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SCO समिट में सबसे आखिर में पहुंचने वाले शीर्ष नेता थे पीएम मोदी,आखिर क्या था इसका कूटनीतिक कारण
SCO summit चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर अभी संशय बरकरार है। दोनों पक्षों की ओर से अभी मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
SCO PM MODI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार की रात उज्बेकिस्तान पहुंचे। उज़्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद पहुंचने वाले पीएम मोदी आखिरी शीर्ष नेता रहे। मोदी का उज्बेकिस्तान में सिर्फ 24 घंटे रुकने का कार्यक्रम है। आज प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ बैठक होनी है।
मोदी का सबसे आखिर में समरकंद पहुंचने के पीछे कूटनीतिक तटस्थता को बड़ा कारण माना जा रहा है। दरअसल रूस और चीन की ओर से एससीओ की इस बैठक को अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ मंच के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश की गई है मगर भारत इस नीति से सहमत नहीं है। इस कारण मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेने तो पहुंचे हैं मगर उन्होंने एक संदेश देने की भी कोशिश की है।
रात्रि भोज और नौका विहार में नहीं लिया हिस्सा
मोदी के अलावा सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले सभी शीर्ष नेता एक दिन पूर्व ही उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद पहुंच गए थे मगर मोदी गुरुवार की रात करीब नौ बजे सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए समरकंद पहुंचे। गुरुवार की रात में ही सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले नेताओं के लिए आधिकारिक डिनर का आयोजन किया गया था मगर विलंब से पहुंचने के कारण मोदी इस रात्रिभोज में भी हिस्सा नहीं ले सके। रात्रि भोज से पहले वैश्विक नेताओं के लिए नौका विहार का कार्यक्रम भी तय किया गया था मगर पीएम मोदी इसमें भी शामिल नहीं हो सके।
मोदी के अलावा शिखर सम्मेलन में पहुंचने वाले अन्य सभी नेताओं में नौका विहार का भी आनंद लिया। पीएम मोदी का समरकंद में सिर्फ 24 घंटे रुकने का ही कार्यक्रम है। एससीओ के मुख्य समारोह के समाप्त होने के कुछ देर बाद वे शुक्रवार की रात ही स्वदेश के लिए रवाना हो जाएंगे।
कूटनीतिक तटस्थता का बड़ा संदेश
सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले नेताओं में पीएम मोदी के सबसे आखिर में पहुंचने का कूटनीतिक मतलब निकाला जा रहा है। दरअसल रूस और चीन की ओर से एससीओके समिट को अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ मंच के रूप में प्रचारित किया गया है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गुरुवार को हुई मुलाकात के जरिए भी यह संदेश देने की कोशिश की गई। इन दोनों देशों की इस मुहिम से भारत खुद को दूर दिखाना चाहता है। भारत अपनी शर्तों के हिसाब से एससीओ का हिस्सा बने रहने का इच्छुक है। मोदी का समरकंद में सिर्फ 24 घंटे रुकने का कार्यक्रम भारत की कूटनीतिक तटस्थता का बड़ा संदेश माना जा रहा है।
यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान के बावजूद भारत ने रूस के साथ कारोबारी रिश्ते जारी रखे हैं। इसके साथ ही भारत ने यूक्रेन को भी मदद की नीति बनाए रखी है। अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के साथ भी भारत ने लगातार संवाद का रिश्ता बनाए रखा है। माना जा रहा है कि भारत अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ छेड़े गए किसी भी अभियान का हिस्सा नहीं बनना चाहता।
पुतिन और रईसी से मुलाकात पर निगाहें
समरकंद में आज रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। यूक्रेन के खिलाफ रूस की और से सैन्य अभियान छेड़े जाने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली आमने-सामने की मुलाकात होगी। इससे पहले दोनों नेताओं के बीच पिछले साल जुलाई महीने में मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं की बैठक को द्विपक्षीय रिश्ते को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की पुतिन के अलावा ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ मुलाकात तय है। दोनों नेताओं के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेक के राष्ट्राध्यक्षों से भी द्विपक्षीय रिश्ते पर बातचीत करेंगे।
जिनपिंग से मुलाकात पर संशय
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर अभी संशय बरकरार है। दोनों पक्षों की ओर से अभी मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। विदेश सचिव ने भी इस बात को स्पष्ट नहीं किया कि चीन के राष्ट्रपति के साथ पीएम मोदी की मुलाकात होगी या नहीं। वैसे जानकारों का कहना है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद मोदी और जिनपिंग की मुलाकात की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए समरकंद पहुंचे हैं मगर उनसे पीएम मोदी की मुलाकात की संभावना नहीं है। पहले दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की संभावना जताई जा रही थी। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत का मानना है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती। चूंकि आतंकवाद पर पाकिस्तान के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। इसलिए पीएम मोदी और शरीफ के बीच बातचीत की संभावना नहीं है।