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पीएम मोदी ने किया असम के तिनसुकिया में देश के सबसे लंबे पुल का शुभारंभ
गुवाहाटी: पीएम नरेंद्र मोदी ने असम के तिनसुकिया में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल 'धौला-सादिया महासेतु' का उद्घाटन किया। इस पुल से असम और अरुणाचल प्रदेश की दूरी 165 किमी. कम हो जाएगी। पुल की चीन बॉर्डर से हवाई दूरी 100 किमी है। असम-अरुणाचल के बीच के सफर में 5 घंटे की कमी आएगी।
इस पुल के बनने से पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में संचार सुविधा काफी बेहतर हो जाएगी। पुल का सबसे बड़ा लाभ भारतीय सेना को होगा। पुल से सेना को असम से अरुणाचल प्रदेश स्थित भारत- चीन सीमा तक पहुंचने में तीन से चार घंटे का समय लगेगा। इस सीमा पर भारत की किबिथू, वालॉन्ग और चागलगाम सैन्य चौकियां हैं।
पुल की लागत
पुल की लागत तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपए है। पुल के साथ ही उसे दूसरी सड़कों से जोड़ने के लिए 28.5 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का निर्माण भी किया गया है।
अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखकर पुल बनाने की मांग की थी
2003 में असम के पूर्व सीएम मुकुट मिथि ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखकर ये पुल बनाने की मांग की थी। सीएम मुकुट ने पीएम अटल को लिखे पत्र में पुल बन जाने से चीन सीमा तक भारत की पहुंच को आसान बनाने की भी बात लिखी थी। अगस्त 2003 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पुल बनने की संभावना का जमीनी अध्ययन पूरा कर लिया। पुल की मंजूरी मिलने के बाद इसका निर्माण 2011 में शुरू हुआ था।
ये हैं पुल की खूबियां
ये देश और एशिया का सबसे लंबा पुल है। पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर है। मुंबई बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से 30 फीसदी ज्यादा लंबा है। पुल असम के जिला तिनसुकिया में बना है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी लोहित नदी पर बनाया गया है।
असम में गुवाहाटी से 540 किलोमीटर दूर सादिया है, जबकि धौला अरुणाचल की राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर दूर है। पुल से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी कम होगी। अब तक अरुणांचल जाने के दूसरे सड़क रास्ते से 8 घंटे का वक़्त लगता था और फेरी यानी नाव से साढ़े 4 घंटे, लेकिन इस पुल के बनने से यह दूरी केवल आधे घंटे में पूरी कर ली जा सकेगी।
ब्रिज के ऊपर से 60 टन का लड़ाकू टैंक बड़ी आसानी से लेकर जाया जा सकता है। सैन्य साजो सामान आसानी से अरुणाचल प्रदेश के अनिनी में बने सामरिक ठिकाने तक पहुंचाया जा सकेगा। पुल को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है, कि इस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल सके ताकि तेज आवाजाही हो पाए।