×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

पैराडाइज़ पेपर में सभी पार्टियां, भारत के 714 चेहरे हुए बेनकाब

seema
Published on: 10 Nov 2017 6:16 PM IST
पैराडाइज़ पेपर में सभी पार्टियां, भारत के 714 चेहरे हुए बेनकाब
X

पनामा पेपर की तर्ज पर लीक हुए पैराडाइज पेपर में केंद्रीय मंत्री, बीजेपी और अन्य दलों के सांसदों, बॉलीवुड हस्तियों, बड़े कारोबारियों समेत कुल 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, बिहार से बीजेपी के सांसद आर.के. सिन्हा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और काïंग्रेस सांसद वीरप्पा मोईली, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे काॢत चिदंबरम, 'महानायक' अमिताभ बच्चन, संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त के भी नाम इस दस्तावेज में हैं। इस डेटा में कुल 180 देशों के नाम हैं जिनमें से भारत का स्थान 19वां है।

अमेरिका स्थित इंटरनेशनल केसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) द्वारा जारी किए गए पैराडाइज दस्तावेज के खुलासे से दुनिया भर में बवंडर उठ खड़ा हुआ है। इसी संगठन ने पिछले साल पनामा दस्तावेजों का खुलासा किया था जिसने दुनियाभर की राजनीति में तूफान पैदा किया था। यह जानकारी जर्मन अखबार 'ज्यूड डॉयचे त्साइटुंग' के पास है, जिसकी जांच इंटरनेशनल कंसोॢटयम ऑ$फ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने 96 समाचार एजेंसियों के साथ की है। इस जांच प्रक्रिया में बीबीसी के अलावा भारत से इंडियन एक्सप्रेस शामिल है। इस लीक को पैराडाइज पेपर्स कहा जा रहा है जिसमें 1.34 करोड़ दस्तावेज लीक हुए हैं।

कौन-कौन है भारत से

केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा : 2014 से पहले भारत में 'ओमिदयार नेटवर्क' के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। इस कंपनी ने अमेरिकी कंपनी 'डी.लाइट डिजायन' में निवेश किया जिसकी एक सहायक कंपनी केमेन द्वीप में रजिस्टर्ड है। डी.लाइट डिजायन ने केमेन द्वीप वाली कंपनी के जरिए तीन लाख अमेरिकी डॉलर का लोन लिया। जब ये फैसले लिए गए तब इस समय सिन्हा डी.लाइट डिजायन में निदेशक थे।

विजय माल्या : इन्होंने अपनी 'यूनाइटिड स्पिरिट्स लिमिटेड' (यूएसएल) को 2013 में 'डिएगिओ ग्रुप' को बेच दिया था। इसके बाद लंदन की एक कानूनी सलाहकार कंपनी की मदद से यूएसएल में ढांचागत बदलाव करने के अधिकार ले लिए। डिएगिओ ने इस काम के लिए लंदन स्थित लिंकलेटर्स एलएलपी से संपर्क किया। डिएगियो ने टैक्स हेवेन ब्रिटिश वॢजन आइलैंड में स्थित यूएसएल होल्डिंग्स लिमिटेड और ब्रिटेन में उनकी तीन साथी कंपनियों पर 1.5 अरब डॉलर के उधार को माफ कर दिया। डिएगियो ने माल्या की वॉटसन लिमिटेड को भी 58 लाख डॉलर की यूएसएल ग्रुप कंपनी के उधार चुकाने से मुक्त कर दिया। नतीजतन डिएगियो ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को जो 1,225 करोड़ रुपये बताए, माल्या उससे कहीं ज्यादा लेकर गया। यह राशि तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये है।

डॉ. अशोक सेठ : नामी गिरामी फोॢटस-एस्कॉर्टस्स अस्पतालों के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ को 2004 में सिंगापुर स्थित हार्ट स्टेंट बनाने वाली कंपनी ने शेयर दिए।

दिलनशीन संजय दत्त : फिल्म अभिनेता संजय दत्त की पत्नी मान्यता कई कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में दिलनशीन के नाम से शामिल हैं। इनमें दिक्श एनर्जी प्रा.लि, स्पार्कमैटिक्स एनर्जी प्रा.लि, दिक्श रियल्टी प्रा.लि समेत कई कंपनियों के नाम हैं। अप्रैल, 2010 में बहामास में नैसजय कंपनी की स्थापना हुई जिसमें उन्हें डायरेक्टर, एमडी, अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2010 में कंपनी की पूंजी 5,000 अमेरिकी डॉलर थी। मान्यता संजय दत्त से शादी करने से पहले प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल (2003) के एक ऑयटम सांग से चर्चा में आई थीं। वो संजय दत्त प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड की सदस्य हैं।

