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Foreign Policy Of India: पीएम मोदी की कूटनीति की दुनिया कायल, विदेश नीति का बज रहा डंका, SCO से लेकर UN तक लहरा रहा परचम
Foreign Policy Of India: पीएम मोदी की विदेश नीति का दुनिया में भर सराहना हो रही है। SCO से लेकर UN की बैठक में भारत की ताकत दिखाई दे रही है।
Foreign Policy Of India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद से कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। विदेश नीति इन्हीं में से एक है। पीएम मोदी जिस पृष्ठभूमि से निकले हैं, उसे देखें तो ये उपलब्धि असाधारण है। दक्षिणपंथी रूझान रखने के बावजूद उन्होंने दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन के साथ नए सिरे से संबंध सुधारने की कोशिश की। अरब देशों के नेताओं के साथ उनके क्या संबंध हैं, ये तो जगजाहिर है। वैश्विक मुद्दों पर अब भारत की राय मायने रखती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक नेताओं के साथ अपने संबंधों में एक ऐसा निजी टच देते हैं, जिसे विदेश नीति के धुरंधर भी नहीं कर पाते। इसका उदाहरण है प्रधानमंत्री का अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों के साथ संबंध। पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद से दुनिया की सबसे ताकतवर जगह माने जाने वाले व्हाइट हाउस में तीन चेहरे बदल चुके हैं लेकिन अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में आई गर्माहट बरकरार है।
शीत युद्ध के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्ष रहने का ऐलान किया था लेकिन हकीकत में उसका झुकाव सोवियत युनियन की तरफ था। क्योंकि उस दौरान भारत दोनों सुपरपॉवर को नाराज करने की स्थिति में नहीं था। लेकिन रूस – यूक्रेन जंग के दौरान भारत के रूख ने दुनिया को बता दिया कि अब वो वक्त काफी पीछे छूट गया है। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के तमाम दवाबों के बावजूद भारत ने रूस से संबंध तोड़ने और उसके विरूद्ध लगे बैन का समर्थन करने से इनकार कर दिया। साथ ही भारत ने आंख मूंदकर रूस का समर्थन भी नहीं किया।
पिछले दिनों रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि ये समय जंग का नहीं है। भारत के प्रधानमंत्री के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरीं। इतना ही नहीं फ्रेंच प्रेसिंडेंट इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी के कथन को संयुक्त राष्ट्र सभा की बैठक में कोट भी किया। विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार वैश्विक मंचों पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के रूस–यूक्रेन जंग में भारत की भूमिका से जुड़े तीखे सवालों का सख्त जवाब दे रहे हैं।
यूएन में दिखा भारत का जलवा
संयुक्त राष्ट्र महासभा की हालिया बैठक ने दुनिया में बढ़ रहे भारत के रूतबे को रेखांकित किया है। महासभा के सत्र में 10 देशों ने दुनिया को टीके उपलब्ध कराने और देशों को अपने खाद्य सुरक्षा संकट से निपटने में मदद करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया। भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की दावेदारी के लिए प्रमुख देशों का समर्थन भी मिला। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक से इतर दुनिया भर के लगभग 100 नेताओं से मुलाकात की। डॉ जयशंकर ने बताया कि आज दुनिया में धारणा है कि भारत एक स्थिर शक्ति है, जो पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु के रूप में कार्य कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया जानना चाहती है कि भारत वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से कैसे सहजता से लड़ रहा है। वे सभी भारत से सबक लेना चाहते हैं।
भारत को मिली एससीओ की अध्यक्षता
मध्य एशियाई देश समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारत का जलवा देखने को मिला है। एससीओ की समिट में भारत को अगला अध्यक्ष बना दिया गया है। यानी अगले साल एससीओ का सम्मेलन भारत में होगा। इस दौरान चीन का दबदबा एससीओ से कम होता नजर आ रहा है, क्योंकि अब इस संगठन का दायरा बढ़ चुका है। विदेश नीति के जानकार कहते हैं कि भारत 2023 में कुछ ऐसे देशों को बुला सकता है जिससे चीन की असहजता बढ़ जाएगी।
मंदी के साये के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है। हालिया ही में भारत ब्रिटेन को छोड़कर दुनिया की पांचवी बडी इकोनॉमी बन गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का रूतबा लगातार बढ़ रहा है। भारत अगले साल दुनिया के 20 ताकतवर देशों का समूह जी-20 की बैठक की मेजबानी करने वाला है। काफी संभव है कि ये बैठक जम्मू कश्मीर में आयोजित की जाएगी, जिसे लेकर पाकिस्तान और उसके समर्थक देश दुनिया भर में प्रोपेगैंडा फैलाते रहते हैं। पीएम मोदी की विदेशी नीति की मजबूती 5 अगस्त 2019 के उस ऐतिहासिक फैसले (जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति) के बाद भी दिखी, जिसे वैश्विक प्रतिक्रियाओं के डर के के कारण किसी ने छूने की हिम्मत नहीं दिखाई थी।
अंग्रेजी भाषा की कम जानकारी और विदेश मामलों में जीरो अनुभव के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत की विदेश नीति को जिस ऊंचाईयों पर पहुंचाया है, उसकी हर जगह तारीफ हो रही है।