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मोदी का लेटेस्ट इंटरव्यू: यूपी चुनाव, दलित और कश्मीर मुद्दे पर PM के बेबाक बोल
नई दिल्ली: पीएम मोदी ने G-20 समिट के लिए चीन रवाना होने से पहले Network 18 को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने देश में चल रहे कई अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे। मोदी ने साफ किया कि मीडिया को बयान देकर नहीं, अपने काम से वह अपनी छवि बनाना चाहते हैं। साथ ही मोदी ने दलितों, यूपी चुनाव और कश्मीर के मुद्दे पर बेबाक राय रखी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में ये भी कहा, "चाहे प्रधानमंत्री हो, चाहे प्रधान सेवक हो या आपका नरेंद्र मोदी हो, है तो वह भी इंसान ही।"
नीचे पढ़ें इस इंटरव्यू में उनसे पूछे गए सवाल और उनके जवाब
आप दो साल पहले बहुमत से आए। आप अपने प्रधानमंत्री बनने तक के सफर को कैसे देखते हैं?
दायित्व मिले दो साल हो गए हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हमारे देश में जनता, मीडिया, सर्वे एजेंसी समय-समय पर मुल्यांकन करती है। मैं जनता पर ही छोड़ देता हूं कि वो बताए मेरी सरकार कैसी रही। जब भी आप मूल्यांकन करें, तो यह जरूर देखें हमारी सत्ता में आने से पहले देश का क्या हाल था? मीडिया में क्या बातें होती थीं। पहले केवल भ्रष्टाचार की बात होती थी। लोगों में निराशा थी।सरकार बनने के बाद मेरा पहला प्रयास यही रहा कि निराशा का माहौल खत्म किया जाए। ये केवल भाषण से नहीं होता। काम करना होता है। दो साल बाद मैं कह सकता हूं कि देशवासियों का ही भरोसा नहीं बढ़ा, बल्कि दुनिया का भारत को लेकर नजरिया बदला है।
आप विकास के एजेंडे पर आए। जीएसटी बिल पास करने में आप कामयाब रहे। आप बताएंगे इससे आम लोगों को क्या मिलेगा?
देश आजाद होने के बाद ये फाइनेंस सेक्टर में सबसे बड़ा रिफॉर्म है। बहुत बदलाव आएगा। हमारे देश में बहुत कम लोग टैक्स देते हैं। कुछ लोग तो देशभक्ति के लिए टैक्स देते हैं, कुछ कानून का पालन करने के लिए, कुछ डर से लेकिन ज्यादातर इसलिए नहीं देते कि प्रोसेस इतनी ज्यादा होती है। जीएसटी से इतना सरलीकरण हो जाएगा कि हर आदमी टैक्स देना चाहेगा। आज भी आप होटल में खाना खाते हो तो बिल आएगा तो कई तरह के टैक्स लगते हैं। स्टेट के चेक पोस्ट पर मीलों तक गाड़ियां खड़ी रहती हैं। इससे इकोनॉमी को नुकसान होता है। माल-आना-जाना आसान हो जाएगा। इससे आम लोगों की कठिनाई दूर होगी और इकोनॉमी को भी फायदा होगा।
आपके लिए इकोनॉमी को बढ़ना सबसे बड़ी चुनौती थी।
एक तरह का निगेटिव माहौल था। उसका इको इफेक्ट भी बहुत था। सरकार में पैरालिसिस की स्थिति थी। दो साल तक हमें अकाल का सामना करना पड़ा। दुनिया में मंदी का दौर आ गया। कई चुनौतियां आती गईं, लेकिन इरादा नेक था। नीतियां स्पष्ट थी। निर्णय करने का हौसला था। इसका परिणाम ये आया कि सकारात्मक माहौल बना। आजादी के बाद सबसे अधिक एफडीआई हम लेकर आए हैं। सब कह रहे हैं कि भारत बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उन नीतियों को बल दिया गया है जो देश को गति देते हैं। इस बार बारिश अच्छी हुई है। इससे कृषि को बल मिलता है।
क्या आप बताना चाहेंगे और क्या रिफॉर्म होंगे?
