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जहां देखा गया था विकसित भारत का सपना वहीं ध्यान लगाएंगे पीएम मोदी, जानें विवेकानंद रॉक मेमोरियल के बारे में
Vivekananda Rock Memorial: 2024 के लोकसभा चुनाव में कौन जीतेगा, किसकी हार होगी और किसकी सरकार बनेगी इस तरह के तमाम सवालों से दूर पीएम मोदी अंतिम दौर के प्रचार से फुर्सत मिलते ही कन्याकुमारी का रुख करेंगे।
Vivekananda Rock Memorial: देशभर में चल रहे 2024 लोकसभा चुनाव अपने आखिरी दौर में है। लोकसभा चुनाव के छह चरण के मतदान हो चुके हैं अब सातवें यानी अंतिम चरण की वोटिंग 1 जून को होने वाली है। वहीं चुनाव में ताबड़तोड़ रैलियां करने वाले पीएम मोदी जब एक जून को वोटिंग हो रही होगी तो उस समय कन्याकुमारी में समंदर के बीचोबीच ध्यान में लीन होंगे।
सियासत से दूरी, कन्याकुमारी में ध्यान मग्न की तैयारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश और दिल्ली की सियासत से दूर, कन्याकुमारी में ध्यान मग्न होने की तैयारी में हैं। किसकी जीत होगी, किसकी हार और किसकी बनेगी सरकार। इस तरह के तमाम सवालों से दूर पीएम मोदी अंतिम दौर के प्रचार से फुर्सत मिलते ही कन्याकुमारी का रुख करेंगे। कहा जा रहा है कि वो विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान करेंगे। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी उसी शिला पर ध्यान लगाएंगे जिस पर विवेकानंद ध्यानरत रहे थे।
आइए जानते हैं, क्यों इतना खास है यह शिला
विवेकानंद रॉक मेमोरियल बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ रहस्यमय भी है। यह भारत के सबसे दक्षिणी सिरे कन्याकुमारी में स्थित है। जो समंदर के तट से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित दो चट्टानों में से एक पर स्थित है। यहां सुकून देने वाली हवाएं और समंदर की नाचती लहरें इस चट्टान की खूबसूरती को और भी चारचांद लगाती हैं। यह भारत के महान संत स्वामी विवेकानन्द को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने इस भूमि की आध्यात्मिक प्रतिभा को दुनिया तक पहुंचाया।
कन्याकुमारी में मौजूद इसी शिला पर बैठकर कभी स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था और अब यही शिला पीएम मोदी के आकर्षण का केंद्र बन गई है। माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद के जीवन में समंदर के बीच उभरी इस शिला का महत्व वही था जो गौतम बुद्ध के लिए सारनाथ का था।
यहीं देखा गया था विकसित भारत का सपना
रॉक मेमोरियल पर ही ध्यानरत रहते हुए स्वामी विवेकानंद ने विकसित भारत का सपना देखा था और यहीं पर विवेकानंद ने ’भारत माता’ की परिकल्पना की। कन्याकुमारी में समंदर की अतल गहराइयों से उभरी इस शिला का महत्व ऐतिहासिक ही नहीं पौराणिक भी है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भी इसी स्थान पर एक पैर पर खड़े रहकर भगवान शिव के लिए उपासना की थी। पार्वती भगवान शिव के लिए यहीं पर प्रतीक्षारत रहीं।
यहां होता है हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन
यही नहीं भारत के इस दक्षिणी छोर का एक और भी महत्व ये है कि यहीं पर भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं भी मिलती हैं। ये हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन बिंदु भी है। ये स्थान अब पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र बन चुका है। देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी तादात में सैलानी विवेकानंद मेमोरियल आते हैं। इस मेमोरियल की खूबसुरती ऐसी है कि जो एक बार यहां आ जाए तो उसे बार-बार यहां आने का मन करेगा।
अब पीएम मोदी यहां पर ध्यान करने जा रहे हैं तो इसके बारे में हर कोई जानने को उत्सुक भी जरूर होगा।