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Pathankot Aatanki Hamla Story: पठानकोट आतंकी हमले का घटनाक्रम और संक्षिप्त विवरण

Pathankot Aatanki Hamla Full Story: पठानकोट हमला भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन इस घटना ने देश को अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर पुनर्विचार करने का अवसर भी दिया।

Shivani Jawanjal
Published on: 11 March 2025 1:18 PM IST
Pathankot Airbase Terror Attack 2016 Full Story in Hindi
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Pathankot Airbase Terror Attack 2016 Full Story in Hindi (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Pathankot Aatanki Hamla Full Story: पठानकोट हमला (Pathankot Terror Attack) भारत के इतिहास में सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और दर्दनाक घटना थी, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा को झकझोर कर रख दिया। 2 जनवरी 2016 को पंजाब के पठानकोट में स्थित वायु सेना स्टेशन पर आतंकवादियों ने घातक हमला किया, जिससे पूरे देश में दहशत फैल गई। यह हमला न केवल भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुआ, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा।

इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था में हुई चूकों और आतंकवादियों के षड्यंत्र को उजागर किया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता महसूस की गई। इस लेख में, हम इस हमले की पूरी घटना, इसके पीछे की साजिश, सुरक्षा चूक और इससे मिले महत्वपूर्ण सबक पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

हमले की पृष्ठभूमि - Attack Background

(फोटो साभार-सोशल मीडिया)

पठानकोट एयरबेस (Pathankot Airbase) भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा है, जहाँ से मिग-21 और एमआई-35 हेलीकॉप्टर संचालित किए जाते हैं। यह एयरबेस पाकिस्तान सीमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे इसकी सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

पठानकोट हमला भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा हमला था, जिसकी जड़ें भारत-पाकिस्तान संबंधों और सीमा पार आतंकवाद से जुड़ी हुई थीं। इस हमले से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सुधारने के प्रयास किए जा रहे थे। 25 दिसंबर 2015 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक पाकिस्तान का दौरा किया था, जिससे दोनों देशों के बीच वार्ता की संभावनाएं मजबूत हुई थीं। लेकिन इस आतंकी हमले ने इन प्रयासों को झटका दे दिया।

पठानकोट आतंकी हमले का पूरा घटनाक्रम - Sequence Of Terror Attack

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पठानकोट आतंकी हमला 2 जनवरी 2016 को भारत के पंजाब राज्य में स्थित पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हुआ था। यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किया गया था। इस हमले की पूरी घटनाक्रम निम्नलिखित है:

31 दिसंबर 2015:- 31 दिसंबर 2015 की रात को पंजाब के गुरदासपुर जिले में चार सशस्त्र आतंकवादियों ने पहले एक टैक्सी चालक की हत्या कर दी और उसके वाहन को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद, आतंकियों ने पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी, सलविंदर सिंह (Salwinder Singh) का अपहरण कर लिया। अपहरण के कुछ समय बाद आतंकियों ने उन्हें छोड़ दिया, उन्होंने इस घटना की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को दी।

सलविंदर सिंह ने पुलिस को बताया कि उन्हें आतंकवादियों ने अगवा किया था, लेकिन पुलिस ने उनकी बात पर संदेह किया और उन्हें हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद, पुलिस ने पठानकोट वायु सेना स्टेशन को अलर्ट कर दिया था। बाद में यह गाड़ी वायु सेना स्टेशन से लगभग 500 मीटर दूर खड़ी मिली थी।

खुफिया अलर्ट और सुरक्षा उपाय - Intelligence Alert and Security Measures

सलविंदर सिंह की गवाही के आधार पर खुफिया एजेंसियों ने 1 जनवरी 2016 को अलर्ट जारी किया, जिसमें संभावित आतंकी हमले की आशंका जताई गई थी। इस अलर्ट के बाद सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया, लेकिन इसके बावजूद 2 जनवरी 2016 को पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमला हो गया।

हमले की शुरुआत - 2 जनवरी 2016

2 जनवरी 2016 की सुबह लगभग 3:30 बजे, भारी मात्रा में असलहा और बारूद से लैस आतंकवादियों ने पठानकोट वायु सेना स्टेशन (Pathankot Air Force Station) पर हमला किया। ये आतंकवादी संभवतः पाकिस्तान (Pakistan) स्थित जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) से जुड़े थे। उन्होंने भारतीय सेना की वर्दी पहन रखी थी, जिससे वे सुरक्षा बलों को भ्रमित करने में सफल रहे और एयरबेस की सीमा में घुस गए।

हमले के दौरान आतंकियों ने ग्रेनेड और स्वचालित हथियारों का इस्तेमाल किया। भारतीय सुरक्षा बलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की। एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड), सेना और गरुड़ कमांडो ऑपरेशन में शामिल हुए। कई घंटों तक चले इस शुरुआती मुठभेड़ में चार आतंकवादी मारे गए, लेकिन दो और आतंकवादी छिपे रहे।

3-4 जनवरी 2016: ऑपरेशन जारी

3 और 4 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर ऑपरेशन जारी रहा, जहां सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने बचे हुए आतंकियों को ढूंढकर खत्म करने के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया। 3 जनवरी को सुरक्षाबलों ने पांचवें आतंकवादी को मार गिराया, लेकिन अभियान यहीं नहीं रुका। सुरक्षाबलों ने एयरबेस की गहन तलाशी जारी रखी, क्योंकि आशंका थी कि अब भी कोई आतंकवादी छिपा हो सकता है। आखिरकार, 4 जनवरी को अंतिम छठा आतंकवादी भी ढेर कर दिया गया, जिससे ऑपरेशन सफलतापूर्वक समाप्त हुआ।

