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Politics 2024: इन पांच नेताओं की कभी बोलती थी तूती, लेकिन 2024 में बर्बाद हो गई इनकी राजनीति!

Politics 2024: यह साल बीएसपी सुप्रीमो मायावती और नवीन पटनायक के लिए भी काफी बुरा रहा। मायावती को लोकसभा चुनाव में जहां झटका लगा तो वहीं नवीन पटनायक को ओडिशा विधानसभा चुनाव में हार का समाना करना पड़ा और उनकी सरकार भी चली गई।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 31 Dec 2024 8:39 AM IST (Updated on: 31 Dec 2024 8:42 AM IST)
Politics 2024: Mayawati, Sharad Pawar and Uddhav Thackeray
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Politics 2024: Mayawati, Sharad Pawar and Uddhav Thackeray (Pic:Newstrack)

Politics 2024: 2024 का साल देश की राजनीति के लिए काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनाने में तो सफल रही लेकिन उसे व्यक्तिगत तौर पर झटका भी लगा, उसको 2019 के मुकाबले 2024 में कम सीटें मिलीं। कुल मिलाकर देखा जाए तो 2024 कई नेताओं के लिए अच्छा रहा तो वहीं कई के लिए काफी बुरा भी साबित हुआ। यह साल कई नेताओं के लिए जहां मिला जुला अनुभव लेकर आया तो वहीं कई को इस साल बड़ा झटका भी लगा। क्षेत्रीय राजनीति में भी काफी उथल-पुथल देखने को मिला। कई ऐसे नेता भी रहे जिन्हें लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली लेकिन वहीं विधानसभा में उन्हें ऐसा झटका लगा जैसे मानों उनकी राजनीति की खत्म हो गई।


2024 महाराष्ट्र की राजनीति में भी काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके एकनाथ शिंदे ऐसे नेताओं में शामिल हैं। जिनकी राजनीति इस साल उतार-चढ़ाव से भरी रही। 2022 में मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे के लिए लोकसभा चुनाव के नतीजे जहां अच्छे नहीं रहे तो वहीं विधानसभा चुनाव में अच्छी सीटें पाने के बाद भी उन्हें एक बड़ी निराशा लगी, उन्हें लाख कोशिशों के बावजूद भी सीएम की कुर्सी दोबारा नसीब नहीं हो सकी और उन्हें डिप्टी सीएम के पद पर ही संतोष करना पड़ा। लेकिन, इसके बावजूद वो शरद पवार और उद्धव ठाकरे से काफी बेहतर स्थिति में हैं, जिनका विधानसभा चुनाव में सब कुछ लुट चुका है। वहीं यह साल बीएसपी सुप्रीमो मायावती और नवीन पटनायक के लिए भी काफी बुरा रहा। मायावती को लोकसभा चुनाव में जहां झटका लगा तो वहीं नवीन पटनायक को ओडिशा विधानसभा चुनाव में हार का समाना करना पड़ा और उनकी सरकार भी चली गई।


शरद पवार केवल बारामती में ही सिमट कर रह गए

2024 महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार के लिए निराश करने वाला रहा। लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना और एनसीपी के टूट जाने से महाविकास आघाड़ी के नेता सदमे में थे, लेकिन जब लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आया तो हर कोई गलतफहमी का शिकार हो गया और हकीकत विधानसभा चुनाव में सामने आ गई। लोकसभा चुनाव में बारामती सीट पर बेटी सुप्रिया सुले की जीत के बाद पिता शरद पवार को लगा कि अब भतीजे अजित पवार को तो वो यूं ही निपटा दूंगा। लेकिन भतीजे ने बीजेपी के साथ मिलकर ऐसा खेल खेला की शरद पवार के साथ राजनीति में अब तक का सबसे बड़ा खेला ही हो गया। भतीजे अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार को विधानसभा चुनाव में ऐसी पटखनी दी की चाचा केवल अपना बारामती का गढ़ बचा तो लिया है, लेकिन अपने विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल कर अजित पवार ने वहां भी सेंध लगा ही दी है।


कहीं के नहीं रह गये उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी के लिए यह साल काफी निराश करने वाला रहा। 2024 के विधानसभा चुनाव में उद्धव महाविकास अघाड़ी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनना चाहते थे, लेकिन शरद पवार ने उन्हें गच्चा दे दिया। उनको सीएम पद का चेहरा घोषित करना न शरद पवार को मंजूर था और न ही राहुल गांधी को। शरद पवार की तरह उद्धव ठाकरे ने भी बेटे आदित्य ठाकरे की वर्ली सीट जरूर बचा ली है, लेकिन वहां राज ठाकरे का उम्मीदवार वोट नहीं काटता तो आदित्य का जीत पाना मुश्किल होता। ये बात अलग है राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे अपने पहले ही चुनाव में हार गये। अब उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों की हालत एक जैसी हो गई है। अब इन दोनों के पास ले देकर बीएमसी चुनावों से थोड़ी बहुत उम्मीद है, वरना लगता तो ऐसा है जैसे कहीं के नहीं रहे।


