श्रीलंका: संसद भंग किये जाने के फैसले के खिलाफ SC पहुंची राजनीतिक पार्टियां

Shivakant Shukla
Published on: 13 Nov 2018 7:38 AM GMT
श्रीलंका: संसद भंग किये जाने के फैसले के खिलाफ SC पहुंची राजनीतिक पार्टियां
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नई दिल्ली: श्रीलंका की मुख्य राजनीतिक पार्टियों और चुनाव आयोग के एक सदस्य ने सोमवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को सुप्रीम कोर्ट में संसद भंग करने के विवादित फैसले को चुनौती दिया।

बता दें कि सिरिसेना ने संसद का कार्यकाल समाप्त होने से करीब 20 महीने पहले उसे भंग करने का फैसला लिया था। उन्होंने 9 नवंबर को संसद भंग करते हुए अगले साल पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की है। यह फैसला उन्होंने तब लिया जब यह स्पष्ट हो गया कि 72 वर्षीय महिंदा राजपक्षे के पास प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए सदन में पर्याप्त संख्या बल नहीं है।

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गौरतलब है कि सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करते हुए उनकी जगह राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। राजपक्षे को 225 सदस्यों वाले सदन में अपना बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 113 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी।

सिरिसेना ने अपने फैसले के पक्ष में क्या कहा?

सिरिसेना ने संसद भंग करने के अपने विवादित फैसले का रविवार को पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि प्रतिद्वंद्वी सांसदों के बीच झड़पों से बचने के लिए यह फैसला लिया गया।

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श्रीलंका के संविधान का 19वां संशोधन कुल पांच साल के कार्यकाल में साढ़े चार साल से पहले संसद भंग करने की राष्ट्रपति की सीमाओं को सीमित करता है| इसलिए, संवैधानिक तौर पर नया चुनाव फरवरी 2020 से पहले नहीं हो सकता क्योंकि मौजूदा संसद का कार्यकाल अगस्त 2020 में समाप्त हो रहा है।

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स्पीकर ने कहा, गैरकानूनी आदेश न मानें नौकरशाह

श्रीलंकाई संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या ने नौकरशाहों से कहा है कि वे कोई भी 'गैरकानूनी' आदेश मानने से इन्कार कर दें। भले ही वह आदेश किसी ने भी दिया हो। उन्होंने राष्ट्रपति से तुरंत संसद सत्र बुलाने का अनुरोध भी किया है ताकि पता चल सके कि बहुमत किस पार्टी के साथ है।

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