नीरा राडिया : माल्टा की दो कंपनियों में नीरा हिस्सेदार थीं। दोनों ही कंपनियां लगातार अपने नाम बदलती रहीं। मार्च, 2014 में सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह कंपनी एक्ट के उल्लंघन के लिए राडिया के वैष्णवी समूह पर मुकदमा चलाने जा रहा है।

हर्ष मोइली :कांग्रेस की सरकार में जब वीरप्पा मोइली केंद्रीय मंत्री थे, तब उनके बेटे हर्ष मोइली ने एक कंपनी का गठन किया जिसे युनाइट्स ग्रुप की साथी कंपनियों से निवेश मिला। मॉरीशस की युनाइट्स इंपैक्ट्स पीसीसी का सिर्फ एक शेयरहोल्डर था युनाइट्स इंपैक्ट पार्टनर्स एलएलसी।

कार्ति चिदंबरम, अशोक गहलोत, सचिन पायलट : एपलबी मॉरीशस ने एक कंपनी रजिस्टर की जिसमें एक भारतीय कंपनी ने निवेश किया था। यह राजस्थान के एंबुलेंस घोटाले के संबंध में जांच के दायरे में है। इस कंपनी के संस्थापकों में कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि के बेटे भी हैं। इसमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे काॢत चिदंबरम और पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट का नाम भी शामिल है।

अमिताभ बच्चन : पैराडाइज पेपर ने कहा है कि, '2000-2002 के बीच काला धन सेट कराने वाली फर्मों की मदद से बरमूडा नाम की एक फर्जी मीडिया कंपनी बनाई गई जिसके अमिताभ शेयरहोल्डर बने थे। ये वही समय था जब अमिताभ अपनी आॢथक तंगी से पूरी तरह उबर चुके थे और उसी के बाद केबीसी के पहले सीजन को उन्होंने होस्ट किया था। 2000 में ये कंपनी खुली और 2005 में बंद हो गई और इस कंपनी को बंद करने से पहले इसे दिवालिया घोषित कर दिया गया था।

अमिताभ बच्चन और सिलिकॉन वैली के वेंचर इन्वेस्टर नवीन चड्ढा जलवा मीडिया लिमिटेड के शेयरधारक बने थे। ये कंपनी बरमूडा में 20 जुलाई 2002 को बनाई गई थी और साल 2005 में इसे भंग कर दिया गया। जलवा मीडिया की स्थापना चार भारतीय एंटरप्रेन्योर ने जनवरी 2000 में कैलिफोॢनया में की थी। इसकी भारतीय इकाई जलवा डॉट कॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (बाद में जलवा मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) फरवरी में बनी और बाद में जुलाई में बरमूडा में एक तीसरी कंपनी बनी।

रवींद्र किशोर सिन्हा : ये राज्यसभा में सबसे अमीर सांसद माने जाते हैं। रवींद्र किशोर सिन्हा ने प्राइवेट सिक्युरिटी कंपनी एसआईएस की स्थापना की थी। जिस ग्रुप की रवींद्र किशोर सिन्हा अगुवाई कर रहे हैं उसकी दो ऑफ़शोर कंपनियां हैं। माल्टा रजिस्ट्री के रिकॉर्ड के मुताबिक 'एसआईएस एशिया पैसिफिक होल्डिंग्स का माल्टा में 2008 में एसआईएस की सब्सिडरी के रूप में रजिस्ट्रेशन हुआ था। रवींद्र किशोर सिन्हा इस कंपनी में नाममात्र के शेयरहोल्डर हैं, लेकिन उनकी पत्नी रीता किशोर सिन्हा निदेशक हैं। इस कंपनी की पहुंच ब्रिटिश वॢजन आइलैंड पर भी है। जब राज्यसभा चुनाव में रवींद्र किशोर सिन्हा ने चुनाव आयोग को अपना हल$फनामा भेजा तो उसमें यह जानकारी नहीं दी थी कि उनकी पत्नी इस कंपनी से भी जुड़ी हैं। सांसद बनने के बाद भी उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी।

