TRENDING TAGS :
डोकलाम विवाद सुलझा, अब चीन में BRICS समिट में हिस्सा लेंगे मोदी
एम नरेंद्र मोदी 3-5 सितंबर को चीन के शियामेन में होने वाले ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेंगे। डोकलाम सीमा विवाद का समाधान होने के ठीक बाद पीएम मोदी का यह चीन दौरा करेंगे।
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी डोकलाम गतिरोध सुलझने के बाद अगले सप्ताह चीन जाएंगे। वह इस दौरान फुजियान प्रांत में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह म्यांमार जाएंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक, मोदी नौवें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तीन से पांच सितंबर तक चीन के शिएमेन और फुजियान प्रांत के दौरे पर होंगे।
भारत और चीन के बीच बीते 72 दिनों तक चला डोकलाम गतिरोध सोमवार को खत्म हो गया। दोनों देशों ने ब्रिक्स सम्मेलन से पहले अपनी सेनाएं डोकलाम से हटाने पर सहमति जताई है।
मोदी म्यांमार के राष्ट्रपति यू हटिन क्याव के निमंत्रण पर पांच से सात सितंबर तक म्यांमार के दौरे पर होंगे। यह मोदी की पहली द्विपक्षीय म्यांमार यात्रा होगी।
यह भी पढ़ें ... ‘डोकलाम’ जैसी हरकतें करता रहेगा चीन, तैयार रहे सेना- आर्मी चीफ
म्यांमार दौरे के दौरान मोदी पारस्परिक हितों पर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के साथ वार्ता करेंगे और राष्ट्रपति क्याव से भी मुलाकात करेंगे। वह म्यांमार के नेपीथा के अलावा यांगून और बगान भी जाएंगे।
डोकलाम सीमा विवाद का सुलझना चीन पर भारत की कुटनीतिक जीत है। बता दें, कि भारत-चीन के बीच सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में शुरू हुआ विवाद दो महीने 12 दिन बाद खत्म हो गया और दोनों देश अपनी सेनाएं हटाने को राजी हो गए हैं। विदेश मंत्रालय ने 28 अगस्त को बयान जारी कर कहा कि दोनों देश अपनी सेना हटाने पर राजी हो गए हैं। सेना हटाने का काम शुरू भी हो गया है। हालांकि, इस मुद्दे पर अभी चीन के विदेश मंत्रालय का कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।
यह भी पढ़ें .... डोकलाम पर भारत की बड़ी जीत, चीन सेना पीछे हटाने को राजी
क्या है ब्रिक्स ?
-ब्रिक्स देशों- ब्राजील, रूस, इंडिया, चाइना, साउथ अफ्रीका का एक समूह है।
-इसका गठन साल 2011 में हुआ था।
-इसमें दुनिया की 43% आबादी का प्रतिनिधित्व है।
-इनकी कुल जीडीपी दुनिया की जीडीपी का 23.1% है।
-भारत इस समिट की दो बार मेजबानी कर चुका है।
क्या है उद्देश्य ?
-ब्रिक्स का उद्देश्य आर्थिक और राजनीतिक दबदबे से पश्चिमी देशों के रुतबे को चुनौती देना है।
-ब्रिक्स ने वॉशिंगटन में मौजूद इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और वर्ल्ड बैंक के मुकाबले अपना खुद का बैंक बनाया है।
यह भी पढ़ें .... शशि थरूर ने डोकलाम पर भारत की जीत के लिए मोदी को दिया क्रेडिट
ब्रिक्स का पुराना नाम था ब्रिक
-ब्रिक्स के बारे में सबसे पहले इनवेस्ट बैंक गोल्डमैन सैक के चेयरमैन जिम ओ नील ने 2001 में सोचा था।
-साल 2009 में यह समूह बना।
-तब इसमें ब्राजील, रूस, भारत और चीन थे।
-साल 2010 में इसमें साउथ अफ्रीका शामिल हुआ।