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PM Modi: 2001 से भारत की राजनीति में चमक रहे नरेंद्र मोदी, गुजरात से लेकर दिल्ली तक कायम है जलवा

PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासी काबिलियत पर उनके विरोधियों को भी अब संदेह नहीं रह गया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 12 Dec 2022 12:03 PM IST
PM Narendra Modi
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PM Narendra Modi (photo: social media )

PM Narendra Modi: गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि गुजरात अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासी परछाई से मुक्त नहीं हुआ है। गुजरात की राजनीति से मोदी को विदा हुए 8 साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी वहां उनका वर्चस्व कामय है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हार की दहलीज पर खड़ी बीजेपी को उन्होंने अंतिम समय में जीत के दरवाजे पर खड़ा कर दिया। इसी तरह पांच साल बाद जब मीडिया में बीजेपी के खिलाफ 27 सालों की एंटी इनकमबैंसी और अरविंद केजरीवाल के लुभावने वादे छाए हुए थे, तब पीएम मोदी ने ऐसा करिश्मा कर दिया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी।

15 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए नरेंद्र मोदी साल 2022 आते – आते देश के सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता बन चुके हैं। उनसे काफी पहले सत्ता का स्वाद चखने वाले देश के कई दिग्गज राजनेता आज या तो एक सीमित दायरे में सिमटे हुए हैं या राजनीतिक रूप से ओझल हो चुके हैं। लेकिन मोदी ने इन 21 सालों में गांधीनगर से लेकर दिल्ली तक का सफर तय किया है। साल 2014 को भारतीय राजनीति का टर्निंग प्वाइंट कहा जाने लगा है।

गुजरात में बीजेपी को किया मजबूत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासी काबिलियत पर उनके विरोधियों को भी अब संदेह नहीं रह गया है। चाहे गुजरात हो या दिल्ली नरेंद्र मोदी ने ऐसे समय में बीजेपी का नेतृत्व किया जब उसके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा था। मसलन साल 2001 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बने थे, तब राज्य में पार्टी की हालत काफी खराब थी। सीएम केशुभाई पटेल को लेकर लोगों और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त नाराजगी थी। 26 फरवरी 2001 को भुज जिले में आए भूकंप ने तबाही मचा दी थी। इस भूकंप ने केशुभाई की कुर्सी तक हिला दी और उन्हें पद छोड़ना पड़ा। नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के चंद माह ही बीते थे कि फरवरी 2002 में गोधरा कांड के कारण राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए।

नरेंद्र मोदी के सामने अब दो चुनौतियां थी। पहला पार्टी के अंदर केशुभाई और कांशीराम राणा जैसे दिग्गजों की नाराजगी से पार पाना और दूसरी भूकंप और दंगों से त्रस्त गुजरात की जनता को फिर से कमल निशान पर बटन दबाने के लिए राजी करना। साल 2002 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार गुजरात में हैट्रिक लगाई। कुछ महीने पहले तक जिस पार्टी के चुनाव में खराब हश्र होने की भविष्यवाणी की जा रही थी, उसने राज्य में अपना अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। इस जीत के साथ ही गुजरात की राजनीति में मोदी युग की शुरूआत हुई, जो आज तक जारी है।

दिल्ली में बीजेपी को दिलाई सत्ता

साल 2009 में लगातार दूसरी बार कांग्रेस के हाथों मिली पराजय के बाद बीजेपी का मनोबल काफी गिरा था। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व काफी कमजोर हो चुका था। गुजरात में नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह जैसे नेता अपने – अपने राज्यों में बीजेपी को बचाए हुए थे। साल 2012 तक केंद्र की सत्ता में बीजेपी की वापसी की कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी। लगातार घोटालों के आरोपों में घिरी यूपीए को भाजपा टक्कर नहीं दे पा रही थी। 2012 के अंत में गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की पांचवी और मोदी के नेतृत्व में हैट्रिक जीत ने केंद्रीय राजनीति में उनके आने का मार्ग खोला।

नरेंद्र मोदी तब तक विकास के गुजरात मॉडल को एक ब्रांड बना चुके थे। किसी भी अन्य मुख्यमंत्रियों के मुकाबले नरेंद्र मोदी सबसे अधिक मीडिया में जगह पाते थे। 2013 में काफी सियासी उठापटक के बाद नरेंद्र मोदी बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री के दावेदार बने। नरेंद्र मोदी के सामने बीजेपी के अंदरूनी खींचतान के अलावा देश की जनता के अंदर ये विश्वास पैदा करना था कि वो ही उनके सारी समस्याओं का हल कर सकते हैं। चुनाव नतीजों के आने से पहले मोदी के दावों पर काफी संदेह था। मीडिया का एक बड़ा तबका उनकी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं था।

लेकिन 2014 के गर्मियों में आए नतीजे ने देश की राजनीति में मोदी युग का सूत्रपात कर दिया। देश के सियासी नक्शे में महज गिनती के राज्यों में सरकार चलाने वाली बीजेपी अपने दम पर स्पष्ट बहुमत हासिल करेगी, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। गुजरात की तरह नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में भी बीजेपी को स्थापित कर दिया। ये नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व का ही परिणाम है कि बीजेपी ने साल 2019 में 2014 से भी बड़ी जीत हासिल करते हुए 300 से अधिक लोकसभा सीटें हासिल कीं। उन्हीं के चेहरे ने देश के सबसे बड़े सियासी प्रदेश उत्तर प्रदेश में बीजेपी को साल 2017 में ऐसी विराट जीत दिलाई जो रामलहर के दौरान भी बीजेपी को नसीब नहीं हुई थी।

गुजरात से लेकर दिल्ली तक कायम है जलवा

नरेंद्र मोदी पिछले 21 सालों से सत्ता में हैं। उन्होंने अपने नेतृत्व में अभी तक कोई चुनाव नहीं हारा है। 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद बीजेपी ने साल 2002, 2007 और 2012 में लगातार जीत दर्ज की। 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर नरेंद्र मोदी सीएम से पीएम बन गए। पांच साल बाद बीजेपी ने एकबार फिर उनके नेतृत्व में पिछली बार से बड़ी जीत लोकसभा में हासिल की। नरेंद्र मोदी के केंद्रीय राजनीति में आने के बाद बीजेपी का राष्ट्रीय फलक पर जबरदस्त सियासी विस्तार हुआ है। उनके चेहरे ने हरियाणा, त्रिपुरा जैसे उन राज्यों में बीजेपी को सत्ता दिलाई, जहां वह पारंपरिक रूप से कमजोर रही है। इसके अलावा महाराष्ट्र और असम जैसे राज्यों में जहां बीजेपी की हैसियत जूनियर पार्टनर की थी, वहां आज वह ड्राइविंग सीट पर है। भगवा दल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और बिहार जैसे राज्यों में सत्ता के दावेदार के रूप में उभरी है।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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