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Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न के जरिए PM मोदी का बड़ा सियासी दांव,जदयू और राजद में बेचैनी,BJP लगा सकती है बड़े वोट बैंक में सेंध

Karpoori Thakur: एक दिन पहले अयोध्या के भव्य मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए हिंदुत्व का बड़ा कार्ड चलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान करके बड़ा पिछड़ा दांव चल दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 24 Jan 2024 9:20 AM IST
PM Modi Karpoori Thakur
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PM Modi Karpoori Thakur  (photo; social media )

Karpoori Thakur: मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, समाजवादी पुरोधा और पिछड़ों में मजबूत दखल रखने वाले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। 2024 की सियासी जंग से पहले मोदी सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। एक दिन पहले अयोध्या के भव्य मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए हिंदुत्व का बड़ा कार्ड चलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान करके बड़ा पिछड़ा दांव चल दिया है। कमंडल के बाद मंडल की इस राजनीति से विपक्षी दलों में भी खलबली मच गई है।

स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के सौवीं जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें भारत रत्न देने के ऐलान से बिहार के दो प्रमुख सियासी दलों जदयू और राजद में बेचैनी दिख रही है। पीएम मोदी ने पटना में आज कर्पूरी ठाकुर की सौवीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों से पहले इन दोनों दलों से बड़ा मुद्दा छीन लिया है। दोनों दलों की ओर से आज कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न का सम्मान दिए जाने की मांग दोहराने की तैयारी थी मगर अब दोनों दलों को मांग करना तो दूर मोदी सरकार के प्रति आभार जताना होगा।

सामाजिक न्याय की अलख जगाने वाले नेता

बिहार की सियासत में कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक न्याय की अलख जगाने वाले नेता के रूप में माना जाता है। साधारण नाई परिवार में जन्म लेने वाले कर्पूरी ठाकुर ने पूरी जिंदगी कांग्रेस विरोधी राजनीति की और बड़ा सियासी मुकाम हासिल किया। बिहार में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त करने वाले कर्पूरी ठाकुर ने पूरी जिंदगी समाज के दबे-पिछड़े लोगों के हितों के लिए काम किया।

गरीबों,पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक के लिए उन्होंने ऐसे तमाम काम किए जिससे बिहार की सियासत में आमूलचूल बदलाव आया। इससे कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक ताकत काफी बढ़ गई और वे बिहार की सियासत में समाजवाद का चेहरा बन गए।


नीतीश और लालू दोनों के मेंटर थे कर्पूरी

बिहार की सियासत में आज सबसे बड़े दिग्गज माने जाने वाले दोनों नेताओं नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने कर्पूरी ठाकुर की उंगली पकड़कर ही राजनीति के गुरु सीखे थे। दो बार बिहार का मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उनका पूरा जीवन काफी सादगी से भरा हुआ था और उनकी सादगी के किस्से बिहार की सियासत में आज भी मशहूर हैं।

उन्होंने मंडल आयोग से भी पहले मुख्यमंत्री रहते हुए पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण दिया था। ऐसे में उन्हें भारत रत्न दिए जाने का ऐलान बिहार की सियासत में बड़ा असर डालने वाला कदम साबित हो सकता है।


मोदी के दांव से दोनों खेमों में खलबली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासी दांव ने नीतीश और लालू दोनों के खेमों में खलबली मचा दी है। अभी तक पिछड़ा का दांव खेलते हुए ये दोनों नेता बिहार की सियासत में काफी कामयाब रहे हैं। जाति जनगणना के बाद नीतीश कुमार ने पिछड़े समाज की अगुवाई करने का झंडा बुलंद करने की कवायद शुरू की थी।

इससे बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन को 2024 की सियासी जंग में बड़ी जीत की आस दिख रही थी मगर पीएम मोदी के सियासी दांव ने इस राह में अड़गा डाल दिया है। इसे पीएम मोदी और भाजपा का बड़ा सियासी दांव इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इससे नीतीश और लालू दोनों की सियासत पर बड़ा असर पड़ना तय है।


बिहार की राजनीति में कर्पूरी बड़ा फैक्टर

सियासी जानकारों का कहना है कि कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 1988 में कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया था, लेकिन इतने साल बाद भी बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच उनकी काफी लोकप्रियता बनी हुई है। यह भी गौर करने लायक बात है कि बिहार में पिछड़ों और अतिपिछड़ों की आबादी करीब 52 प्रतिशत है।

पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं में पैठ बनाने के लिए सभी राजनीतिक दल कर्पूरी ठाकुर के नाम का उपयोग करते रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में कर्पूरी ठाकुर सुविधा केंद्र खोलने का ऐलान अनायास नहीं किया था। इसके पीछे भी सोची समझी राजनीति थी।


कमंडल के बाद अब मंडल वाला दांव

अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन ही मोदी सरकार की ओर से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के ऐलान को बड़ा सियासी कदम माना जा रहा है। बिहार में जाति जनगणना के बाद महागठबंधन की ओर से पिछड़े मतदाताओं को गोलबंद करने की कोशिश की जा रही थी मगर इस कदम के जरिए भाजपा ने इस गोलबंदी में सेंध लगाने की बड़ी कोशिश की है। नीतीश कुमार और लालू यादव की पूरी राजनीति पिछड़े और अति पिछड़े वोट बैंक पर ही आधारित रही है।

कर्पूरी ठाकुर का नाम भुनाने के लिए ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कर्पूरी ठाकुर के गांव में तीन दिवसीय आयोजन भी किया था। आज कर्पूरी ठाकुर की जयंती के सिलसिले में वहां पर बड़ी रैली भी करने की तैयारी है। इस रैली में कर्पूरी को भारत रत्न देने की मांग दोहराने की तैयारी थी मगर अब यह मुद्दा जदयू और राजद से छिन गया है।

भाजपा करेगी मुद्दे को भुनाने की कोशिश

दोनों दलों की ओर से लंबे समय से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की जा रही थी। यही कारण था कि केंद्र सरकार की ओर से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न का ऐलान दिए जाने के बाद जदयू और राजद को खुशी जताते हुए इस कदम का स्वागत करना पड़ा। हालांकि राजद बीजेपी पर तंज कसने से बाज नहीं आया। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यही लोग पहले कर्पूरी ठाकुर को जी भरकर कोसा करते थे।

अब आज कर्पूरी ठाकुर के जन्मशती समारोह के दौरान जदयू और राजद को भारत रत्न देने के केंद्र के फैसले के प्रति मजबूरन आभार जताना होगा। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न के ऐलान के बाद अब सभी पार्टियों और नेताओं को आज होने वाले कार्यक्रमों में अपने भाषण की स्क्रिप्ट बदलनी होगी।

दूसरी ओर भाजपा इसे पिछड़ी जातियों के सम्मान के तौर पर भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। 2024 की सियासी जंग के मद्देनजर यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और उसका सियासी असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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