5-6 जनवरी 2016: तलाशी और जांच

सुरक्षाबलों ने एयरबेस की पूरी तलाशी ली और विस्फोटकों को निष्क्रिय किया। इस दौरान एक बड़ा धमाका हुआ, जिसमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल सहित कई जवान घायल हो गए। विस्फोटक सामग्री को सुरक्षित तरीके से हटाने के प्रयास में यह दुर्घटना हुई।

हमले में भारतीय जवानों की शहादत और घायलों की संख्या

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इस घातक हमले में भारतीय सेना के सात बहादुर जवान शहीद हो गए, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। इसके अलावा, 20 से अधिक जवान और सुरक्षाकर्मी घायल हुए, जिनमें से कई की हालत गंभीर थी। शहीद जवानों में भारतीय वायुसेना, डिफेंस सिक्योरिटी कोर (DSC) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के सदस्य शामिल थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते हुए आतंकियों का डटकर सामना किया।

आतंकियों की पहचान और साजिश

हमले के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम सामने आया, जिसने इसकी जिम्मेदारी ली। जांच में पता चला कि आतंकियों को निर्देश पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय से मिल रहे थे। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कई सबूत पेश किए, जिनमें आतंकियों की बातचीत की रिकॉर्डिंग, ट्रेस किए गए फोन कॉल्स और अन्य तकनीकी प्रमाण शामिल थे।

ये प्रमाण इस बात की पुष्टि करते थे कि सभी आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे और हमले की योजना पाकिस्तान में ही बनाई गई थी। आतंकियों ने हमले से पहले अपने परिवारों से बातचीत की थी, जिससे उनकी पहचान स्पष्ट हो गई। भारत ने इन ठोस सबूतों के आधार पर पाकिस्तान से आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। पाकिस्तान ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच – Investigation Of NIA

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पठानकोट हमले की विस्तृत जांच की, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि हमलावर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे। जांच में यह भी सामने आया कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और आतंकवादी सीमापार से भारत में घुसे थे। जांच के आधार पर, भारत ने पाकिस्तान को सबूत सौंपे और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

उरी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक की पृष्ठभूमि – Uri Attack & Surgical Strike

पठानकोट हमले के कुछ महीनों बाद 18 सितंबर 2016 को उरी (जम्मू-कश्मीर) में एक और बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 19 भारतीय जवान शहीद हुए। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिससे भारत की आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक नीति की शुरुआत हुई।

हमले में हुई सुरक्षा चूक

पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हुए आतंकवादी हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था में कई कमजोरियों को उजागर किया। हालांकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को हमले की पूर्व सूचना मिल गई थी, फिर भी कुछ महत्वपूर्ण चूकें सामने आईं:-

खुफिया जानकारी का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया: हमले से पहले ही खुफिया एजेंसियों को आतंकवादी हमले की आशंका के संकेत मिल चुके थे। इसके बावजूद, सुरक्षा एजेंसियों ने इस अलर्ट को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे आतंकवादी एयरबेस तक पहुंचने में सफल हो गए।

सीमाओं की सुरक्षा में कमी:- आतंकवादी संभवतः भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके घुसे थे। पंजाब में रावी नदी और घने जंगलों के कारण सीमाओं पर सुरक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कमजोर था। बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) की गश्त और सुरक्षा व्यवस्था में खामियां थीं, जिनका आतंकवादियों ने फायदा उठाया।

एयरबेस की सुरक्षा में खामियां: आतंकवादी इतनी आसानी से एयरबेस में घुस गए, जो इस बात को दर्शाता है कि वहाँ पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं थे।

आतंकियों का कई घंटों तक एयरबेस में टिके रहना:- आतंकवादी कई घंटों तक एयरबेस में टिके रहे, जिससे यह साबित हुआ कि सुरक्षा बलों की त्वरित जवाबी कार्रवाई में कमी थी। यदि हमले की आशंका को गंभीरता से लिया जाता, तो आतंकवादियों को एयरबेस में घुसने से पहले ही रोका जा सकता था।

लंबे समय तक मुठभेड़: आतंकवादियों को मार गिराने में सुरक्षा बलों को 80 घंटे से अधिक समय लगा, जिससे यह सवाल उठा कि क्या ऑपरेशन को और कुशलता से अंजाम दिया जा सकता था।

हमले के बाद के प्रभाव – Effects After Attack

पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हुए आतंकवादी हमले का भारत की सुरक्षा व्यवस्था, कूटनीति और भारत-पाकिस्तान संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस हमले के बाद भारत ने सुरक्षा रणनीति में कई बदलाव किए, जबकि पाकिस्तान के साथ रिश्तों में और तनाव बढ़ गया।

पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा – International Pressure & Pakistan

भारत ने पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र (UN) और अमेरिका ने पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों पर लगाम कसने को कहा। पाकिस्तान ने हमले की जांच के लिए संयुक्त जांच दल (Joint Investigation Team - JIT) भेजने की पेशकश की, लेकिन भारत इससे संतुष्ट नहीं था।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया – National & International Reaction

हमले के बाद भारत में लोगों में गहरा आक्रोश था, और सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया। विपक्ष ने इस हमले को सुरक्षा में बड़ी चूक करार देते हुए सरकार की खुफिया नाकामी की आलोचना की। वहीं, इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा की गई।

अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन (America, France, Russia, and Britain) समेत कई देशों ने भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। संयुक्त राष्ट्र(United Nations - UN) ने भी इस हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन किया। इस वैश्विक समर्थन के बावजूद, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया, जिससे कूटनीतिक संबंधों में खटास आ गई।

Admin 2

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