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खतरनाक! मानव अंग तस्करी का इंटरनेशनल रैकेट, ईरान से केरल तक जुड़े हैं तार
New Delhi: किडनी प्रत्यारोपण के लिए हैदराबाद और बेंगलुरु के कई युवाओं को ईरान में तस्करी कर ले जाया जाता था।
New Delhi News: पुलिस ने केरल से जुड़े एक अंतरराष्ट्रीय अंग तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस सिलसिले में हुई गिरफ्तारियों और जांच में पता चला है कि किडनी प्रत्यारोपण के लिए हैदराबाद और बेंगलुरु के कई युवाओं को ईरान में तस्करी कर ले जाया जाता था। एनआईए समेत केंद्रीय एजेंसियां भी मामले की जांच कर रही हैं और उन्होंने प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है।
गरीब बने शिकार
माना जाता है कि इस रैकेट ने रुपये-पैसे से कमजोर लोगों को मोटी रकम के बदले विदेश में अंग दान करने के लिए फंसाया गया। गिरफ्तार व्यक्ति के बयानों के अनुसार अंगदान के लिए ईरान ले जाए गए कुछ लोगों की वहीं मौत हो गई। पुलिस ने अंग तस्करी रैकेट के एक संदिग्ध सदस्य, केरल के त्रिशूर के वलपद के 30 वर्षीय सबिथ नसर को 19 मई को कोच्चि हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था जबकि कोच्चि के एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस का दावा
सबिथ ने कथित तौर पर पुलिस के सामने कबूल किया है कि वह अंग निकालने के लिए 20 लोगों को भारत से ईरान ले गया था। पुलिस के अनुसार, सबिथ ने बताया है कि वह अवैध रूप से किडनी प्रत्यारोपण के लिए भारत से लोगों की भर्ती करने वाले रैकेट का हिस्सा था। खासकर हैदराबाद और बेंगलुरु के युवाओं को किडनी दाताओं के रूप में ईरान में भर्ती किया गया था। इन युवाओं को ईरान के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने उपयुक्त प्राप्तकर्ताओं को किडनी दान की। अस्पताल में उनका तीन दिनों तक इलाज किया गया। इसके बाद, दानदाताओं को एक फ्लैट में 20 दिनों तक रहने की सुविधा प्रदान की गई और फिर वापस भारत भेज दिया गया। पुलिस के मुताबिक – डोनर्स को किडनी दान के लिए 6 लाख रुपये तक का भुगतान किया गया। अभियुक्तों ने कबूल किया है कि पलक्कड़ के एक युवक शमीर ने लगभग छह महीने पहले इस तरह से किडनी दान की थी। शमीर गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा था और हो सकता है कि उसने अपना कर्ज चुकाने के लिए किडनी दान की हो। अधिकारियों ने कहा है कि मामले के संबंध में और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
व्यापक जाँच होगी
जांचकर्ताओं ने कहा कि मामले के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को देखते हुए केरल में सबिथ के वित्तीय लेनदेन और लिंक की विस्तार से जांच की जाएगी। रैकेट में हैदराबाद के कुछ लोग भी शामिल हैं। पुलिस ने इन संदिग्ध व्यक्तियों की जांच शुरू कर दी है। संदेह है कि साबिथ ने फर्जी आधार और अन्य पहचान पत्रों के साथ केरल पहुंचने वाले कुछ प्रवासी श्रमिकों को अंग सौदे के लिए ईरान में भर्ती किया था। सबिथ पर आईपीसी की धारा 370 (मानव तस्करी) और मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम की धारा 19 (मानव अंगों के साथ वाणिज्यिक लेनदेन) के तहत आरोप लगाया गया है।
बेकरी में काम करता था
जानकारी के अनुसार 30 वर्षीय सबिथ ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था। इसके बाद वह 2017 से एक बेकरी में काम करने लगा फिर बाद में कोच्चि चला गया। तेहरान के एक अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण के रोगियों की सहायता के लिए 2019 में ईरान जाने से पहले उसने विभिन्न नौकरियां कीं।
सूत्रों ने कहा कि ईरान में रहने के दौरान, सबिथ ने किडनी प्रत्यारोपण के लिए दाताओं की व्यवस्था करना शुरू कर दिया और अंग व्यापार नेटवर्क में शामिल हो गया। इसके बाद उसने श्रीलंका में किडनी के व्यापार के लिए हैदराबाद के एक निवासी और कोच्चि के एक निवासी के साथ संबंध स्थापित किए। समझा जाता है कि सबिथ ने पैसे के लिए 2019 में अपनी किडनी दान करने का प्रयास किया था। हालांकि, जब उसे एहसास हुआ कि वह अन्य दानदाताओं को भर्ती करके अधिक पैसा कमा सकता है, तो वह रैकेट का एजेंट बन गया।
2019 के बाद से ईरान जैसे देशों की उनकी लगातार यात्रा के कारण इमिग्रेशन ब्यूरो के अधिकारियों के बीच संदेह पैदा हुआ, जिन्होंने फिर उसे केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी में रखा।