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शीरे से ब्यास हुई जहरीली, मामले की जांच की मांग

raghvendra
Published on: 1 Jun 2018 2:58 PM IST
शीरे से ब्यास हुई जहरीली, मामले की जांच की मांग
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दुर्गेश पार्थसारथी

चंडीगढ़: पंजाब की पांच प्रमुख नदियों में से एक ब्यास इन दिनों प्रदूषित हो गई है। इसके प्रदूषण का कारण इस नदी के किनारे गुरदासपुर जिले में स्थित एक शुगर मिल है। बताया जा रहा है कि इस मिल का गर्म शीरा नाले के रास्ते नदी में आकर मिला जिससे इससे इसके पानी रंग तो बदला ही साथ ही हजारों की संख्या में जलीय जीव प्रदूषण की भेंट चढ़ गए। इनमें मछलियों और कछुओं से लेकर तमाम जीव शामिल हैं। हालांकि प्रशासन दावा कर रहा है कि घडिय़ाल और डालफीन सुरक्षित हैं। अब सवाल यह उठता है कि इसके लिए दोषी कौन है। मिल मालिक या फिर पंजाब सरकार का वह तंत्र जिसके जिम्मे प्रदूषण को नियंत्रण करने की जिम्मेदारी है।

दरअसल गत 17 मई को ब्यास से करीब एक मिलोमीटर की दूरी पर स्थित चड्ढा शुगर मिल में शीरे के प्लांट में उबाल आने के कारण हजारों टन शीरा एक नाले से होता हुआ ब्यास में आ मिला। हालांकि बताया जा रहा है कि मिल प्रबंधन ने इसे रोकने का प्रयास किया मगर कामयाबी नहीं मिली। नदी के पानी में शीरा मिलने के कारण व्यास से लेकर हरिके होते हुए फिरोजपुर तक ब्यास के पानी की रंगत बदल गई। इसकी सूचना मिलते ही प्रशासन द्वारा पौंग डैम से नदी में एक हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया ताकि जल प्रदूषण कम होने के साथ-साथ जलीय जीवों को ऑक्सीजन मिल सके। गुरदासपुर जिले के कीड़ी अफगाना स्थित चड्ढा शुगर मिल से शीरा लीक होकर नदी में पहुंचने की सूचना मिलते ही गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड साइंस यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का एक दल ब्यास नदी के किनारे पहुंचा और मछलियों को बचाने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान विशेषज्ञों की टीम ने मरी मछलियों के अलग-अलग समय पर तीन सैंपल लिए ताकि यह पता लगाया जाए कि पानी प्रदूषण का स्तर कितना है। हालांकि देर शाम तक पानी का कालापन कुछ हद तक कम हो गया।

पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि नदी के पानी को दूषित करने के मामले में उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन से जल प्रदूषण रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की अपील की है। वहीं पीपीसीबी के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने कहा कि किसी ने जान-बूझकर ऐसा नहीं किया। इसकी जांच के लिए अमृतसर के डीसी को नियुक्त किया गया है जो जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेंगे। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि शीरे के कारण करीब तीस किलोमीटर के क्षेत्र में नदी का पानी विषैला हुआ था। वहीं मछलियों व अन्य जलीय जीवों की मौत के पीछे पानी का तेजाबी होना बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दरिया के पानी में तेजाब की मात्रा इतना तेजी से बढ़ी कि मछलियों को ऑक्सीजन की कमी होने लगी जिससे वे दम घुटने से मर गयीं।

उधर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की। इस मामले में पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जल प्रदूषण पर चिंता जताते हुए पर्यावरण को हुए नुकसान व इसके सुरक्षा के लिए किए जा रहे उपायों की रिपोर्ट तलब की है। इसके साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मिल मालिक काफी पॉवरफुल है और राज्य सरकार में मुख्यमंत्री के धार्मिक सलाहकार भी हैं। आशंका है कि वे जांच को प्रभावित भी कर सकते हैं। वन्य जीव विभाग इस मामले में अदालत पहुंच गया है।

बताया जा रहा है कि ब्यास में शीरा बहाए जाने के मामले में अकेले मिल प्रबंधन ही दोषी नहीं है बल्कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी दोषी है क्योंकि तीन माह पूर्व बोर्ड मैनेजमेंट ने चेयरमैन काहन सिंह पन्नू के दस्तख्त वाला पत्र जारी कर अपने ही सीनियर एनवायरमेंट इंजीनियर को आदेश दिए थे कि बोर्ड चेयरमैन या फिर मेंबर सेक्रेटरी की इजाजत के बिना किसी उद्योग या निर्माण वाली जगह का दौरा नहीं करेंगे। अब ब्यास का मामला सामने आने पर कहा जा रहा है कि ब्यास को विषैला करने में दोषी कौन है मिल प्रबंधन या प्रशासन।

कई जिलों में जल संकट

ब्यास का पानी दूषित होने के कारण राजस्थान सहित पंजाब के करीब छह से अधिक जिलों में पेयजल संकट खड़ा हो गया है क्योंकि सूबे के फिरोजपुरा, फाजिलका, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, बठिंडा, मानसा सहित कई जिलों में ब्यास के पानी को नहरों के रास्ते पहुंचाया जाता है, जहां इस पानी को पीने के लायक बनाया जाता है और उसके बाद सप्लाई किया जाता है। यही नहीं नहरी विभाग सतलुज व ब्यास के संगम हरिके में बांध बनाकर राजस्थान नहर को 5345 और सरहिंद फीडर में पेजाब को 7060 क्यूसेक पानी छोड़ता है,लेकिन नदी के पानी में तेजाबी शीरा मिलने की घटना ने नहर के पानी को पेयजल के रूप में इस्तेमाल करने से रोक दिया है, जिससे इन क्षेत्रों में पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है।

रामायण में भी मिलता है ब्यास का उल्लेख

ब्यास नदी का उल्लेख रामायण में भी मिलता है। इसका उद्गम स्थल रोहतांग दर्रे के पास 4000 मीटर की उंचाई पर है। यह नदी शिवालिक की पहाडिय़ों, होशियारपुर, गुरदासपुर, अमृतसर, कपूरथला, तरनतारन व फिरोजपुर जिले की सीमा से होती होई निकलती है। ब्यास की कुल लंबाई 720 किमी है जो तरनतारन जिले के हरिके में सतलुज में मिलती है। ब्यास के किनारे हिमाचल प्रदेश का मंडी शहर बसा है। इस नदी पर दो पौंग व हरीके बांध बना है। इसका नाम महर्षि ब्यास के नाम पर पड़ा है। ब्यास का पुराना नाम अर्जिकिया व विपाशा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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