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Parliament House Security Issue: दिल्ली पुलिस का दावा, छह लोगों ने मिलकर रची थी पूरी साजिश, हरियाणा के गुरुग्राम में रुके थे आरोपी, हिरासत में पांचवां भी

Parliament House Security Issue: दिल्ली पुलिस ने संसद की सुरक्षा उल्लंघन के मामले में चार लोगों को दबोचा है। पुलिस को दो और लोगों की संलिप्तता का संदेह है। दिल्ली पुलिस का दावा है कि सभी छह एक-दूसरे को जानते थे और गुरुग्राम में एक घर में रह रहे थे।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 13 Dec 2023 11:05 PM IST
Delhi Police claims, six people had hatched the entire conspiracy together, the accused stayed in Gurugram, Haryana, fifth person also in custody
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दिल्ली पुलिस का दावा, छह लोगों ने मिलकर रची थी पूरी साजिश, हरियाणा के गुरुग्राम में रुके थे आरोपी, हिरासत में पांचवां भी: Photo- Social Media

Parliament House Security Issue: देश की संसद भवन की सुरक्षा में बुधवार को बड़ी चूक देखने को मिली। लोकसभा सत्र के दौरान सुरक्षा घेरा तोड़कर लोकसभा में विजिटर गैलरी से दो संदिग्ध कूद पड़े। संसद की कार्यवाही के दौरान दोनों संदिग्ध सांसदों के एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर चढ़कर कूदने लगे। जिसके बाद लोकसभा में अफरातफरी का माहौल बन गया। लेकिन इस बीच वहां मौजूद सांसदों ने दोनों संदिग्धों को घेर कर पकड़ लिया और जमकर पिटाई कर दी। इस दौरान वहां सुरक्षाकर्मी भी दौड़ कर पहुंचे और दोनों को पकड़ लिया।

गुरुग्राम में रुके थे सभी आरोपी-

वहीं, संसद भवन के आरोपियों की संख्या छह बताई जा रही है, यह सब लोग हरियाणा के गुरुग्राम में रुके थे। पुलिस सूत्रों ने कहा कि दिल्ली पुलिस को संसद की सुरक्षा उल्लंघन के मामले में पकड़े गए चार लोगों के साथ दो और लोगों की संलिप्तता का संदेह जताया है। उन्होंने दावा किया कि सभी छह एक-दूसरे को जानते थे और गुरुग्राम में एक घर में रह रहे थे। गिरफ्तार लोगों के पास से कोई मोबाइल फोन बरामद नहीं हुआ है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। दिल्ली पुलिस वहीं संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में शामिल आरोपियों के मोबाइल फोन की तलाश कर रही है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने पांचवें संदिग्ध को गुरुग्राम से हिरासत में लिया है। पांचवें आरोपी का क्या नाम क्या अभी इसकी पुष्टी नहीं हो पाई है।

एक-दूसरे को चार साल से जानते थे-

पुलिस सूत्रों का कहना है कि सभी छह आरोपी संसद के अंदर जाना चाहते थे, केवल दो ही आगंतुक पास पाने में कामयाब रहे। छह आरोपी एक-दूसरे को चार साल से जानते थे, इन्होंने कुछ दिन पहले ही यह साजिश रची और रैकी की। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या छह आरोपियों को किसी या संगठन ने संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का निर्देश दिया था। वहीं दिल्ली पुलिस की टीमें छठे आरोपी को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं।

बता दें कि अमोल शिंदे और नीलम संसद के बाहर पकड़े गए और सागर शर्मा और मनोरंजन डी लोकसभा कक्ष के अंदर पकड़े गए, जो पुलिस की गिरफ्त में हैं। अन्य आरोपियों की पहचान ललित और विक्रम के रूप में हुई है। पुलिस ने कहा कि अमोल शिंदे और नीलम को संसद भवन के बाहर पीले और लाल रंग का धुंआ छोड़ने वाले डिब्बे लेकर विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

बुधवार को लोकसभा में कार्यवाही के दौरान दो लोगों ने दर्शक दीर्घा से छलांग लगाते हुए कलर स्मोक उड़ाया, जिसके बाद पूरी लोकसभा में धुंआ-धुआं नजर आने लगा। इतना ही नहीं वहीं ट्रांसपोर्ट भवन के बाहर संसद भवन के गेट के पास भी दो लोग आतिशबाजी करते हुए प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने इन चारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। संसद की सुरक्षा में यह चूक का मामला ऐसे समय में आया है, जब आज ही के दिन यानी 13 दिसंबर को संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था और नौ जवान शहीद हुए थे।

