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Lok Sabha Protem Speaker: प्रोटेम स्पीकर पर सियासी बवाल,महताब की नियुक्ति पर कांग्रेस ने बोला हमला,संसदीय परंपराओं की अनदेखी का आरोप
Lok Sabha Protem Speaker: यह कदम संसदीय परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है क्योंकि रीति-रिवाज और परंपरा के मुताबिक सुदेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए था।
Lok Sabha Protem Speaker: लोकसभा का सत्र शुरू होने से पहले प्रोटेम स्पीकर के रूप में भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब की नियुक्ति पर सियासी घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आठ बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश के बजाय महताब को अस्थायी अध्यक्ष बनाकर संसदीय परंपराओं की अनदेखी की गई है। सुरेश ने कहा कि लोकसभा का वरिष्ठतम सदस्य होने के कारण उन्हें सदन का अस्थायी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए था मगर सरकार ने संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का प्रयास किया है।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम संसदीय परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है क्योंकि रीति-रिवाज और परंपरा के मुताबिक सुदेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता टकराव की राजनीति कर रहे हैं और पार्टी बुलडोजर की मानसिकता से उबर नहीं पाई है।
पहले दिन से ही टकराव का रास्ता
रमेश ने कहा कि 18वीं लोकसभा में कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश और वीरेंद्र कुमार (भाजपा) दोनों ही अपना आठवां कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। 2019 में वीरेंद्र कुमार और 2014 में कमलनाथ प्रोटेम स्पीकर बने थे। वीरेंद्र कुमार को अब मंत्री बनाया जा चुका है और ऐसे में सभी को उम्मीद थी कि सुरेश को ही प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी सौंप जाएगी मगर सरकार ने सबकी उम्मीदों के विपरीत काम किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सातवें कार्यकाल वाले मेहताब को प्रोटेम स्पीकर बनाकर टकराव की राजनीति शुरू कर दी है। वे संसद के पहले दिन से ही टकराव के रास्ते पर चल रहे हैं और सबको दिखाना चाहते हैं कि हमारी हुकूमत है। हालांकि सभी को इस बात की जानकारी है कि जनादेश प्रधानमंत्री के खिलाफ है। 400 पार का नारा देने वाले को सिर्फ 240 सीटें मिली हैं।
संसदीय प्रक्रियाओं को दरकिनार किया
आठ बार के सांसद सुरेश ने भी महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने पर तीखी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह अतीत में अपनाई गई परंपराओं के पूरी तरह खिलाफ है। मीडिया से बातचीत के दौरान सुरेश ने कहा कि सरकार ने संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का प्रयास किया है। सरकार का यह फैसला देश में संसदीय लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है।मोदी सरकार के इस फैसले से संकेत मिलता है कि भाजपा संसदीय प्रक्रियाओं को दरकिनार करना जारी रखेगी। पार्टी अपने हितों के लिए कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार है। भाजपा पहले भी दो बार संसदीय प्रक्रियाओं की अनदेखी कर चुकी है।
भाजपा का कम विपक्ष का अपमान
कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद ने कहा कि भाजपा के कदम से साफ है कि वह विपक्ष का अपमान करना जारी रखेगी। भाजपा विपक्ष को वह मौका भी नहीं देना चाहती जिसका वह हकदार है। सुरेश ने कहा कि पुरानी परंपराओं के अनुसार सबसे ज्यादा बार सांसद रहे लोकसभा सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है।उन्होंने कहा कि यह परंपरा पहले भी अपनाई गई थी जब कांग्रेस, यूपीए, भाजपा और एनडीए सत्ता में थे। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा सचिवालय की ओर से मेरा ही नाम भेजा गया था मगर जब केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेजी तो उसमें मेरा नाम नहीं था।18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होने वाला है। 24 और 25 जून को प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे और इसके बाद 26 जून को लोकसभा के नए स्पीकर का चुनाव होगा। वैसे पूर्व में भी कई बार ऐसे सांसदों को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है जो वरिष्ठतम नहीं थे।