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Quota within Quota SC Reservation: महिला आरक्षण के बाद अब पीएम मोदी लगाएंगे एक और मास्टर स्ट्रोक, अनुसूचित जाति के कोटे के भीतर कोटा लागू करने की तैयारी
Quota within Quota SC Reservation: एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के इस कदम के तहत अनुसूचित जाति के भीतर कुछ जातियों के लिए एक अलग कोटा तय किया जा सकता है।
Quota within Quota SC Reservation: संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल पारित कराने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक और मास्टर स्ट्रोक लगाने की तैयारी है। दरअसल मोदी सरकार अनुसूचित जाति के कोटे के भीतर कोटा लागू करने की तैयारी में जुटी हुई है। एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के इस कदम के तहत अनुसूचित जाति के भीतर कुछ जातियों के लिए एक अलग कोटा तय किया जा सकता है। इससे जुड़े प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की ओर से गंभीरता से विचार किया जा रहा है और इस संबंध में कई मंत्रालयों में रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है।
2024 की सियासी जंग से पहले इस कदम को मोदी सरकार की बड़ी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल अनुसूचित जाति के लिए तय किए गए आरक्षण में कुछ जातियां ज्यादा लाभ उठाने में कामयाब रही हैं जबकि कुछ जातियों के लोग आरक्षण का ज्यादा लाभ नहीं उठा सके हैं। अब मोदी सरकार ने अपनी निगाहें ऐसे लोगों पर टिका दी हैं। वैसे इस कदम को उठाने के लिए सरकार को संविधान में संशोधन विधेयक लाना होगा। संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन के जरिए यह कदम उठाने की तैयारी है।
महिला आरक्षण विधेयक का मास्टर स्ट्रोक
मोदी सरकार ने अभी गुरुवार को समाप्त हुए संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराकर एक मास्टर स्ट्रोक लगाया है। पिछले 27 वर्षों से लटके इस विधेयक को पारित कराना मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। हालांकि इस विधेयक के साथ जनगणना और परिसीमन की शर्त भी जुड़ी हुई है जिसकी वजह से संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण तत्काल लागू नहीं हो पाएगा। लोकसभा में 454 सांसदों ने इस विधेयक का समर्थन किया जबकि सिर्फ दो सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया।
राज्यसभा में भी महिला आरक्षण विधेयक को ऐतिहासिक कामयाबी मिली। विधेयक के पक्ष में 214 वोट मिले पड़े जबकि विरोध में किसी भी सांसद ने वोट नहीं डाला। संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण बताया है। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद राज्यसभा में मौजूद थे और बहस पूरी होने के बाद उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक नारी शक्ति का विशेष सम्मान है।
अब एससी के कोटे में कोटा लागू करने की तैयारी
महिला आरक्षण विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद अब मोदी सरकार ने एक और मास्टर स्ट्रोक लगाने की तैयारी कर ली है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार की ओर से अनुसूचित जाति के लिए तय किए गए कोटे के भीतर कोटा लागू करने की तैयारी की जा रही है। इस प्रस्ताव के तहत एससी केटेगरी की कुछ जातियों को इस आरक्षण सीमा के भीतर अलग से आरक्षण का लाभ देने की व्यवस्था की जा सकती है।
मोदी सरकार की इस बड़ी तैयारी को लेकर सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गरम है। इसके लिए सरकार को संसद में संविधान संशोधन का बड़ा कदम उठाना होगा। संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन के जरिए सरकार यह बड़ा कदम उठा सकती है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस दिशा में मोदी सरकार की ओर से कदम उठाया जा सकता है।
सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
जानकार सूत्रों के मुताबिक अनुसूचित जाति के कोटे के भीतर कोटा लागू करने से जुड़ा हुआ प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन है। केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों में भी इस बाबत चर्चा की जा रही है। वैसे इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का इंतजार भी कर रही है। दरअसल कोटे के भीतर कोटा लागू करने के संबंध में एक याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी पीठ के गठन के बाद इस बाबत फैसला आने की उम्मीद है। सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है क्योंकि तब सरकार को बिना कोई विवाद पैदा किए इस फैसले को लागू करने में आसानी होगी।
कई राज्यों में कुछ जातियां उठा रहीं ज्यादा फायदा
वैसे देश के कई राज्यों में अनुसूचित जाति के भीतर भी कुछ प्रभावशाली जातियां आरक्षण का ज्यादा फायदा उठाने में कामयाब होती रही हैं। उत्तर प्रदेश में जाटव और बिहार में पासवान जाति का एसी में ज्यादा बोलबाला है और इन दोनों जातियों से जुड़े लोगों ने आरक्षण का ज्यादा फायदा उठाया है। तेलंगाना में एससी समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी है और इनमें 50 फ़ीसदी मडिगा जाति के लोग हैं।
तेलंगाना में मडिगा जाति से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि राज्य में प्रभावशाली माला जाति के लोग अधिकांश अवसरों का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने अपने लिए अलग कोटा तय करने की मांग को लेकर आंदोलन भी शुरू कर दिया है। मडिगा जाति के लोगों की यह मांग केंद्र सरकार तक भी पहुंची है। कुछ अन्य राज्यों में भी इस तरह के दृष्टांत मिलते हैं कि एससी के भीतर कुछ प्रभावशाली जातियां अवसरों का ज्यादा लाभ उठा रही हैं।
2024 के लिए पीएम मोदी का बड़ा सियासी दांव
माना जा रहा है कि इसी कारण मोदी सरकार ने अब अनुसूचित जाति के कोटे के भीतर कोटा लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और मोदी सरकार का यह कदम सियासी रूप से काफी असर डालने वाला साबित हो सकता है। अभी सरकार की ओर से इस बाबत आधिकारिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया गया है मगर मोदी सरकार भीतर ही भीतर तैयारी में जुटी हुई है।
मोदी सरकार की ओर से अगर यह कदम उठाया गया तो दलित वोटों की राजनीति करने वाले सियासी दलों की प्रतिक्रिया भी देखने वाली होगी। इस कदम के जरिए देश में दलित वोटों का समीकरण काफी हद तक प्रभावित होने की उम्मीद जताई जा रही है।
वैसे इस दिशा में पहले भी कुछ राज्यों में कदम उठाए जा चुके हैं मगर मामला सुप्रीम कोर्ट में आकर लटक गया था। अब ऐसे में सबकी निगाहें मोदी सरकार की ओर से उठाए जाने वाले कदम पर लगी हुई हैं।