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500-1000 की नोट बंद होने के खिलाफ मुबंई HC में दायर की गई याचिका
मुंबईः मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 रूपयों के नोटों को बैन करने के मामले पर मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले पर किसी भी प्रकार का अंतरिम आदेश देने से इनकार किया है।
बता दें कि यह याचिका दो वकीलों ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने यह फैसला बेहद जल्दबाजी में लिया है। सरकार को इतने बड़े फैसले को लागू करने से पहले जनता को समय देना चाहिए था। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य अच्छा हो सकता है लेकिन इससे करोड़ों नागरिकों की परेशानी बढ़ गई है। लोगों को अपनी रोजमर्रा की आवश्यक चीजों के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे व्यापार और कारोबार ठप हो गए है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या कहा याचिकाकर्ता ने?...
याचिकाकर्ता और वकील जमशेद मिस्त्री ने जज एमएस कर्णिक के सामने सुनवाई के दौरान कहा कि नियमानुसार नोटों को चलन में रोकने का फैसला या तो कानून में संशोधन करके किया जा सकता है या फिर इसके लिए अध्यादेश लाया जाना चाहिए। यह काम सिर्फ सरकारी नोटिफिकेशन द्वारा नहीं किया जा सकता है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें पहले भी जारी किए गए थे आध्यादेश...
1978 में भी बड़ी राशि वाले नोटों का चलन बंद करने का अध्यादेश जारी किया गया था जो बाद में बदल दिया गया था। इस दौरान लोगों को अपने पुराने नोटों को नए नोटों में बदलवाने के लिए एक सप्ताह का समय मिला था।
आगे की स्लाइड में पढ़ें रिजर्व बैंक ने जारी की थी अधिसूचना...
याचिकाकर्ता ने बताया कि 2 नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सभी सरकारी बैंकों को एक अधिसूचना जारी की गई थी। इस अधिसूचना में कहा गया था कि सभी बैंक अपने एटीएम में 100 रुपए के ज्यादा नोट उपलब्ध कराएं और कहा गया था कि नए नोट लाने का काम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया जाएगा।