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Parliament Monsoon Session 2024: संसद के मानसून सत्र का आगाज आज से, इन मुद्दों पर विपक्ष के निशाने पर होगी सरकार, पेश होंगे ये 6 बड़े बिल
Parliament Monsoon Session 2024: मानसून सत्र पहले दिन आज यानी सोमवार को विपक्ष नीट पेपर लीक, रेलवे सुरक्षा और कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार के फैसले समेत कई मुद्दों पर एनडीए सरकार को घेरने की तैयारी में है।
Parliament Monsoon Session 2024: संसद के मानसून सत्र का सोमवार से आगाज हो रहा है। जहां मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार 3.0 का पहला केंद्रीय बजट पेश करेंगी तो वहीं विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए तैयार बैठा है। मानसून सत्र पहले दिन आज यानी सोमवार को विपक्ष नीट पेपर लीक, रेलवे सुरक्षा और कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार के फैसले समेत कई मुद्दों पर एनडीए सरकार को घेरने की तैयारी में है।
सत्र से पहले रविवार को केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए। जहां सर्वदलीय बैठक में जेडीयू और वाईएसआरसीपी ने क्रमशः बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की तो वहीं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की। तृणमूल कांग्रेस इस बैठक में शामिल नहीं हुई। सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए से जीतन राम मांझी और जयंत चौधरी भी बैठक में शामिल नहीं हुए।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में समाजवादी पार्टी ने कांवड़ यात्रा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसे लेकर लिया गया नेमप्लेट का फैसला पूरी तरह गलत है।
6 विधेयक पेश कर सकती है सरकार
सोमवार से शुरू हो रहा संसद का सत्र 12 अगस्त तक चलेगा। इसमें कुल 19 बैठकें होनी हैं। इस दौरान एनडीए सरकार की ओर से छह विधेयक भी पेश किए जाने की उम्मीद है। इसमें 90 साल पुराने विमान अधिनियम को बदलने वाला विधेयक भी शामिल है। साथ ही जम्मू-कश्मीर के बजट के लिए संसद की मंजूरी भी शामिल है तो वहीं इस दौरान विपक्ष की ओर से हंगामा देखा जा सकता है। बजट से पहले वित्त मंत्री सीतारमण सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश करेंगी।
क्या होता है आर्थिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे ना केवल सरकार के रिपोर्ट कार्ड की तरह होता है जिसमें पिछले वित्त वर्ष का लेखा जोखा होता है। बता दें कि पहला आर्थिक सर्वे 1950-51 में पेश हुआ था। 1964 से इसे बजट से एक दिन पहले प्रस्तुत करने की परंपरा शुरू हुई। इससे जनता को ना केवल अर्थव्यवस्था की सही स्थिति का पता चल जाता है बल्कि सरकार कई चुनौतियों के बारे में बताती है और उन्हे दूर करने के बारे में भी सर्वे में उल्लेख मिलता है।
सर्वे से आम जनता को महंगाई, बेरोजगारी के आंकड़े तो मिलते ही हैं निवेश, बचत और खर्च करने का आईडिया भी मिल जाता है। जैसे मान लिजिए कि सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है, तो यह सेक्टर निवेशकों को लुभा सकता है। यानि इससे सेक्टर वाइज संभावनाओं का अंदाजा लगता है। सर्वे ना केवल सरकार की नीतियों के बारे में जानकारी भी देता है। आर्थिक सर्वे न केवल सरकार की नीतियों बल्कि भविष्य के आर्थिक दृष्टिकोण को भी बताता है और यही वजह है कि इसे बजट से पहले पेश करने की परंपरा बनी हुई है।
ये बिल लाने वाली है एनडीए सरकार
मानसून सत्र के दौरान सूचीबद्ध विधेयकों में फाइनेंस बिल, डिजास्टर मैनेजमेंट, बॉयलर्स बिल, भारतीय वायुयान विधेयक, कॉफी प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल और रबर प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल शामिल हैं। सत्र में डिमांड फॉर ग्रांट्स पर चर्चा और मतदान होगा। इसके अलावा एप्रोप्रिएशन बिल पारित होगा। जम्मू कश्मीर के बजट पर भी चर्चा होगी और बजट पास होगा।
उधर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय एजेंडा तय करने वाली बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) का गठन किया है। ओम बिरला इस समिति के अध्यक्ष हैं। विभिन्न दलों के 14 सांसदों को मनोनीत किया गया है। यह समिति लोकसभा के कामकाज, बहस का समय आदि तय करती है। इसमें बीजेपी की ओर से निशिकांत दुबे, अनुराग सिंह ठाकुर, भर्तृहरि महताब, पी पी चौधरी, बिजयंत पांडा, डॉ संजय जायसवाल आदि शामिल हैं। वहीं कांग्रेस से के सुरेश, गौरव गोगोई, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, डीएमके से दयानिधि मारन, शिवसेना (यूबीटी) से अरविंद सावंत शामिल हैं।
बजट से पहले क्या बोले नवीन पटनायक
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी ने घोषणा की है कि वह एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएगी और संसद में राज्य के हित के मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाएगी। पटनायक ने अपनी पार्टी के सांसदों से ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाने को कहा है।
क्या कहा कांग्रेस ने
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से कम करने के किसी भी सरकारी कदम का विरोध करेगा। दरअसल, सरकार बजट सत्र में बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 और अन्य कानूनों जैसे बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1980 में संशोधन ला सकती है। कहा जा रहा है कि इससे पीएसबी में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे जा सकती है।
कुल मिला कर देखा जाए तो जहां मानसून सत्र काफी महत्वपूर्ण है तो वहीं विपक्ष सरकार को कई मुद्दों पर घेरने को तैयार बैठा है। ऐसे में इस सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है।