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Delhi हाईकोर्ट में PIL, इतिहास की किताबों से हटे ताज महल निर्माण पर 'गलत ऐतिहासिक तथ्य'
PIL on Taj Mahal : जनहित याचिका में कहा गया है कि ASI ने अपनी वेबसाइट पर 'गलत जानकारी' दी है। जिसमें 1648 में ताजमहल का निर्माण पूरा होने में लगभग 17 साल लगे थे।
PIL on Taj Mahal : स्कूलों और कॉलेजों में इतिहास की किताबों से मुग़ल शासक शाहजहां द्वारा बनवाए ताज महल से संबंधित कथित 'गलत ऐतिहासिक तथ्यों' को हटाने की मांग की गई है। इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा (Chief Justice Satish Chandra Sharma) और जस्टिस तुषार राव गेडेला (Justice Tushar Rao Gedela) की खंडपीठ शुक्रवार (02 नवंबर) को इस मामले पर सुनवाई कर सकती है।
ये याचिका सुरजीत सिंह यादव (Surjit Singh Yadav) ने दायर की है। सुरजीत एक एनजीओ हिंदू सेना के अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि, राजा मान सिंह (Raja Maan Singh) के महल को ध्वस्त करने और उसी जगह पर ताज महल के नए सिरे से निर्माण का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है।
राजा मान सिंह के महल के उम्र की हो जांच
जनहित याचिका (PIL) में उत्तरदाताओं में केंद्र सरकार (Central government), भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) और साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य शामिल हैं। यादव ने एएसआई को 31 दिसंबर, 1631 को राजा मान सिंह के महल सहित ताज महल की उम्र के बारे में जांच करने तथा अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की मांग की है।
'पादशाहनामा' का दिया हवाला
पीआईएल में राजा मान सिंह के महल का 'सही इतिहास' प्रकाशित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की भी मांग की है। इसे शाहजहां ने 1632 से 1638 तक पुनर्निर्मित किया था। यह दावा करते हुए कहा था कि, उक्त तथ्यों को अब्दुल हामिद लाहौरी (Abdul Hamid Lahori) और काज़विनी द्वारा लिखित 'पादशाहनामा' (Padshahnama) नामक पुस्तक से निकाला जा सकता है।
लोगों को ताज के निर्माण के बारे में जानने का अधिकार
सुरजीत यादव का दावा है कि, PIL में कथित तथ्यों की जानकारी का स्रोत सार्वजनिक रिकॉर्ड, आरटीआई आवेदन, वेबसाइट तथा ऐतिहासिक किताबें हैं। याचिका में ये भी कहा गया है कि, 'क्योंकि लोगों को ताज महल के निर्माण के इतिहास से जुड़े सही तथ्यों और जानकारी के बारे में जानने का अधिकार है। इसका खुलासा न करना या पब्लिक डोमेन में ताज महल के निर्माण से संबंधित गलत तथ्य डालना लोगों को वंचित कर देगा।'
ताज महल बनने में लगे 17 साल, ये तथ्य गलत
ये भी कहा गया है कि ASI ने अपनी वेबसाइट पर 'गलत जानकारी' दी है। जिसमें 1648 में ताजमहल का निर्माण पूरा होने में लगभग 17 साल लगे थे। यादव ने दावा किया है कि, मुमताज महल का मकबरा (Tomb of Mumtaz Mahal) 1638 तक लगभग पूरा हो गया था। याचिका में कहा गया है कि इसलिए ताजमहल को बनाने में 17 साल का समय लगने का प्रचार करने वाला ऐतिहासिक तथ्य तथ्यात्मक रूप से गलत है।