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Pegasus Snooping Case: सुप्रीम कोर्ट में आज पेगासस मामले पर सुनवाई, पत्रकारों और नेताओं की जासूसी का है आरोप

Pegasus Snooping Case: इस मामले में कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जियां दायर की थीं। इनकी मांग थी कि कोर्ट के जजों की निगरानी में इसकी जांच की जाए।

Krishna Chaudhary
Published on: 25 Aug 2022 10:32 AM IST
Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट। (photo: social media )

Pegasus Snooping Case: सुप्रीम कोर्ट आज पेगासस मामले में सुनवाई करेगा। इस मामले की जांच के लिए गठित एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी है। केंद्र सरकार पर आरोप है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए उसने 1400 लोगों की जासूसी करवाई है। दावा किया गया है कि इनमें 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक महानुभाव, केंद्र सरकार के दो मंत्री, जांच एजेंसियों के उच्च अधिकारी और कई दिग्गज उद्योगपति शामिल हैं।

इस सॉफ्टवेयर को लेकर दावे किए जा रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई, 2017 में जब इजरायल के दौरे पर गए थे, उस दौरान भारत – इजरायल के बीच दो अरब डॉलर के रक्षा सौदे हुए थे। इस सौदे में पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भी शामिल था। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल फोन के जरिए किसी की जासूसी करने के लिए किया जाता है। हालांकि, केंद्र सरकार ने संसद और सुप्रीम कोर्ट में इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था।

प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए – सुप्रीम कोर्ट

इस मामले में कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जियां दायर की थीं। इनकी मांग थी कि कोर्ट के जजों की निगरानी में इसकी जांच की जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी, अदालत ने कहा था कि हर किसी की निजता की रक्षा होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रविंद्रन के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2021 को एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में अध्यक्ष आरवी रविंद्रन के साथ पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और डॉक्टर संदीप ओबोरॉय शामिल हैं। वहीं केंद्र सरकार याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए आरोपों को खारिज कर चुकी है। सरकार का कहना है कि जासूसी का दावा अनुमानों पर आधारित है।

पेगासस क्या है ?

पेगासस एक स्पाइवेयर है। यह जासूसी और निगरानी करने वाला एक सॉफ्टवेयर है। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का सारा डेटा हैकर के पास पहुंच जाता है। इस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर को इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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