हमारे देश में केवल उसे रिफॉर्म माना जाता है जो चर्चा में आती है। ये हमारी अज्ञानता को दर्शाता है। मेरा मंत्र है रिफॉर्म टू ट्रांसफॉर्म। इज ऑफ डूइंग में हमारा सुधार हो रहा है। ये रिफॉर्म से ही होता है। छोटी-छोटी बहुत चीजें होती हैं, जिन्हें बदलना होता है। हर लेवल पर इसे किया जा रहा है। हमने 17 सौ कानून ऐसे निकाले जो 19वीं और 20वीं शताब्दी से चले आ रहे थे। शिक्षा क्षेत्र में हमने रिफॉर्म किए हैं। डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर बहुत बड़ा रिफॉर्म है। लाभार्थी को उसका पैसा सीधे बैंक एकाउंट में जा रहा है।
कई लोग कहते हैं कि आपने अब तक कौन सी गलती की है। मैं कहता हूं मुझे सरकार बनने के बाद पहला बजट पेश होने से पहले एक व्हाइट पेपर रखना चाहिए था। मेरे पास दो रास्ते थे। राजनीति कहती थी कि मुझे काला-चिट्ठा खोल देना चाहिए। लेकिन राष्ट्रनीति कहती थी कि राजनीतिक रूप से लाभ तो होगा लेकिन देश को बहुत धक्का लगेगा। निराशा बहुत बढ़ जाएगी। इसलिए राजनीतिक लाभ को खो कर मैं चुप रहा। राजनीतिक नुकसान झेलकर मैंने राष्ट्रनीति को चुना। इस वजह से हम सफल हो रहे हैं।
ब्लैक मनी वाले लंदन में छुप गए।
अभी तक राजनीतिक दृष्टि से ना मैंने सोचा है ना सोचूंगा। मैं 14 साल तक गुजरात में सीएम था। इतिहास गवाह है कि राजनीतिक द्वेष से मैंने कभी कोई फाइल नहीं खोली। कानून अपना काम करेगा। किसी डाइनेस्टी को मैंने नहीं छोड़ा। ये आरोप गलत है। सरकार बनने के बाद पहली बैठक में हमने ब्लैक मनी पर फैसला किया। अब हमने ऐसा कानून बनाया है कि कोई एक पैसा ब्लैक मनी विदेश नहीं भेज सकता। देश में ब्लैक मनी को सामने लाने के लिए हम काम कर रहे हैं। हमने लोगों को मौका दिया है कि उनके पास ब्लैक मनी है तो मुख्य धारा में आ जाइए और चैन की नींद लें। बाद में कार्रवाई करूंगा तो कोई मुझे दोष नहीं दे सकता।
कई राज्यों में चुनाव आ रहे हैं आप लोगों को कैसे बताएंगे कि विकास आपका एजेंडा है? दलित अत्याचार के आरोप आपकी सरकार पर लग रहे हैं। बयानबाजी बढ़ रही है।
जो लोग कभी नहीं चाहते थे कि ऐसी सरकार बने। जो कभी नहीं चाहते थे कि पिछले सरकार जाए। उनके लिए परेशानी है। विकास ही हमारा एजेंडा रहेगा। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि लॉ एंड ऑर्डर स्टेट सब्जेक्ट है। कहीं कोई घटना हो तो उसे मोदी के गले में नहीं बांधना चाहिए। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सांप्रदायिक दंगे, दलित अत्याचार या फिर आदिवासियों के खिलाफ होने वाली घटनाएं पिछली सरकार से कम हुई हैं। समाज में कुछ विकृति आई है। हमें इन्हें दूर करना होगा। यदि हम समाजिक मुद्दों पर राजनीतिक करेंगे तो हम समाज के साथ भी अन्याय करते हैं। आज देश में आदिवासी एमपी-आदिवासी एमएलए बीजेपी में बहुत बड़ी संख्या में हैं। जब से मैंने बाबा साहेब की 125वीं की जयंती मनाई। यूएन और दो दिन तक संसद में उनका जन्मदिन मनाया गया। कई लोगों को लगा कि अरे ये मोदी तो बाबा साहेब का भक्त है तो लोगों को कुछ परेशानियां होनें लगीं। उन्हें यह पच नहीं रहा है कि मोदी दलितवादी है। गलत आरोप लगा रहे हैं। जिन्होंने जातिवाद का जहर समाज में बोया है उन्हें अब इन चीजों पर राजनीति बंद करनी चाहिए।
