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मामाजी और पृथ्वीराज ने दिलाई थी पोखरण परमाणु परीक्षण में सफलता
लखनऊ: पोखरण का दूसरा सफल परमाणु परीक्षण 11 मई को हुआ था। इस परीक्षण को किया था अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने और इसके इंचार्ज थे वैज्ञानिक और बाद में राष्ट्रपति बने एपीजे अब्दुल कलाम और अनिल काकोदर। इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था 'ऑपरेशन शक्ति'। इसके सफल होने पर कलाम ने अटल जी को फोन पर कहा था 'बुद्धा इज स्माइलिंग अगेन।'
'मामाजी' और 'पृथ्वीराज' थे अहम किरदार
इस विस्फोट में सबसे अहम भूमिका थी मामाजी और पृथ्वीराज की। हम रिश्तेदारी की बात नहीं कर रहे हैं। इस मिशन में सबका 'कोड नेम' था। 'मामाजी' कोड था अनिल काकोदर और 'मेजर जनरल पृथ्वीराज' बने थे खुद एपीजे कलाम। इस विस्फोट में एक अहम नाम था आर चिदंबरम का जिन्हें 'मेजर जनरल नटराज' का नाम दिया गया था।
कैसे दिया था अमरीका समेत पूरी दुनिया को धोखा ?
दरअसल भारत अपना दूसरा परमाणु परीक्षण 1995 में ही करना चाहता था पर इसे अमरीकी जासूसी सेटेलाइट ने पकड़ लिया था और इसे टाल दिया गया था।
बनाई थी जबरदस्त योजना
1998 में ऑपरेशन शक्ति के लिए एक जबरदस्त योजना एपीजे ने बनाई थी। एक मई को सुबह तीन बजे मुंबई के सांताक्रूज हवाई अड्डे से सेब की पेटियों को जैसलमेर पहुंया गया था।
ऐसे पहुंचाया था परमाणु बम
यात्रा की जिम्मेदारी मेजर जनरल नटराज बने आर. चिदंबरम और मामाजी कोडनेम वाले अनिल काकोदर के कंधों पर थी। ये पेटियां खेतोलाई गांव में बनाए गए कंट्रोल रूम पहुंचाए गए थे जिसे 'डियर पार्क' का कोड दिया था। दरअसल सेब के साथ भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर में तैयार परमाणु बम रखे गए थे।
डियर पार्क से इसे हवाले किया गया मेजर जनरल पृथ्वीराज चौहान या एपीजे अब्दुल कलाम को। उन्होंने झुलसा देने वाली गर्मी में आर्मी की ड्रेस पहनकर काम किया।
परीक्षण के बाद विक्टरी का साइन दिखाते सभी वैज्ञानिक
ऐसे दिया अमरीकी सेटेलाइट को धोखा
अमरीकी सेटेलाइट को धोखा देने के लिए पांच कुंए खुदवाए गए थे। इनके नाम भी बहुत अजीब थे। हाइड्रोजन बम के परीक्षण वाले कुएं का नाम 'व्हाइट हाउस' था, फिशन बम के कुंए का 'ताजमहल' और सबकिलोटन बम के कुएं का नाम था 'कुंभकर्ण'।
विक्ट्री कोड
इस ऑपरेशन की सफलता भी कोड में बताई गई थी। इसके सफल होने पर कलाम ने अटल जी को फोन पर कहा था 'बुद्धा इज स्माइलिंग अगेन'। दरअसल इंदिरा गांधी के पहले परमाणु परीक्षण का कोड नेम था 'बुद्ध इज इस्मालिंग'।