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PM Narendra Modi: पीएम मोदी बोले-आज बन रहे कानून, कल के उज्ज्वल भारत का आधार बनेंगे
PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, सरकार लगातार काम कर रही है और कई निर्णय ले रही है, जिससे विश्वसनीय न्यायिक प्रणाली बन सके। जन विश्वास विधेयक इसी दिशा में एक कदम है।
PM Narendra Modi: सुप्रीम कोर्ट की हीरक जयंती के अवसर पर रविवार को दिल्ली में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 'औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों को समाप्त करके 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता', 'भारतीय न्याय संहिता' और 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' की व्यवस्था शुरू की। इन बदलावों से हमारी कानूनी पुलिसिंग और जांच प्रणाली एक नए चरण में प्रवेश कर गई है।'
सुप्रीम कोर्ट की हीरक जयंती के अवसर पर दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए।
जन विश्वास विधेयक से न्यायिक व्यवस्था पर बोझ कम होगा
प्रधानमंत्री ने कहा ‘मैं सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि वह भी इसी तरह की क्षमता-निर्माण प्रक्रिया के लिए आगे आए...सरकार लगातार काम कर रही है और कई निर्णय ले रही है, जिससे विश्वसनीय न्यायिक प्रणाली बन सके। जन विश्वास विधेयक इसी दिशा में एक कदम है। इससे न्यायिक व्यवस्था पर अनावश्यक बोझ कम होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के जीवंत लोकतंत्र को समृद्ध किया है। भारत की आज की आर्थिक नीतियां और आज जो कानून बन रहे हैं, वही कल के उज्जवल भारत का आधार बनेंगे। आज पूरी दुनिया की नजर भारत पर है और भारत पर दुनिया का भरोसा बढ़ा है। भारत के लिए हर अवसर का लाभ उठाना जरूरी है।'
और सुप्रीम कोर्ट की इसमें अहम भूमिका है
पीएम मोदी ने कहा, भारतीय नागरिक न्याय तक आसान पहुंच के हकदार हैं और सुप्रीम कोर्ट की इसमें अहम भूमिका है। पूरी न्याय प्रणाली, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर काम करती है। पीएम मोदी ने कहा 'पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट भवन परिसर के विस्तार के लिए बीते हफ्ते ही 800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। ई-कोर्ट मिशन के तीसरे चरण के लिए दूसरे चरण की तुलना में चार गुना ज्यादा राशि मंजूर की गई है।'
मुख्य न्यायाधीश बोले- सुप्रीम कोर्ट का लोकतंत्रीकरण हुआ
इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना इस भावना के साथ की गई थी कि यहां कानूनों की व्याख्या कानून के शासन के अनुसार की जाएगी न कि औपनिवेशिक मूल्यों या सामाजिक पदानुक्रम के आधार पर। यह विश्वास को मजबूत करता है कि न्यायपालिका अन्याय, अत्याचार और मनमानी के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करती है। सुप्रीम कोर्ट समाधान और न्याय की संस्था है।
जीफ जस्टिस ने कहा कि 'अब हमारे पास एक बटन पर क्लिक करके मामले दायर करने की सुविधा है। मई 2023 में ई-फाइलिंग प्लेटफॉर्म का उन्नत संस्करण लॉन्च किया गया था। इसमें 24 घंटे मामले दर्ज करने की सुविधा तेज और सुविधाजनक बन गई है। ई-फाइलिंग से दर्ज मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बार और बेंच की मदद से कोरोना काल के बाद से वर्चुअल सुनवाई के मामले बढ़े हैं। इससे सुप्रीम कोर्ट का लोकतंत्रीकरण हो गया है। इससे उन लोगों के लिए भी रास्ता खुल गया है, जो सर्वोच्च न्यायालय आने में असमर्थ हैं।'
कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा, '26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ और 28 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया था। भारत निर्माण में कानूनी बिरादरी की अहम भूमिका रही है।'