मैं दलितों के कल्याण के लिए हूं प्रतिबद्ध।
''जो लोग अपने आप को कुछ विशेष वर्गों के ठेकेदार मानकर इस देश में तनाव पैदा करना चाहते हैं, उन्हें यह गुजारा नहीं हुआ कि मोदी तो एकदम से दलितवादी है, मोदी तो आदिवासियों के पीछे पागल है। मैं हूं। मैं इस देश के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, आदिवासी महिलाएं इनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हूं।
अनाप-शनाप बयानबाजी बंद करें राजनेता।
''मैं अपनी और सभी पार्टी के राजनेताओं को भी कहूंगा कि अनाप-शनाप बयानबाजी किसी भी व्यक्ति के लिए, किसी भी समाज के लिए कुछ भी बोल देना। मीडिया वाले तो आएंगे आपके पास, वो डंडा लेकर खड़ा हो जाएगा, क्योंकि उसको तो टीआरपी करनी है, लेकिन आपको देश को जवाब देना है। हजारों साल की बुराइयों के कारण हमारे घाव इतने गहरे हैं, उसमें छोटी सी भी घटना अगर हम कर देंगे तो पीड़ा कितनी होगी, इसका अंदाजा आपको नहीं है और इसलिए घटना छोटी है या बड़ी है, इसका महत्व नहीं है। मैं कहूंगा कि घटना होनी ही नहीं चाहिए, इसका महत्व है।''
इकोनॉमी के लिए शांति कितनी जरूरी है?
सिर्फ इकोनॉमी के लिए नहीं सुख शांति के लिए एकता और सद्भावना जरूरी है। आप कितने भी अमीर क्यों ना हों परिवार में एकता होनी चाहिए। इसी तरह समाज में भी एकता गरीबी के कारण नहीं बल्कि सबकी भलाई के लिए जरूरी है। शांति-एकता सद्भावना आवश्यक है।
देश में गरीबी को दूर करने को लेकर काफी बातें हुई हैं अब तक। आप लोगों को रोजगार देने के लिए क्या कर रहे हैं?
हमारे देश में गरीबी राजनीतिक नारा रहा है। कई योजनाएं भी चलाईं गईं। लेकिन मेरा रास्ता अलग है। गरीबी से मुक्ति के लिए हमें गरीबों को मजूबत करना होगा। गरीब को गरीब रखकर राजनीति तो हो सकती है। लेकिन गरीब की गरीबी दूर करने के लिए उन्हें शिक्षा और रोजगार जरूरी है। हमने पिछले दिनों जितने भी चीजों पर फोकस किया है उसका मकसद गरीबी दूर करना ही है। जैसे मुद्रा योजना। स्टैंड अप योजना। हमारे देश में मॉल को बंद करने का कोई टाम नहीं, लेकिन दुकान बंद कराने को लेकर खड़े हो जाते हैं। लेकिन हमने कहा नहीं इन्हें भी पूरी छूट है। यही हमारी इकोनॉमी को आगे बढ़ा रहे हैं। हम स्किल डेवलपमेंट पर काम कर रहे हैं।
आप विदेशों में बसे भारतीयों से भी सीधा संवाद कर रहे हैं। इसका क्या लाभ है?
हर चीज को लाभ या हानि में नहीं तौलना चाहिए। दुनिया भर में कहीं भी भारतवासी रहता हो उसे देश के बारे में कोई बुरी खबर मिलती है दुखी होता है। वो देश के बारे में बहुत चिंतित रहता है लेकिन उसे मौका नहीं दिया जाता। उनके पास देश के लिए कुछ करने का इरादा है। हमें उन्हें अपने से अलग क्यों रखना चाहिए। वो कभी ना कभी भारत का एंबेस्डर बनेगा।
यूपी में चुनाव होने जा रहे हैं। आप वहां बीजेपी की स्थिति को कैसे देखते हैं?
हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हर बात को राजनीति से जोड़ देते हैं। हमारे देश में लगातार चुनाव चलते रहते हैं। उसके कारण हर निर्णय को चुनाव के तराजू से तौला जाता है। जितना जल्दी हम देश और चुनाव को अलग कर दें तो भला होगा। हर पार्टी अब ये कह रही है कि बार-बार चुनाव का चक्कर बंद हो। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हो जाएं। लेकिन ये काम सभी दलों को मिलकर करना होगा। ये काम इलेक्शन कमीशन के नेतृत्व में होगा।
आने वाले दिनों में पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं। यूपी उसमें से एक है। जहां तक बीजेपी का सवाल है वो विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ती है और लड़ेगी। किसान का विकास हो। देश में एकता भाई चारा बनी रहे।
क्या वहां ध्रुवीकरण होगा?
हमारे देश में जातिवाद के जहर और संप्रदाय वोट बैंक ने बहुत नुकसान किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में वोटबैंक की राजनीति का माहौल नहीं था। देशवासियों ने साथ मिलकर बहुमत की सरकार बनाई। हो सकता है कि यूपी के लोग भी यूपी की भलाई के लिए विकास के मद्देनजर वोट करेंगे।
जम्मू कश्मीर झुलस रहा है। स्थिति खराब हो रही है। आपकी नजर में उपाय क्या है।
जब हम जम्मू कश्मीर की बात करते हैं तो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तीनों की बात होनी चाहिए। आजादी के बाद से ही कश्मीर को लेकर बात होती रही है। ये समस्या पुरानी है। मुझे विश्वास है कि कश्मीर के नौजवान गुमराह नहीं होंगे। हम सब शांति एकता और सद्भावना के लिए साथ काम करेंगे। जन्नत हम सबके लिए सच्चे अर्थ में जन्नत बनी रहेगी। कश्मीर को विकास भी चाहिए कश्मीर की जनता को विश्वास भी चाहिए। सवा सौ करोड़ लोग कश्मीर को दोनों चीज देने को तैयार हैं। हम सफल रहेंगे।
माना जा रहा है कि हाई लेवल पर भ्रष्टाचार काम हुआ है लेकिन लो लेवल पर अभी भी है
यदि गोमुख में गंगा साफ है तो धीरे-धीरे नीचे भी होती जाएगी। हमने बहुत से फैसले किए जिसने भ्रष्टाचार को कम किया है। हमने गैस सब्सिडी ट्रांसफर को डीबीटी से जोड़ा। कालाबाजारी रुका है। केरोसिन की कालाबाजारी बंद हो रही है। हमारे देश में किसान यूरिया कालाबाजार से खरीदने को मजबूर रहते थे। कई जगह से लाठीचार्ज होता था किसानों पर। लेकिन अब ये सब बंद हो गया। क्योंकि पहले किसानों के नाम पर निकलता था और पहुंच जाता था केमिकल फैक्ट्री में। लेकिन हमने नीम कोटिंग करा दी। इसेसे यूरिया केमिकल फैक्ट्री में नहीं खेत में जाने लगा।
लुटियन जोन को आप पसंद नहीं आए। लेकिन क्या आपको दिल्ली पसंद आया?
आप इतिहास की तरफ देखिए, सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ क्या हुआ। मोरारजी भाई के साथ क्या किया। देवेगौड़ा जी का क्या हुआ। एक किसान का बेटा पीएम बना तो पहचान बना दी गई कि सोते रहते हैं। अंबेडकर और चौधरी चरण सिंह के साथ क्या हुआ। ऐसे में यदि मेरा मजाक बनाया जाता है तो मुझे आश्चर्य नहीं होता। मैं एेसे लोगों को एड्रेस करने में समय व्यर्थ नहीं करता। मैं लुटियन जोन नहीं देश के सवा सौ करोड़ लोगों से जुड़ता हूं।
इंडियन मीडिया के बारे में आपकी राय क्या है।
मैं आज जो कुछ भी हूं उसमें मीडिया का बहुत बड़ा रोल है। मेरे विषय में जो छवि है, वो ठीक नहीं है। मोदी जी चलते फिरते बाइट नहीं देते। विवादास्पद बातें नहीं कहते हैं। मैं काम में लगा रहता हूं कि काम ही बोलेंगे। ये उनकी शिकायत ठीक भी है। मैंने संगठन में भी काम किया है। लेकिन मेरा मीडिया के साथियों से अच्छा रिश्ता रहा है। आज जो भी मीडिया के चेहरे दिखते हैं उनके साथ मैंने एक दौर में चाय पी है। उनके साथ ही पला-बढ़ा हूं। मेरा मानना है कि सरकार के कामकाज की आलोचना होनी चाहिए। लेकिन आज टीआरपी की इतनी आपाधापी है कि उसके पास रिसर्च के लिए टाइम नहीं है। लेकिन रिसर्च बिना आलोचना नहीं हो सकती। रिसर्च की कमी की वजह से आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो जाते हैं। मीडिया बहुत से क्रिटिकल हो। मीडिया तथ्यों के आधार पर आलोचना करे। ये ठीक है कि मीडिया की भी कुछ मजबूरियां हैं। बहुत से मीडिया हाउस घाटे में हैं। मैं इस काम के लिए भी उनके काम आऊं तो अच्छा है। जहां तक टीआरपी की बात है तो मुझे गाली देने वाले लोगों को सामने लाकर भी टीआरपी बढ़ाने की कोशिश होती है।
आप कई बार भावुक भी हुए हैं। नरेंद्र मोदी का असली रूप क्या है या कितने रूप हैं?
