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जादवपुर यूनिवर्सिटी में हंगामे के बाद राजनीति शुरू, चार पर केस दर्ज

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Published on: 7 May 2016 1:28 PM GMT
जादवपुर यूनिवर्सिटी में हंगामे के बाद राजनीति शुरू, चार पर केस दर्ज
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प.बंगाल: पश्चिम बंगाल के जादवपुर यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को फिल्म ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम’ की स्क्रीनिंग को लेकर शुरू हुआ हंगामा बढ़ता ही जा रहा है। यूनिवर्सिटी में जारी अशांति के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केएन त्रिपाठी को भी बयान देना पड़ गया। उन्होंने कहा, 'यूनिवर्सिटी तेजी से अशांति के केन्द्र के रूप में तब्दील हो रहा है। अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

चार के खिलाफ एफआईआर दर्ज

-वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन से चार लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिनमें से तीन एबीवीपी से जुड़े हैं।

-यूनिवर्सिटी प्रशासन की मानें तो शुक्रवार को हंगामे के दौरान कुछ छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी।

-छात्राओं ने छेड़छाड़ का आरोप बाहरी लोगों पर लगाया है जो फिल्म स्क्रीनिंग को लेकर कैंपस में घुसे थे।

वीसी ने की पुष्टि

एफआईआर दर्ज कराने की पुष्टि करते हुए यूनिवर्सिटी के वीसी सुरंजन दास ने कहा कि दो छात्रों ने छेड़छाड़ की शिकायत की है। पुलिस जांच में ये साफ हो जाएगी कि आखिर वे कौन लोग थे जो कैंपस में घुसकर इस तरह की हरकत की।

प्रदर्शन करते छात्र प्रदर्शन करते छात्र

कूदे राजनेता

-इस बीच यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों के दो गुटों के बीच शुरू हुई ये लड़ाई ने अब राजनीतिक रूप ले लिया है।

-बीजेपी ने जादवपुर यूनिवर्सिटी को ‘राष्ट्र-विरोधी तत्वों’ का गढ़ करार दिया है।

-बीजेपी ने वीसी पर वाम दलों के साथ मिलकर राष्ट्र विरोधी तत्वों को समर्थन करने का भी आरोप लगाया है।

क्या कहा पश्चिम बंगाल बीजेपी प्रमुख ने

पश्चिम बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि ‘जादवपुर यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों के बीच अशांति आम बात हो गई है। एक ऐसी फिल्म की स्क्रीनिंग अवैध रूप से रोक दी गई जिसे सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिली हुई है।’ बीजेपी नेता वाम दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि फिल्मी स्क्रीनिंग को रोकना देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।

कैंपस में राजनीति से छात्र प्रभावित

-वहीं राज्य के कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जादवपुर यूनिवर्सिटी को राजनीतिक का अड्डा बनाया जा रहा है।

-कैंपस के अंदर राजनीतिक दलों की लड़ाई में छात्रों का नुकसान हो रहा है।

-उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल शैक्षणिक संस्थानों को राजनीति का अड्डा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

-उन्होंने सभी नेताओं से अपील है कि शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों के लिए छोड़ दिया जाए।

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