मैसूर के सांसद के मेहमान के तौर पर पहुंचा था-

बताया जा रहा है कि दर्शक दीर्घा में कूदे दो शख्स में से एक मैसूर के सांसद के मेहमान के तौर पर संसद पहुंचा था। उसका नाम सागर बताया जा रहा है। वहीं बसपा से निलंबित यूपी के अमरोहा से सांसद दानिश अली ने भी बताया कि पकड़े गए एक युवक का नाम सागर है। बता दें कि मैसूर से प्रताप सिम्हा भाजपा के सांसद हैं।

बसपा सांसद मलूक नागर ने बताया कि उनकी सीट के बगल में ही अचानक एक युवक दर्शक दीर्घा से कूद गया। इसके तुरंत बाद दूसरा युवक भी वहीं कूदा। जब सांसदों ने एक युवक को घेर लिया तो उसने जूते से कोई चीज निकाली, जिससे धुंआ उठने लगा। दोनों युवक ‘तानाशाही नहीं चलेगी‘ नारा लगा रहे थे।

22 साल पहले हुआ था संसद पर हमला-

देश के लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर पर 22 साल पहले आतंकी हमला हुआ था। कार सवार पांच आतंकी सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर संसद भवन परिसर में घुस गए थे। हथियारों व गोला-बारूद से लैस आतंकियों ने कार से उतरते ही ताबड़तोड़ गोलियां चलाना शुरू कर दिया था। इस हमले में संसद भवन के सुरक्षाकर्मियों सहित कुल नौ लोग शहीद हो गए थे।

कई सांसदों सहित 100 से ज्यादा वीवीआईपी मौजूद थे-

करीब 45 मिनट तक चली गोलीबारी के दौरान संसद भवन परिसर जंग का मैदान बना रहा। संसद भवन में कई सांसदों सहित 100 से ज्यादा वीवीआईपी मौजूद थे। सुरक्षा बलों ने काफी मशक्कत के बाद कार सवार सभी पांचों हमलावरों को मार गिराया था। इनके पास से एके-47 समेत, हैंड ग्रैनेड लांचर्स, पिस्टल व दूसरे हथियार बरामद हुए थे। घटना की जांच हुई तो सामने आया कि संसद भवन में हमले की साजिश पाकिस्तान से रची गई। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने हमले का ताना-बाना बुना। इसके बाद पुलिस व जांच एजेंसियों ने जेकेएलएफ के आतंकी मो. अफजल गुरु, चचेरे भाई शौकत हुसैन गुरु, पत्नी अफशां और डीयू के प्रोफेसर एसएआर गिलानी को गिरफ्तार किया था।

ऐसे हुआ था हमला

बता दें कि 13 दिसंबर 2001 को संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। विपक्ष के हंगामे के बीच संसद की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी समेत कई वीवीआईपी घरों के लिए निकल चुके थे, लेकिन तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 से ज्यादा वीवीआईपी संसद के अंदर ही मौजूद थे। अचानक सुबह 11ः40 बजे गृह मंत्रालय का स्टिकर लगी सफेद रंग की एंबेस्डर कार संसद भवन में दाखिल हुई। कार में पांच आतंकवादी थे। मुख्य इमारत ही ओर बढ़ते हुए आतंकियों की गाड़ी गलती से उपराष्ट्रपति के काफिले के सामने आ आई। घबराहट में गाड़ी काफिले में चल रही कार से टकरा गई। सबका ध्यान उनकी ओर चला गया। इस बीच आतंकी बाहर निकले और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

आतंकियों ने सबसे पहले कमलेश को गोली मार दी-

उपराष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मियों ने पलटवार किया। सीआरपीएफ की सिपाही कमलेश कुमारी ने शोर मचाकर सुरक्षा बलों को अलर्ट किया। आतंकियों ने सबसे पहले कमलेश को गोली मार दी। शीतकालीन सत्र चलने से मीडिया लाइव कवरेज कर रही थी। ऐसे में पूरे देश ने हमले को लाइव देखा। एक आतंकी को जब गोली लगी तो उसकी बेल्ट में धमाका हो गया। पांचों आतंकियों की पहचान हमजा, हैदर उर्फ तुफैल, राणा, रणविजय और मोहम्मद के रूप में हुई। बाद में दिल्ली पुलिस ने नवंबर 2002 में जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकियों को पकड़ा। इनके खिलाफ मुकदमा चला और सभी दोषी पाए गए।

2013 में दी गई अफजल गुरु को फांसी

29 दिसंबर को कोर्ट ने अफशां को बरी कर दिया, जबकि गिलानी, शौकत और अफजल को मौत की सजा सुनाई। गिलानी को 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय को बरकरार रखा। वहीं, शौकत को 10 साल की जेल हुई। 11 साल बाद 2013 में अफजल गुरु को फांसी दी गई और शव को तिहाड़ जेल में दफना दिया गया।



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Shashi kant gautam

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