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त्यागी अरबों की दौलत: हीरा कारोबारी की बेटी बनेगी साध्वी, 3 पीढ़ियां लेंगी सन्यास
परिशी शाह (Parishi Shah) का यह फैसला मात्र 23 वर्ष की उम्र में लिया है। सिर्फ परिशी शाह (Parishi Shah) ही नहीं, बल्कि उनकी अपनी नानी इंदुबेन शाह (Induben Shah) और मां हेतलबेन (Hetelbein) के साथ रामचंद्र समुदाय की साध्वी बनने का फैसला लिया है।
अहमदाबादः दुनिया में ऐसे कई लोग है जो आज के मॉर्डन में भी सांसारिक मोह-माया से दूर रहना पसंद करते है। उन्हें सादगी भरे जीवन जीना ज्यादातर अच्छा लगता है। कुध ऐसी ही कहानी है परिशी शाह (Parishi Shah) का। इन्होंने सांसारिक मोह-माया त्याग कर साध्वी बनने का चुनाव किया है। इतना ही नहीं, इसकी तैयारी के लिए दीक्षा ग्रहण करने का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया है। बता दें कि परिशी शाह (Parishi Shah) के पिता हॉन्ग कॉन्ग में डायमंड का कारोबारी हैं।
भारतीय प्रवचनों ने परिशी को किया प्रभावित
साध्वी बनने का फैसला लेने वाले परिशी शाह (Parishi Shah) ने बताया कि जब वे भारत आई थीं, तब वे अपनी नानी संग डेरासर जो कि एक जैन मंदिर है वो वहां गईं और जहां उन्होंने प्रवचन सुने। मंदिर में सुनाए गए प्रवचनों से वह काफी प्रभावित हुईं। प्रवचन सुनने के बाद से वे रेस्टोरेंट जाना और फिल्में देखना ही भूल गई हैं।
प्रवचन से मिली आनंद की अनुभूति
परिशी शाह (Parishi Shah) ने जिंदगी से जुड़ी जानकारियों के बारे में बताया कि प्रवचन सुनने के बाद वे अधिकतर साध्वी के प्रवचन सुनने लगीं और इस बीच उन्हें अलग ही तरह के आनंद की अनुभूति हुई। उन्होंने बताया कि साध्वी के बीच रहकर उन्हें यह अनुभूतु हुई कि खुशी व्यक्ति के अंदर ही समाहित होती है, जिसे लोग चकाचौंध की दुनिया में खोज रहे हैं। इस अलग अनुभूति के बाद ही परिशी ने साध्वी बनने का अहम फैसला लिया।
23 की उम्र में लिया साध्वी बनने का फैसला
आपको बता दें कि परिशी शाह (Parishi Shah) का यह फैसला मात्र 23 वर्ष की उम्र में लिया है। सिर्फ परिशी शाह (Parishi Shah) ही नहीं, बल्कि उनकी अपनी नानी इंदुबेन शाह (Induben Shah) और मां हेतलबेन (Hetelbein) के साथ रामचंद्र समुदाय की साध्वी बनने का फैसला लिया है। वे साध्वी हितदर्शनीश्रीजी के मार्गदर्शन में दीक्षा लेने के लिए तैयारी कर रही हैं। जानकारी के मुताबिक, गुजरात के बनासकांठा जिले के दीसा और धानेरा की रहने वाली यह तीनों महिलाएं जल्द ही जैन साध्वी की दीक्षा ग्रहण लेंगी।
मां ने भी लिया साध्वी बनने का फैसला
कहा जाता है कि परिशी शाह (Parishi Shah) ने सबसे पहले साध्वी बनने का फैसला लिया था, फिर बेटी के इस फैसलो को देखते हुए उनकी मां हेतलबेन (Hetelbein) भी हॉन्गथकॉन्ग् से भारत आ धमकी। हेतलबेन (Hetelbein) कहती है कि वे अपने बच्चों के विवाह के साध्वी बनने का सोच रही थीं। चूंकि उनकी बेटी ने शादी न कर साध्वी बनने का फैसला लिया तो वे भी उसके साथ दीक्षा लेने जा रही हैं।
हॉन्ग कॉन्ग डायमंड कारोबारी की बेटी है परिशी
आपको बताते चलें कि परिशी शाह (Parishi Shah) एक डायमंड कारोबारी की बेटी है। उनके पास सभी प्रकार के ऐशो-आराम मौजूद है। परिशी शाह (Parishi Shah) साइकॉलजी की स्टूडेंट भी रह चुकी है। उन्होंने साइकॉलजी की पढ़ाई हॉन्ग कॉन्ग से की है। वहीं, उनके पिता का हॉन्ग कॉन्ग में डायमंड का कारोबार हैं। इन सबके बावजूद भी वह ऐशो-आराम छोड़ साध्वी बनने का फैसला किया है।
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