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पटना: अब विधायकों को भी याद आ गया अपना विद्यार्थी जीवन

पढ़ाई की उम्र में जो स्कूल नहीं गए, उन्हें इस उम्र में भी विद्यार्थी जीवन का अनुभव मिल गया। जो पढ़े हैं, उन्हें तो हाजिरी लगाने के बाद क्लास छोड़ भागने पर कभी-कभी लगने वाला जुर्माना और मिलने वाली सजा की याद आ गई। सभी बिहार के विधायक हैं। मंगलवार को विधानसभा में ऐसी सीख मिली कि बुधवार को उनके अलावा विधान परिषद् में भी सत्ता पक्ष के सदस्य हाजिरी के बाद गायब नहीं हुआ।

Roshni Khan
Published on: 10 July 2019 11:07 AM GMT
पटना: अब विधायकों को भी याद आ गया अपना विद्यार्थी जीवन
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पटना: पढ़ाई की उम्र में जो स्कूल नहीं गए, उन्हें इस उम्र में भी विद्यार्थी जीवन का अनुभव मिल गया। जो पढ़े हैं, उन्हें तो हाजिरी लगाने के बाद क्लास छोड़ भागने पर कभी-कभी लगने वाला जुर्माना और मिलने वाली सजा की याद आ गई। सभी बिहार के विधायक हैं। मंगलवार को विधानसभा में ऐसी सीख मिली कि बुधवार को उनके अलावा विधान परिषद् में भी सत्ता पक्ष के सदस्य हाजिरी के बाद गायब नहीं हुआ।

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दरअसल, सत्तारूढ़ राजग की ओर से व्हिप जारी होने के बावजूद मंगलवार को वित्त विधेयक के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्य सदन से कुर्सियां छोड़कर गायब थे और मौके का फायदा उठाने के लिए विपक्ष ने विधेयक पर वोटिंग की मांग कर दी थी। वोटिंग का बेल सुनकर जो आसपास थे, दौड़े आए। विधेयक तो संख्या बल में कुछ अधिक होने के कारण बच गया, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुस्से की खबर आग की तरह फैल गई। इसी का असर बुधवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में देखने को मिला।

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आम तौर पर विधानसभा और परिषद् के सदस्य सदन में सुबह 11 बजे के बाद भी पहुंचते थे, लेकिन बुधवार को साढ़े दस बजते-बजते बाहर गाड़ियां भर गईं और अंदर विधायक-विधान पार्षद भी सीटों पर विराजमान हो गए। मंगलवार की घटना को लेकर रातभर मुख्यमंत्री के गरम तेवर और व्हिप के उल्लंघन पर कार्रवाई की चर्चा के बाद सुबह विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्या समय पर हाजिरी बनाते भी दिखे और लंच के बाद भी सीटों से इधर-उधर नहीं नजर आए।

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मंगलवार को आम दिनों की तरह विधानसभा के सदस्य हाजिरी बनाने के बाद निकल गए थे। वही रुके थे, जिन्हें वित्त विधेयक पर चर्चा में शामिल होना था। यही कारण है कि विपक्ष के वोटिंग प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष की बेल के बाद दौड़ते-भागते विधायकों के पहुंचने के बावजूद वित्त विधेयक 52 के मुकाबले 85 वोट से पास हो सका था। सदन में सत्ता पक्ष के 102 विधायक वोटिंग के समय मौजूद नहीं थे।

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