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Parliament Special Session: तो यह था संसद के विशेष सत्र का असली मकसद, मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद महिला बिल के क्रेडिट की जंग
Parliament Special Session 2023: 27 वर्षों से लटके इस (Women Reservation Bill) महत्वपूर्ण बिल का क्रेडिट लेने की होड़ भी मच गई है। कांग्रेस का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ठोस पहल के कारण इस बिल को संसद में पेश किया जा रहा है।
Parliament Special Session: आखिरकार संसद के विशेष सत्र को बुलाने के पीछे सरकार के असली एजेंडे का खुलासा हो गया है। संसद के विशेष सत्र के पीछे मोदी सरकार का असली मकसद गणेश चतुर्थी के दिन संसद के नए भवन का श्रीगणेश करना और महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) को संसद में पेश करने का माना जा रहा है। मोदी सरकार की सोमवार को हुई 90 मिनट की बैठक के दौरान इस महत्वपूर्ण बिल को मंजूरी दे दी गई। मोदी सरकार का यह सरप्राइज गिफ्ट माना जा रहा है और इसके बड़े सियासी असर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
यही कारण है कि 27 वर्षों से लटके इस महत्वपूर्ण बिल का क्रेडिट लेने की होड़ भी मच गई है। कांग्रेस का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ठोस पहल के कारण इस बिल को संसद में पेश किया जा रहा है। दूसरी और भाजपा इस बिल से जुड़े क्रेडिट में अब दूसरे किसी सियासी दल को हिस्सेदारी देने को तैयार नहीं दिख रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों के अलावा अन्य राजनीतिक दल भी खुलकर इस बिल के समर्थन में हैं। ऐसे में इस बिल का पास होना पहले ही तय माना जा रहा है।
लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ा है विधेयक
एक काबिले गौर बात यह भी है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किए जाने के बाद विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में घमासान छिड़ने की संभावना भी जताई जा रही है। यह विधेयक लंबे समय से ठंडे बस्ती में पड़ा हुआ है। इस विधेयक से जुड़ा आखिरी ठोस घटनाक्रम 2010 में हुआ था जब भारी हंगामे के बीच इसे राज्यसभा से पारित किया गया था। उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए सरकार सत्तारूढ़ थी।
उस समय कुछ सांसदों ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण के कदम का तीखा विरोध किया था। इन सांसदों को मार्शलों की मदद से बाहर निकलना पड़ा था। हालांकि यह विधेयक लोकसभा से पारित नहीं हो सका और मामला फिर लटक गया। मंडलवादी पार्टिया शुरुआत से ही इस विधेयक का विरोध करती रही हैं। इस विरोध को देखते हुए बाद में मनमोहन सरकार ने इस बिल को ठंडे बस्ती में डाल देना ही बेहतर समझा।
1996 में पहली बार पेश हुआ था विधेयक
वैसे इस विधेयक को पूर्व की सरकारों ने भी संसद में पेश करने का साहस दिखाया था। यह विधेयक 1996 में पहली बार पेश किया गया था और उस समय देश के प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा थे। बाद में अटल सरकार की ओर से 1998, 1999, 2002 और 2003 इस विधेयक को संसद में पेश किया गया मगर इस पर मुहर नहीं लग सकी।
जदयू के कद्दावर नेता शरद यादव ने 1996 में इस विधेयक का तीखा विरोध किया था और उन्होंने कोटा के भीतर कोटा की मांग उठाकर इस मामले में नया पेंच भी फंसा दिया था। अब मोदी सरकार की ओर से इस विधेयक को संसद में पेश किए जाने की तैयारी है।
संघ भी महिला आरक्षण बिल के समर्थन में
वैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी महिला आरक्षण विधेयक के समर्थन में है। पुणे में शनिवार को समाप्त हुई संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के समापन पर संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने बताया कि बैठक के दौरान समाज में महिलाओं की अग्रणी भूमिका पर गहराई से मंथन किया गया है। संघ से जुड़े संगठनों की ओर से जीवन के विविध क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। हमने इस विषय पर बैठक के दौरान चर्चा की है और अब इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
संघ विचारक ने कहा कि भारतीय चिंतन में परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है और हर परिवार में महिलाओं की भूमिका सबसे प्रमुख होती है। इसलिए हमारा मानना है कि महिलाओं को हर मोर्चे पर अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
कांग्रेस ने राजीव,सोनिया,राहुल को दिया क्रेडिट
वैसे इस बिल को संसद में पेश किए जाने से पूर्व ही भाजपा और कांग्रेस में क्रेडिट लेने की जंग छिड़ गई है। मोदी सरकार इस बिल को अपने दम पर पारित कराकर पूरी तरह क्रेडिट लेने की कोशिश में जुटी हुई है जबकि दूसरी और कांग्रेस मोदी सरकार की इस रणनीति से सतर्क हो गई है। कांग्रेस ने इस बिल को पेश किए जाने से पूर्व ही ट्वीट करते हुए इस बिल की नींव रखने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया है। कांग्रेस का कहना है कि सोनिया गांधी ने भी 2011 में कहा था कि इस बिल को निचले सदन में भी पारित कराना है।
राहुल गांधी के समर्थन का जिक्र करते हुए कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी ने 2018 में स्पष्ट तौर पर कहा था कि कांग्रेस पार्टी इस बिल को पास करने के लिए पूरी तरह मोदी सरकार के साथ खड़ी है। कांग्रेस कार्यसमिति की हाल में हुई हैदराबाद में बैठक के दौरान भी इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया था।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी अपने ट्वीट में कहा कि यदि मोदी सरकार की ओर से संसद में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जाता है तो यह यूपीए सरकार और उसके सहयोगियों की बड़ी जीत होगी।
भाजपा ने बताया मोदी सरकार का दम
दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि महिला आरक्षण की मांग को पूरा करने का नैतिक साहस मोदी सरकार में ही था और यह कैबिनेट की मंजूरी से साबित हो गया है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद भी दिया। हालांकि पटेल ने बाद में अपनी पोस्ट को डिलीट कर दिया। माना जा रहा है कि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी न होने के कारण उन्होंने अपनी पोस्ट को डिलीट किया है।
कैबिनेट बैठक के बाद संसद के विशेष सत्र के कारण ब्रीफिंग नहीं हुई और इस कारण भाजपा के अन्य नेता अभी खुलकर इस मुद्दे पर नहीं बोल रहे हैं। भाजपा नेताओं के भी अब खुलकर इस अखाड़े में उतरने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस क्रेडिट को लेकर भाजपा और कांग्रेस में सियासी जंग और तीखी हो जाएगी।