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Law Education: लॉ की पढ़ाई अब 12 भाषाओं में, तैयार हो रहीं किताबें
Law Education: भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की योजना 2023-24 शैक्षणिक सत्र तक क्षेत्रीय भाषाओं में कानून पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की है।
Law Education: देश के 1,000 से अधिक कॉलेजों में अगले साल से 12 भारतीय भाषाओं में कानूनी शिक्षा देने की योजना है।बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा कानूनी शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए एक राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया है। भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की योजना 2023-24 शैक्षणिक सत्र तक क्षेत्रीय भाषाओं में कानून के छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की है।
'भाषाओं में कानूनी शिक्षा की अनुमति'
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा है कि समिति क्षेत्रीय भाषाओं में अच्छी कानूनी पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन सुनिश्चित करेगी ताकि संस्थानों को स्थानीय भाषाओं में कानूनी शिक्षा प्रदान करने में कोई कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि बीसीआई के नियम पहले से ही स्थानीय भाषाओं में कानूनी शिक्षा की अनुमति देते हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चामू कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि भारतीय भाषाओं में कानून की पढ़ाई एक ऐतिहासिक कदम है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परिकल्पित भारतीय लोकाचार में निहित कानूनी शिक्षा प्रणाली को आकार देगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में कानून के छात्रों के लिए स्थानीय भाषाओं में ज्यादा अध्ययन सामग्री नहीं है। ऐसे में आवश्यकता गुणवत्तापूर्ण कानूनी पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की है। कुछ कानूनी किताबें हिंदी और तमिल में हैं, लेकिन अन्य स्थानीय भाषाओं में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष स्थानीय भाषाओं में अच्छी गुणवत्ता वाली सामग्री और पाठ्यपुस्तकों के निर्माण पर फोकस है। इसके बाद लॉ कॉलेजों से 2023-24 से उनका उपयोग शुरू करने का अनुरोध किया जाएगा।
पैनल के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी, प्रोफेसर एम जगदीश कुमार (अध्यक्ष, यूजीसी), प्रोफेसर ईश्वर भट (पूर्व कुलपति, राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनयूजेएस) कोलकाता और कर्नाटक विधि विश्वविद्यालय), डॉ एस वैद्यसुब्रमण्यम (कुलपति, शास्त्र विश्वविद्यालय, तमिलनाडु) और डॉ गोपकुमार शर्मा, (संयुक्त सचिव, यूजीसी)।
12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने की योजना
शास्त्री ने कहा कि भारत में निचली न्यायपालिका में स्थानीय भाषाओं का उपयोग किया जाता है जबकि उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में, भाषा मुख्य रूप से अंग्रेजी है। आब अदालतों पर स्थानीय भाषाओं में निर्णयों का अनुवाद करने का दबाव होगा। लगभग 90 फीसदी लोगों को न्याय से वंचित कर दिया जाता है क्योंकि वे न तो कानूनों को समझते हैं और न अपने जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों को समझते हैं। शास्त्री ने कहा कि स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों के आने से अदालतों पर भी असर पड़ेगा।
बता दें कि बीसीआई कानून की पढ़ाई का पाठ्यक्रम निर्धारित करता है, जबकि लॉ कॉलेज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से संबद्ध हैं।
यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा है कि यह समिति पहचान करेगी कि किन पुस्तकों का पहले अनुवाद किया जाना है। शुरुआत में हम इनका 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने की योजना बना रहे हैं। यह वकीलों को क्षेत्रीय भाषाओं में दस्तावेज तैयार करने और अपने मुवक्किलों के साथ उनकी मातृभाषा में बातचीत करने में मदद करेगा। स्थानीय अदालतों में भी तर्क स्थानीय भाषाओं में ही होते हैं।
यूजीसी जिन 12 भारतीय भाषाओं में कानूनी पाठ्यक्रम शुरू करने का लक्ष्य बना रहा है, वे हैं हिंदी, गुजराती, असमिया, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू।
पिछले साल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने 19 तकनीकी कॉलेजों को क्षेत्रीय भाषाओं में चुनिंदा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम चलाने की अनुमति दी थी। इनमें से 10 ने हिंदी को चुना और बाकी ने मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ का विकल्प दिया।