसला किया है। 700-700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा के 10 रिएक्टर लगाने का फैसला लिया है। भारत में अभी कनाडा और रूस की मदद से परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित किए गए हैं। इतना तय है कि भारत निर्मित इन संयंत्रों में भारत को सख्त अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करना पड़ेगा। वर्तमान में भारत परमाणु ऊर्जा से 6780 मेगावाट बिजली उत्पादन करता है। परमाणु इकाइयों को समयबद्ध कार्यक्रम के तहत संभवतः वर्ष 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। यह वर्तमान की परमाणु बिजली क्षमता को तीन गुणा बढ़ा देगी वर्ष 2021-22 तक इस पूरा करने का लक्ष्य है।

फैक्ट फाइल

  • भारत में 1,70,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता हैI जब 1947 में देश आजाद हुआ था, उस समय सिर्फ 1362 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था।
  • बिजली उत्पादन का अधिकांश हिस्सा (60 फीसदी से अधिक) कोयला और लिग्नाइट से पैदा होता है, जबकि जल विद्युत परियोजनाओं से लगभग 22 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है।
  • भारत में प्रति व्यक्ति सबसे कम बिजली की खपत होती है। पूरी दुनिया में औसतन बिजली की खपत 2429 यूनिट है जबकि भारत में यह 734 यूनिट है।
  • कनाडा में बिजली की खपत सबसे अधिक 18, 347 यूनिट है जबकि अमरीका में यह 13,647 यूनिट और चीन में 2456 यूनिट है।
  • भारत में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत इतना कम है जबकि हर साल उसकी मांग में सात फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है।
  • बिजली की खपत घरेलू और कृषि उत्पाद में ज्यादा होती हैI वर्ष 1970-71 में उद्योग जगत 6 फीसदी बिजली खपत करता था जो वर्ष 2008-09 में घटकर 38 फीसदी हो गया।



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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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