कई कॉर्पोरेट समूहों के नाम भी पैराडाइज लीक में सामने आए

जीएमआर समूह

अपोलो टायर्स

हेवेल्स

हिंदुजा समूह

एम्मार एमजीएफ

विडियोकॉन

हीरानंदानी समूह

डीएस कंस्ट्रक्शन

मीडिया समूह के भी नाम

कई मीडिया समूह के नाम भी पैराडाइज लीक में सामने आए हैं। इनमें हिन्दुस्तान टाइम्स लि., ज़ी टीवी, न्यूज़ 18, सन टीवी और एनडीटीवी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार हिन्दुस्तान टाइम्स ने जी०४१.कॉम (बरमूडा) लि. की स्थापना की और यह काम एचटीबीसी लि. और दो अन्य फर्मों के जरिये किया गया। एचटीबीसी लि. असल में एचटी इंटरएक्टिव मीडिया के तहत है। एचटी ग्रुप की मालिक शोभना भरतिया और उनके पुत्र प्रियमव्रत भरतिया जी०४१.कॉम तथा एचटीबीसी में डाइरेक्टर हैं। इसी तरह सुभाष चन्द्रा का एसेल ग्रुप, चन्द्रा की ही एक अन्य कंपनी वेरिया लाइफस्टाइल्स के लिए धन जुटाने और इस कंपनी का कर्जा चुकाने के काम में जुटा था। इसके लिए बेहद जटिल लेन देन किये गये।

ऐपलबाय के रिकॉर्ड बताते हैं कि सुभाष चंद्रा के स्वामित्व वाले एस्सेल ग्रुप ने उनके भावी चीनी और ब्राजील के ग्राहकों के लिए ऋण की सुविधाएं प्रदान की थी।सुभाष चंद्रा की कंपनी के प्रमोटर ने ऑफशोर रूट से फंड हासिल किए। ऐपलबाय के रिकॉर्ड बताते हैं कि क्रेडिट सुइस से 2013 में मौजूदा अपतटीय प्रमोटर कर्ज को वित्तपोषित करने के लिए 62 मिलियन का ऋण लिया गया था। यह ऋण एसएमटीपी लिमिटेड (मॉरीशस) को दिया गया था, जो बदले में एस्सेल होल्डिंग्स लिमिटेड (मॉरीशस) को एक परिवर्तनीय ऋण के रूप में प्रदान किया गया था।

इन कार्पोरेट समूहों के भी नाम

जीएमआर समूह, अपोलो टायर्स, हैवेल्ज, हिंदूजा समूह, एम्मार एमजीएफ, वीडियोकॉन, हीरानंदानी समूह, डीएस कंस्ट्रक्शन, यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड इंडिया।

बाकी दुनिया से इन पर लगे हैं आरोप

अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी विलबर रॉस

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड़ो के चीफ फंडरेजर

ट्विटर और फेसबुक में रूसी कंपनियों का निवेश

इंग्लेंड की क्वीन एलिजाबेथ-2 का मेडिकल और कंज्यूमर लोन कंपनियों में निवेश

संयुक्त अरब अमीरात द्वारा जासूसी प्लेन की खरीद

मैक्डॉनल्ड्स, नाइकी, एप्पल, वॉलमार्ट, याहू, सीमेन्स वगैरह

पैराडाइज पेपर्स के पहले 2013 में ऑफशोर लीक्स, 2015 में स्विस लीक्स और २०१६ में पनामा पेपर्स लीक हो चुके हैं जिनमें दुनिया भर के लोगों की कारगुजारियां सामने आईं हैं। इन सभी में ऑफशोर वित्तीय गतिविधियों का खुलासा किया गया है। मोसेक फोन्सेका (पनामा पेपर्स) के समान ही एप्पलबाई (पैराडाइज) भी विदेशी कंपनियों की स्थापना तथा बैंक खाते खुलवाने में सहायता करती है, नॉमिनी उपलब्ध कराती है और विभिन्न गोपनीय अधिकार क्षेत्रों तक बैंक ऋणों अथवा शेयर के आदान-प्रदान को सुगम बनाती है। इसके अलावा ये मनी लांड्रिंग, राउंड ट्रिपिंग (बिना टैक्स चुकाये देश से धन बाहर ले जाना फिर वापस ला कर निवेश करना) का भी काम करती हैं।

क्या दर्शाते हैं पैराडाइज पेपर्स

भारतीय कंपनियों की संपत्तियों का उपयोग ऑफशोर कंपनियों द्वारा इनका भारतीय रेगुलेटर्स के सामने खुलासा किये बिना भारत में ही किया जाता है। ऑफशोर कंपनियों के स्वामित्व में परिवर्तन का तात्पर्य वास्तव में भारत में करों का भुगतान किये बिना भारतीय कंपनियों में उनके शेयर्स के स्वामित्व में परिवर्तन करना है।



\
seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story