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Romeo Juliet Law: रोमियो-जूलियट कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, केंद्र से मांगा जवाब, जानें क्या कहता है ये लॉ

Romeo Juliet Law: रोमियो-जूलियट कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें किशारों द्वारा सहमति से यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की मांग की गई है।

Krishna Chaudhary
Published on: 19 Aug 2023 10:29 AM GMT (Updated on: 19 Aug 2023 3:59 PM GMT)
Romeo Juliet Law: रोमियो-जूलियट कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, केंद्र से मांगा जवाब, जानें क्या कहता है ये लॉ
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रोमियो-जूलियट कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, केंद्र से मांगा जवाब: Photo- Social Media

Romeo Juliet Law: सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें किशारों द्वारा सहमति से यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की मांग की गई है। इसे रोमियो-जूलियट कानून कहा जाता है। दुनिया के कई देशों ने इस कानून को अपने यहां अपनाया है। अब भारत में भी इसको लेकर मांग उठने लगी है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

दरअसल, मौजूदा कानून के तहत अगर नाबालिग लड़का और लड़की आपस में शारीरिक संबंध बनाते हैं और लड़की इससे गर्भवर्ती हो जाती है, तो फिर नाबालिग लड़के को रेप के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में हर बार केवल एक पक्ष (लड़का) को दोषी ठहराना गलत है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने की।

पेशे से वकील याचिकाकर्ता हर्ष विभोर सिंघल की ओर से कोर्ट में पेश की गई दलील में कहा गया कि 16-18 आयु वर्ग की लड़कियों के साथ आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने वाले लड़के जिनके उम्र 18 या उससे अधिक है, की गिरफ्तारी गलत है।

उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए एक अध्ययन का जिक्र करते हुए कहा कि देश में 25-49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं ने अपना शारीरिक संबंध में 15 साल की आयु से पहले किया था। इसी प्रकार 39 प्रतिशत महिलाओं ने पहली बार शारीरिक संबंध 18 वर्ष की उम्र से पहले बना लिए थे।

क्या है रोमियो-जूलियट कानून ?

रोमियो-जूलियट कानून को वर्तमान में कई देश अंगीकार कर चुके हैं। इस कानून के मुताबिक, वैधानिक रेप के आरोप किशोर यौन संबंधों के मामले में केवल तभी लागू हो सकते हैं, जब लड़की नाबालिग हो और लड़का व्यस्क हो। सरल शब्दों में कहें तो इस कानून का मकसद लड़कों को गिरफ्तारी से बचाना है। इस कानून में किए गए प्रावधान के अनुसार, अगर किसी लड़के की आयु नाबालिग लड़की से चार साल से अधिक नहीं है, तो वह आपसी सहमति से बनाए गए संबंधों में दोषी नहीं माना जाएगा।

क्या है पॉक्सो एक्ट ?

देश में बच्चों के साथ यौन अपराध पर लगाम कसने के लिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट यानी पॉक्सो साल 2012 में लाया गया था। इसका मकसद 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चे की सहमति महत्वहीन है। ऐसे में कोई शख्स यदि किसी कम उम्र के शख्स के साथ यौन संबंध बनाता है तो उसे यौन उत्पीड़न का दोषी माना जाएगा। इसके अलावा आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक, 16 साल से कम उम्र की लड़के के साथ यौन संबंध बनाना रेप माना जाएगा, भले ही वह संबंध आपसी सहमति से क्यों न बना हो।

Krishna Chaudhary

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