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Delhi Airport: दुनिया में पांचवें नंबर का एयरपोर्ट पहली बारिश में ही बेहाल, रखरखाव पर उठे सवाल, सुविधाओं के दावों की खुली कलई
Delhi Airport roof collapse: दिल्ली एयरपोर्ट पर विश्व स्तरीय सुविधाएं मुहैया करने का दावा किया जाता रहा है मगर कुछ घंटे की बारिश ने ही इस दंभ और दावे की कलई खोल कर रख दी है।
Delhi Airport roof collapse: दिल्ली-एनसीआर में मानसून की पहली बारिश ही लोगों के लिए मुसीबत बन गई। भारी बारिश के बाद राजधानी के विभिन्न इलाकों में जलभराव के कारण ट्रैफिक के पहिए रुक गए तो दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 पर पार्किंग की छत ढहने के कारण बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 6 लोग घायल हुए हैं।
पूरी दुनिया के शानदार एयरपोर्ट की सूची में दिल्ली एयरपोर्ट पांचवें नंबर पर है। एयरपोर्ट अथॉरिटी खूब बढ़-चढ़ कर इसका बखान करती रही है। दिल्ली एयरपोर्ट पर विश्व स्तरीय सुविधाएं मुहैया करने का दावा किया जाता रहा है मगर कुछ घंटे की बारिश ने ही इस दंभ और दावे की कलई खोल कर रख दी है। इससे पहले जबलपुर और पोर्ट ब्लेयर के एयरपोर्ट पर भी हादसे की खबर सामने आई थी। यही कारण है कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता, एयरपोर्ट के रखरखाव और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
एयरपोर्ट के रखरखाव पर उठे सवाल
दिल्ली एयरपोर्ट पर हुए हादसे की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। इस हादसे ने दिल्ली एयरपोर्ट के रखरखाव को लेकर बड़ा सवाल पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोगों की ओर से सवाल उठाया जा रहा है कि आखिरकार विश्व में इस पांचवें नंबर के एयरपोर्ट किस तरह रखरखाव किया जा रहा था कि एक बारिश में ही इतना बड़ा हादसा हो गया। सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए चेक इन काउंटर्स को बंद कर दिया गया है। इस हादसे की वजह से 28 उड़ानों पर असर पड़ा है।
छत की शीट के साथ सपोर्ट भी ढह गई
दिल्ली एयरपोर्ट पर हुए इस हादसे के बारे में अफसरों का कहना है कि छत की शीट के अलावा सपोर्ट बीम भी ढह गई है। इससे हादसे की गंभीरता को समझा जा सकता है। एयरपोर्ट की छत और सपोर्ट बीम के ढहने के कारण पिकअप और ड्रॉप क्षेत्र में खड़ी कारों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। इस हादसे के बाद एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि टर्मिनल-1 से जाने वाली उड़ानों का ऑपरेशन आखिर कब शुरू होगा।
बचाव और राहत टीमों की ओर से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि छत ढहने से
क्षतिग्रस्त हुई कारों में कोई फंसा तो नहीं हुआ है। इसके लिए अफसरों की ओर से चेकिंग अभियान छेड़ा गया है। दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों को बारिश के कारण गर्मी से तो राहत जरूर मिली है मगर राष्ट्रीय राजधानी में जगह-जगह भारी जलभराव होने के कारण ट्रैफिक जाम की बड़ी समस्या भी खड़ी हो गई है।
जबलपुर एयरपोर्ट पर भी चकनाचूर हो गई कार
इससे पहले मध्य प्रदेश के जबलपुर में 450 करोड़ की लागत से नवनिर्मित डुमना एयरपोर्ट पर भी गुरुवार को एक बड़ा हादसा टल गया था। दरअसल एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग के ड्राप एंड गो एरिया में टेंसिल रूफ फटने से पानी का सैलाब सा आ गया और एक कार चकनाचूर हो गई। इस हादसे में आयकर विभाग के एक अधिकारी और उनका ड्राइवर बाल-बाल बच गया। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है।
जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट का लोकार्पण इसी साल 10 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल ढंग से किया था। 450 करोड़ रुपए की लागत से इस एयरपोर्ट का निर्माण कराया गया है मगर एयरपोर्ट के घटिया निर्माण की पोल पहली बारिश में ही खुल गई।
घटिया निर्माण को इसी बात से समझा जा सकता है कि एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग के सामने लगाई गई टेंसिल रूफ पहली बारिश झेलने में ही नाकाम साबित हुई। टेंसिल रूफ के नीचे खड़ी एक सरकारी गाड़ी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट पर भी हुआ था हादसा
इससे पहले पिछले साल अंडमान और निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में भारी बारिश के कारण वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की छत गिर गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 18 जुलाई को वर्चुअल तरीके से इस एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था। एयरपोर्ट की छत गिरने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला भी बोला था।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एयरपोर्ट के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। दूसरी ओर तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना था कि तेज हवाओं के कारण एयरपोर्ट के पैनल नीचे गिर गए थे जिसकी बाद में मरम्मत करवा दी गई। पोर्ट ब्लेयर के टर्मिनल का निर्माण 710 करोड़ की लागत से किया गया है।