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फूट-फूट कर रोए माता-पिता, भगवान ना करे ऐसा कभी किसी के साथ हो
बेटे के अंतिम समय में उसके पिता और भाई उसे देख नहीं पाए। डढ़े माह पहले पल्लेदारी के काम के लिए जयपुर गए रसाल चंद को ये उम्मीद भी नहीं थी, कि ऐसा कुछ भी होगा। उसके परिवार पर ऐसी विपदा आएगी।
नई दिल्ली: जम्मू के संभाग से लॉकडाउन को लेकर खबर आ रही है। यहां संभाग में कठुआ बिलावर के लोहाई मल्हार क्षेत्र के गांव थल निवासी मजदूर रसाल चंद के बेटे की शुक्रवार को मौत हो गई। वह कई सालों से बीमार चल रहा था। बेटे के अंतिम समय में उसके पिता और भाई उसे देख नहीं पाए। डढ़े माह पहले पल्लेदारी के काम के लिए जयपुर गए रसाल चंद को ये उम्मीद भी नहीं थी, कि ऐसा कुछ भी होगा। उसके परिवार पर ऐसी विपदा आएगी। रसाल चंद के दो बेटे और हैं। एक शिमला में फंसा है वहीं दूसरा दिल्ली में फंसा है। ऐसे में घर में सिर्फ मां ही थी। इन सब के चलते हिंदू-रीति रिवाज के अनुसार ग्रामीणों ने ही बेटे का अंतिम संस्कार कराया।
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वह इस खबर से टूट गए
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से देशभर में लॉकडाउन लगा है। तो जम्मू-कश्मीर में भी लोगों के प्रवेश पर 24 मार्च से पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है। पल्लेदारी के काम के लिए जयपुर गए रसाल चंद लॉकडाउन में वहीं फंसे हुए हैं।
वहीं उनके दो और बेटे भी दिल्ली और शिमला में फंसे हुए हैं। शुक्रवार को पत्नी ने फोन कर रसाल चंद को बेटे राजकुमार (25) की मौत की खबर दी। वह इस खबर से टूट गए। उन्होंने वहां फंसे होने की बात कही। ऐसे में बिलावर में सिर्फ मां ही थी।
बेटे की मौत की खबर फोन पर मिली
इन हालातों में मौत की खबर पाकर पास में रहने वाले रिश्तेदार और अन्य ग्रामीण पहुंचे। थल गांव के जनक राज ने बताया कि रसाल चंद के बेटे के अंतिम संस्कार के लिए रिश्तेदारों के साथ मोहल्ले के कुछ लोग शामिल हुए।
एक पिता के लिए इससे दुख की बात क्या हो सकती थी कि उसे बेटे की मौत की खबर फोन पर मिली और वह उसके अंतिम संस्कार में शामिल भी नहीं हो पाया।
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पत्नी ने फोन कर रोते हुए कहा...
मैं बहुत अभागा हूं, जो अंतिम समय में बेटे का चेहरा तक नहीं देख पाया, न ही उसका अंतिम संस्कार कर सका। ये शब्द रसाल चंद के थे, जब उन्हें पत्नी ने फोन कर रोते हुए कहा, हमारा... बेटा नहीं रहा।
बाद में रसाल चंद ने फोन पर बताया कि शुक्रवार सुबह जब बेटे की मौत की खबर सुनी तो वह टूट गया, लेकिन कोई विकल्प नहीं था। अभागे पिता ने सरकार से मांग की कि अन्य राज्यों में फंसे जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को वापस लाने के प्रबंध किए जाएं।
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