यदि आप किसी फौजी को सीमा पर देखोगे तो वह जी जान से जुटा रहता है। ये उसकी ड्यूटी है। लेकिन वही जवान जब बेटे के साथ खेल रहा है तो बंदूल लेकर नहीं रहेगा। इसका मतलब नहीं कि उसके दो रूप हैं। मेरे अंदर भी तो इंसान है। मुझे अपने अंदर के इंसान को क्यों छुपा देेना चाहिए। यदि देश हित में कठोर फैसले करने हैं तो करना चाहिए। जहां झुकना चाहिए झुकेंगे भी। लेकिन असली मोदी क्या है नकली मोदी क्या है। ऐसा कुछ नहीं होता है। आप राजनीतिक चश्मा और पूर्वाग्रह निकालकर देखेंगे तो मोदी मोदी ही दिखेगा।
मैंने कभी आपके टेबल पर पेपर या मोबाइल नहीं देखा है। कुछ लोग कहते हैं आप सुनते ज्यादा हैं बोलते कम हैं। आपका वर्किंग स्टाइल क्या है?
मेरी छवि ये बनाई गई है कि मैं किसी की सुनता नहीं हूं। मेरा विकास जो हुआ है उसका कारण ये है कि मैं सुनता ज्यादा हूं। मुझे इसका फायदा मिल रहा है। मैं काम का आदी हूं। मैं वर्तमान में जीता हूं। आप मुझ से मिलने आए हैं तो मैं पूरी तरह से आपके लिए हूं। जब मैं फाइल देख रहा हूं तो बस सिर्फ उसी में हूं। मैं हर पल वर्तमान में जीता हूं। हमें सीखना और समझना चाहिए। अपने आपको बदलने की हिम्मत चाहिए।
रिलैक्स कैसे करते हैं?
मेरा काम ही रिलैक्स करने का तरीका है। काम करने की थकान नहीं होती, बल्कि काम नहीं करने की थकान होती है। काम ना करने की थकान होती है और काम करने का संतोष होता है। थकान मनोवैज्ञानिक ज्यादा होती है। किसी की क्षमता कम नहीं होती। आप जितना काम करेंगे क्षमता बढ़ती जाएगी।
आपके ऊपर किसका प्रभाव ज्यादा पड़ा है?
मैंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है। उसमें मुझे किताबें पढ़ने का शौक लगा। बाद में मैं 12-14 साल की उम्र में भाषण प्रतियोगिताओं में भाषण देने लगा। मुझे विवेकानंद को पढ़ने में अच्छा लगा। हिंदी भाषा में भी रुचि बढ़ी। विवेकानंद जी के विचारों को मुझ पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा।
आप इतिहास में खुद को कैसे देखते हैं?
जो इंसान वर्तमान में जीने का आदि हो वो इतिहास की चिंता क्यों करे। हमारे देश में सब अपनी छवि बनाने की कोशिश करते हैं, काश हम देश की छवि बनाने में खुद को खपा दें। देश के सवा सौ करोड़ लोग देश के लिए खुद को खपा रहे हैं, मोदी उनमें से एक है। मोदी खुद को खपा कर इतिहास के पन्ने में गुम हो जाए। इससे बड़ी खुशी नहीं हो सकते।