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परफेक्ट बॉडी लैंग्वेज अपनाकर बनाएं एक अलग पहचान

raghvendra
Published on: 8 Dec 2017 1:40 PM IST
परफेक्ट बॉडी लैंग्वेज अपनाकर बनाएं एक अलग पहचान
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जरूरी है पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज

नई दिल्ली : दफ्तर हो या कोई महफिल या कोई सोशल बैठक कई बार हम अपने आप को दमदार तरीके से प्रेजेंट नहीं कर पाते। इसकी एक अहम वजह है हमारी बॉडी लैंग्वेज। थकी हुई या निगेटिव बॉडी लैंग्वेज के साथ हमारा बॉस या साथ काम करने वाले लोग या कोई भी व्यक्ति हमें एक थका हुआ इंसान मान बैठते हैं। लेकिन यह समझना जरूरी है कि इन हालात को बदला जा सकता है। परफेक्ट बॉडी लैंग्वेज को अपनाकर हम-आप खुद को बूस्ट करने के साथ एक अलग पहचान बना सकते हैं। तो करें क्या?

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>जब भी किसी से खड़े होकर बात करें तो हमेशा अपने कंधे सीधे रखे, लेकिन यह याद रखें कि आपकी बॉडी लैंग्वेज में किसी किस्म की अकड़ नहीं होनी चाहिए। क्योंकि अकड़ लोगों को आपके प्रति सकारात्मक बनाने की जगह नकारात्मक >हमेशा खड़े रहने पर पंजों को आपस में जोड़ कर रखें और शरीर का भार निचले हिस्से में रहे। यह अवस्था सामने वाले को आपके प्रति बेहद कम्फर्ट जोन में ले आती है।

>बोलते समय अपनी भाषा पर संयम बनाने के साथ उसकी पिच का भी बेहद ध्यान रखें। हमेशा तेज बोलना लोगों में आपकी नकारात्मक छवि बनाता है।

>बोलते हुए स्पष्टता का ध्यान रखें, रुक-रुक कर बोलना आपकी छवि को कमजोर बनाता है।

>किसी से रूबरू होते समय आंखों में आंखें डाल कर देखें। लेकिन यह जरूर ध्यान रहे कि सामने वाला उस दौरान सामने वाला असहज न महसूस करे।

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>किसी से मिलने के दौरान बोलते हुए अपनी बात समझाने के लिए अपने हाथों का भी प्रयोग करें, क्योंकि ऐसा करना आपके विचारों में स्पष्टता लाता है।

>हाथों की हथेली को बांधने के बजाय खुला रखें। बंद मुट्ठी सामने वाले को यह फील देती है जैसे कि आपने कोई चीज छिपा रखी है।

>किसी मीटिंग, इंटरव्यू के दौरान बात करते हुए हाथों को आपस में रगड़ें नहीं करें। पैरों को भी लगातार नहीं हिलाएं। बार-बार चेहरे, नाक को छुएं नहीं। यह सारी चीजें आपके नर्वस होने का संकेत देती हैं।

>हाथ मिलाने के दौरान पूरी गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाएं। यह आपके आत्मविश्वास का सबसे बड़ा परिचायक है ।

>सबसे जरूरी बात - जिससे भी मिलें मुस्कुराकर मिलें, एक मुस्कुराहट आस-पास के माहौल को भी खुशनुमा बना देती है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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