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बिहार में उपभोक्ता फोरम के सुस्त रवैए से 'जागो ग्राहक जागो' का नारा फेल
शिशिर कुमार सिन्हा
पटना। जिला उपभोक्ता फोरम में वर्ष 2007 में 73वें नंबर पर दर्ज केस की 22 नवंबर 2017 को तारीख थी। यह 10 साल में यह करीबन 40वीं तारीख तो होगी ही। लेकिन, इस तारीख पर भी कुछ नहीं हुआ। 04 अप्रैल 2018 की तारीख दे दी गई। उपभोक्ता और उनके अधिवक्ता आए और हर बार की तरह सरकारी सिस्टम और उपभोक्ता फोरम को सौ अपशब्द कह निकल गए। नवंबर महीने तक तो फिर भी कुछ फरियादियों की बात उपभोक्ता फोरम में सुनी गई, फिलहाल तो वह भी बंद है। नवंबर के अंतिम हफ्ते से यहां सुनवाई बंद है और जनवरी के अंतिम हफ्ते तक यही हाल रहेगा। फिर सुनवाई शुरू भी होगी तो पारंपरिक तौर पर ज्यादातर में तारीख के लिए। उपभोक्ता फोरम की इसी हालत के कारण बिहार में 'जागो ग्राहक जागो' अभियान औंधे मुंह गिरा पड़ा है।
कंपनियों का मनोबल बढ़ रहा बिहार में
बिहार में कंपनियों का मनोबल बढ़ा रहा है उपभोक्ता फोरम- यह कहना कहीं से गलत नहीं होगा। उपभोक्ता फोरम में फरियाद लगाने वालों से बातचीत में एक ही बात सामने आती है कि तारीख-दर-तारीख की परंपरा स्थापित कर दिए जाने से कंपनियां मनमानी पर उतर आई हैं। उपभोक्ताओं को परेशान करने वाली कंपनियां बाकायदा कहती हैं कि उन्होंने तारीख ले ली है या वह तारीख ले लेंगे। पहले तो उपभोक्ता फोरम के भरोसे रहने पर कंपनियों को नोटिस नहीं मिलता और अगर आप खुद भी नोटिस लेकर स्पीड पोस्ट के जरिए तामिला करा दें तो आगे की प्रक्रिया में तारीख से ज्यादा कुछ नसीब नहीं होता।
पटना हाईकोर्ट के साथ उपभोक्ता फोरम का भी केस देखने वाले कुछ उपभोक्ताओं ने 'अपना भारत' से कहा कि जब न्यायिक प्रक्रिया की जानी है तो जिम्मेदारी के साथ होनी चाहिए। रिटायर्ड जज बैठाए जाते हैं, जो उम्र के हिसाब से अपनी जरूरतें और प्राथमिकताएं तय करते हैं। उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के लिए सख्ती की जरूरत है, लेकिन फिलहाल कर्मियों की कमी का रोना छोड़कर कोई बात नहीं सुनाई देती है उपभोक्ता फोरम के जिम्मेदारों की जुबान से।
बिहार में उपभोक्ता फोरम के सुस्त रवैए से 'जागो ग्राहक जागो' का नारा फेल
इन दिनों रोज सिर्फ तारीखों का नोटिस
2017 के अंतिम महीने में उपभोक्ता फोरम में हर दिन बस एक ही काम हो रहा है- क्रमवार तारीख देना। उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष (रिटायर्ड जज) फिलहाल छुट्टी पर हैं और काम देख रहीं सदस्य सिर्फ तारीख देने के लिए प्राधिकृत हैं। हर दिन सदस्य के हस्ताक्षर से नई तारीख का पत्र नोटिस बोर्ड पर चस्पा हो रहा है।
नवंबर के अंतिम हफ्ते से अब तक जितने भी मामलों की तारीखें आईं, उन्हें नई तारीख दे दी गई। फिलहाल सारे केस में अप्रैल-मई की तारीख मिल रही है। यह सिलसिला जनवरी तक चलेगा, यानी 2018 के पहले महीने के लिए जिन उपभोक्ताओं को फोरम ने तारीख दे रखी है, उन्हें मई-जून की कोई तारीख दे दी जाएगी। यह सारा काम तब हो रहा है, जब प्रावधान के तहत उपभोक्ता को 90 दिनों के अंदर न्याय दिला देना जरूरी कहा गया है।
'' फिलहाल तो अध्यक्ष महोदय किसी काम से बाहर गए हैं, इसलिए तारीख देने के अलावा कोई विकल्प नहीं। वैसे, कर्मियों की कमी के कारण उपभोक्ता फोरम में काम करना थोड़ा असहज है। विषम परिस्थितियों के बीच जो भी संभव है, बेहतरी का प्रयास किया जाता है।''
करिश्मा मंडल, सदस्य, पटना जिला उपभोक्ता फोरम