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देश के सबसे लंबे रेल-रोड ब्रिज बोगीबील पुल से गुजरेंगी ट्रेन, PM मोदी ने किया उद्घाटन

असम और अरुणाचल प्रदेश का सालों लंबा इंतजार खत्म हो गया है। ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंबा डबल डेकर रेल और रोड ब्रिज तैयार है। PM मोदी आज यानी मंगलवार को बोगीबील पुल से गुजरने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखा कर देश के सबसे लंबे रेल-सड़क पुल का उद्घाटन करेंगे।

Anoop Ojha
Published on: 25 Dec 2018 6:26 AM GMT
देश के सबसे लंबे रेल-रोड ब्रिज बोगीबील पुल से गुजरेंगी ट्रेन, PM मोदी ने किया उद्घाटन
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नई दिल्ली: असम और अरुणाचल प्रदेश का सालों लंबा इंतजार खत्म हो गया है। ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंबा डबल डेकर रेल और रोड ब्रिज तैयार है। PM मोदी मंगलवार को बोगीबील पुल से गुजरने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखा कर देश के सबसे लंबे रेल-सड़क पुल का उद्घाटन किया।



असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबील ब्रिज भारतीय सेना के लिए खासा अहम है। करीब 4.94 किलोमीटर लंबा रेल और रोड ब्रिज अरुणाचल सीमा से सटे होने के कारण सामरिक दृष्टि से यह काफी अहम है।

मालूम हो कि इस पुल को मंजूरी 1997 में तत्कालीन एचडी देवेगौड़ा सरकार ने दी थी। लेकिन इसका निर्माण अप्रैल 2002 में शुरू हो पाया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रेल मंत्री नीतीश कुमार के साथ इसका शिलान्यास किया था।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बोगीबील पुल पुल का डिब्रुगढ़ में फीता काटकर उद्घाटन किया साथ ही इस पुल की यात्रा भी की। उन्होंने पुल के दूसरे छोर पर स्थित धीमाजी में एक जनसभा भी संबोधित किया। भारतीय रेलवे ने इस बेहद चुनौतीपूर्ण काम को सफलता के साथ दिया है अंजाम, इसके नीचे के डेक पर दो रेल लाइन हैं और ऊपर के डेक पर 3 लेन की सड़क है।

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लागत 5800 करोड़ रुपये

4.90 किलोमीटर लंबे बोगीबील पुल की अनुमानित लागत 5,800 करोड़ रुपये है। इस पुल का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक से किया गया है। इसके बन जाने से ब्रह्मापुत्र के दक्षिणी और उत्तरी किनारों पर मौजूद रेलवे लाइनें आपस में जुड़ जाएंगी। पुल के साथ ब्रह्मापुत्र के दक्षिणी किनारे पर मौजूद धमाल गांव और तंगनी रेलवे स्टेशन भी तैयार हो चुके हैं।

अड़चनों के बाद पूरा हुआ पुल

पिछले 21 वर्षो में इस पुल को पूरा करने के लिए कई बार समय-सीमा तय की गई। लेकिन अपर्याप्त फंड और तकनीकी अड़चनों के कारण कार्य पूरा नहीं हो सका। कई बार विफल होने के बाद आखिरकार एक दिसंबर को पहली मालगाड़ी के इस पुल से गुजरने के साथ इसका निर्माण कार्य पूर्ण घोषित हुआ। तीन लेन की सड़क और दो रेलवे ट्रैक वाले इस पुल के निर्माण से अरुणाचल प्रदेश में चीन की लगती सीमा तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे सैन्य साजो सामान पहुंचाने में भी सहूलियत होगी।

रेल, रोड की दूरी होगी कम

इस पुल के बनने से डिब्रूगढ़ और अरुणाचल प्रदेश के बीच रेल की 500 किलोमीटर की दूरी घटकर 400 किलोमीटर रह जाएगी। जबकि ईटानगर के लिए रोड की दूरी 150 किमी घटेगी। इस पुल के साथ कई संपर्क सड़कों तथा लिंक लाइनों का निर्माण भी किया गया है। इनमें ब्रह्मापुत्र के उत्तरी तट पर ट्रांस अरुणाचल हाईवे तथा मुख्य नदी और इसकी सहायक नदियों जैसे दिबांग, लोहित, सुबनसिरी और कामेंग पर नई सड़कों तथा रेल लिंक का निर्माण भी शामिल है।

दिल्ली से बढ़ेगी रेल कनेक्टिविटी

तिनसुकिया के मंडल वाणिज्य प्रबंधक शुभम कुमार के अनुसार इस पुल के बनने से दिल्ली से डिब्रूगढ़ की रेल से दूरी तीन घंटे कम हो जाएगी। अब ट्रेन डिब्रूगढ़ से गुवाहाटी होते हुए नाहरलगुन (अरुणाचल) पहुंचाएगी। ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी। अभी दिल्ली से नाहरलगुन साप्ताहिक ट्रेन चलती है।

पंजाब, हरियाणा से बढ़ेगी अनाज की ढुलाई

अभी असम से कोयला, उर्वरक और स्टोन चिप्स की रेल से सप्लाई उत्तर व शेष भारत को होती है। जबकि पंजाब, हरियाणा से यहां अनाज आता है। इस पुल के बनने से इनमें बढ़ोतरी के साथ रेलवे की आमदनी बढ़ने की संभावना है।

नई तकनीक का इस्तेमाल

-पुल के निर्माण में 80 हजार टन स्टील प्लेटों का इस्तेमाल हुआ।

-देश का पहला फुल्ली वेल्डेड पुल जिसमें यूरोपियन मानकों का पालन हुआ है।

-हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन ने मैग्नेटिक पार्टिकल टेस्टिंग, ड्राई पेनिट्रेशन टेस्टिंग तथा अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग जैसी आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल किया।

-बीम बनाने के लिए इटली से विशेष मशीन मंगाई गई।

-बीम को पिलर पर चढ़ाने के लिए 1000 टन के हाइड्रॉलिक और स्ट्रैंड जैक का इस्तेमाल किया गया।

-पुल के 120 साल चलने की आशा है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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