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पीएम के संसदीय क्षेत्र में जोर-शोर से चल रहा है खनन का खेल

raghvendra
Published on: 3 Nov 2017 6:10 PM IST
पीएम के संसदीय क्षेत्र में जोर-शोर से चल रहा है खनन का खेल
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आशुतोष सिंह

वाराणसी। पीएम के संसदीय क्षेत्र बनारस में खुलेआम खनन का खेल जारी है। ठेकेदारों और सफेदपोशों की मिलीभगत से अवैध खनन का यह खेल खेला जा रहा है। जिले में कई स्थानों पर अवैध खनन जोर-शोर से चल रहा है,लेकिन खनन विभाग से लेकर पुलिस प्रशासन के अफसरों तक ने आंख पर पट्टी बांध रखी है। अवैध खनन से प्रतिमाह पांच से छह करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन सुविधा शुल्क के कारण अफसरों ने आंख बंद कर

रखी है।

इन इलाकों में हो रहा अवैध खनन

अवैध खनन की बात करें तो लंका क्षेत्र का टिकरी-तारापुर गांव अवैध खनन का गढ़ बन चुका है। कहा तो यह भी जाता है कि गांव के हर घर में एक या दो ट्रैक्टर है, जो खनन के काम में लगा हुआ है। गंगा किनारे बसे इस गांव का बालू खनन से पुराना नाता है। जिले के बड़े-बड़े अफसर इस गांव में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।

आसपास के ग्रामीणों ने कई बार शिकायत भी की, लेकिन न तो विभागीय अफसर हरकत में आए और ना ही स्थानीय पुलिस। इसी तरह मिर्जामुराद, कछवां रोड के डोमैला, विहड़ा, भोर छतेरी, कपसेठी के गहरपुर, तारापुर, लल्लापुर कोटियां गांवों में शाम ढलते ही अवैध खनन का खेल शुरू हो जाता है।

अवैध खनन की वजह से जिले में हर साल करीब 70 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही खनन का दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। जमीन से मिट्टी निकलने से भूमि काफी नीची हो जाती है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। खते में गड्ढे होने से सिंचाई का पानी भी पूरा नहीं मिल पाता।

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कार्रवाई के नाम पर कोरम पूरा कर रहे

जानकार बताते हैं कि अवैध खेल में कार्रवाई के नाम पर जिला प्रशासन सिर्फ कोरम पूरा कर रहा है। कुछ दिन पहले लंका के टिकरी गांव में अवैध खनन की शिकायत पर जिला खनन अधिकारी ने लंका थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। दरअसल इस खेल में दलालों का बड़ा सिंडिकेट काम करता है।

सूत्र बताते हैं कि छापेमारी की भनक इन दलालों को पहले ही लग जाती है। लिहाजा ये अपने नेटवर्क के जरिए खनन माफियाओं को सतर्क कर देते हैं। इस बाबत जिला खनन अधिकारी बताते हैं कि समय-समय पर अभियान चलाकर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। पिछले दिनों कई लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है। आने वाले समय में अभियान को और तेज किया जाएगा।

महिला आईएएस ने छेड़ी मुहिम

वहीं खनन माफियाओं के लिए खौफ का दूसरा नाम बन चुकी हैं महिला आईएएस ईशा दुहा। जिन खनन माफियाओं के आगे बड़े-बड़े धुरंधर नतमस्तक हो जाते थे, वो अब ईशा दुहा का नाम सुनते ही कांपने लगते हैं। वे खनन माफियाओं को उखाड़ फेंकने के लिए वे ताबड़तोड़ प्रयास कर रही हैं। लगातार छापेमारी कर रही हैं। इस दौरान उन्हें कुछ कामयाबी भी हाथ लगी है। पिछले दिनों रोहनिया इलाके के दो गांवों में मिट्टी खनन की शिकायत पर ईशा दुहा ने छापा मारा और पांच ट्रैक्टरों को सीज करने के साथ ही दो लोगों को गिरफ्तार किया।

सरकारी तामझाम से दूर ईशा दुहा अकेले ही खनन माफियाओं से लोहा लेने निकल पड़ी। उनके साथ सिर्फ एक हमराही था। बताया जा रहा है कि जिस वक्त उन्होंने छापा मारा, उनके साथ फोर्स मौजूद नहीं थी। खबरों के अनुसार जैसे ही ईशा दुहा मौके पर पहुंचीं, खनन माफियाओं में अफरातफरी मच गई। इस दौरान ईशा दुहा सिंघम के अवतार में दिखी। उन्होंने ग्रामीणों की मदद से खनन माफियाओं को गिरफ्तार किया। हालांकि सूचना मिलते ही मौके पर स्थानीय पुलिस भी पहुंच गई।

ईशा दुहा की गिनती बनारस के तेज तर्रार आईएएस अधिकारियों में होती है। फिलहाल वह एसडीएम राजातलाब के पद पर तैनात हैं। इस दौरान खनन माफियाओं के खिलाफ चलाए गए उनके अभियान ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं। लगभग छह महीने के कार्यकाल के दौरान उन्होंने दो दर्जन से अधिक खनन माफियाओं को सलाखों के पीछे पहुंचाया। साथ ही अवैध खनन पर काफी हद तक लगाम लगाई है।

इस खेल में कई सफेदपोश शामिल

काशी में खनन की 25 साइटों पर रोक लगी है। इसके बावजूद सफेदपोशों की आड़ में यह खेल धड़ल्ले से जारी है। सूत्रों के मुताबिक बार-बार शिकायत के बाद भी अधिकारी दफ्तरों से बाहर नहीं निकलते। अफसरों के इस रवैये का फायदा खनन माफिया उठा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि मोटी रकम के चक्कर में पुलिस भी अभियान चलाने से कतराती है। जब कभी खनन अधिकारी द्वारा अभियान चलाने की सूचना दी जाती है, थानेदार व्यस्तता का बहाना बनाने लगते हैं।

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खनन के इस खेल में जिले के कई सफेदपोश शामिल हैं। इन सफेदपोशों की सत्ता के गलियारे में गहरी पकड़ है। सत्ता चाहे किसी भी पार्टी की हो, खनन का काम जारी रहता है। इसके एवज में थाने से लेकर विभाग तक मोटी रकम पहुंचाई जाती है। हैरानी इस बात की है कि खनन माफियाओं का यह सिंडिकेट योगीराज में भी नहीं टूट पाया है। वैसे इस पर आंशिक अंकुश का दावा जरूर किया जा रहा है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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