मायावती को 2024 दे गया बड़ा झटका

बीएसपी का हाल आज काफी खराब है। पार्टी एक-एक कर चुनाव हारती जा रही है। जहां 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा वह केवल एक सीट ही जीत पाई थी और कांग्रेस से भी उसका हाल बरा रहा। कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं। तो वहीं 2024 का लोकसभा चुनाव बीएसपी के लिए और भी निराश करने वाला रहा। वह यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई। वह 2014 की ही तरह फिर से जीरो पर आ गई।

कभी दलित राजनीति में मायावती के मुकाबले कोई नहीं था, उन्होंने जो मुकाम हासिल किया वो बहुतों को नसीब नहीं हुआ है। लेकिन एक बड़ी सच्चाई भी है कि उनकी राजनीति करीब-करीब खत्म होती नजर आ रही हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे तो उनके लिए निराश करने वाले थे ही वहीं यूपी की 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजे ने तो उन्हें उससे भी बड़ा झटका दे दिया। उपचुनाव में दो सीटों पर तो बीएसपी के उम्मीदवार पांचवें स्थान पर पहुंच गये, जबकि चंद्रशेखर की पार्टी वाले तीसरे स्थान पर रहे थे। मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को भी मोर्चे पर तैनात किया, लेकिन बीएसपी को कोई फायदा नहीं हुआ। वहीं आंबेडकर के मुद्दे पर जारी विवाद के बीच जिस तरह से मायावती का रवैया है उससे भी बीएसपी की सेहत सुधरने वाली नहीं दिख रही है। मायावती लगातार कांग्रेस पर हमला बोलकर बीजेपी को भी फायदा पहुंचा रही हैं। बीएसपी की जो इस समय की राजनीति है उससे भविष्य में पार्टी के लिए कोई उम्मीद नहीं दिख रही हे। मायावती और बीएसपी के लिए 2024 काफी निराशाजनक रहा। उम्मीद हे कि 2025 में बीएसपी अपनी रणनीति में बदलाव करेगी और उनके लिए आने वाला दिन बेहतर होगा।


नवीन पटनायक के लिए वापसी तो असंभव लगती है

ओडिशा में वर्षों से राज्य करने वाले नवीन पटनायक के लिए 2024 काफी खराब रहा। इस साल हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में उन्हें जोर का झटका लगा। जिस बीजेपी के साथ वे दस साल तक नजर आए उसी बीजेपी ने ओडिशा से सत्ता से उन्हें बेदखल कर दिया। अब लगता नहीं है कि ओडिशा में बीजेडी सत्ता में वापसी कर पाएगी। इस हिसाब से देखा जाए तो 2024 तो नवीन पटनायक के लिए सबसे बुरा साल ही साबित हुआ।


महबूबा मुफ्ती की राजनीति भी बर्बादी की कगार पर

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद अब्दुल्ला परिवार और मुफ्ती परिवार दोनो की राजनीति करीब-करीब एक ही मोड़ पर पहुंच चुकी थी, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस ने 2024 के विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराय और सत्ता में आ गई तो वहीं महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी जैसे मानों बर्बाद ही हो गई। जो महबूबा मुफ्ती कभी बीजेपी की मदद से जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री बनी थीं, वो 2024 में राजनीतिक हाशिये पर पहुंच चुकी हैं। वहीं जिस हिसाब से उमर अब्दुल्ला सरकार चला रहे हैं उसको देखते हुए तो यही लगाता है कि पीडीपी को अब खड़ा होना मुश्किल है। अगर कोई चमत्कार हो जाए तो वो अलग बात है।

ये भी हो गए बर्बाद

यही नहीं 2024 में कई और नेता भी बर्बाद हो गए। जिनका राजनीतिक कैरियर बर्बाद हो गया। इसमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे जगनमोहन रेड्डी, लोक जनशक्ति पार्टी पर काबिज होकर केंद्र में मंत्री बने पशुपति कुमार पारस और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल शामिल हैं। इन नेताओं का आने वाले भविष्य चाहे जैसा भी हो, फिलहाल तो इनकी राजनीति गर्दिश में ही है।



Ashish Kumar Pandey

Ashish Kumar Pandey

Senior Content Writer

I have 17 years of work experience in the field of Journalism (Newspaper & Digital). Started my journalism career on 1 April 2005 as a sub-editor from Dainik Bhaskar Jaipur. After that, on January 1, 2008, I worked as a sub editor in I- Next News Paper (Hindi Daily) till July 31, 2009. During this I handled the responsibility of the National Desk. From August 1, 2009 to September 13, 2010, worked in Amar Ujala on National Desk and City Desk in Bareilly and Moradabad as Senior Sub Editor. From 15 September 2010 to 31 October 2011, worked as Senior Sub Editor/Senior Reporter in Hindustan newspaper Bareilly. From November 1, 2011, worked in Gwalior on the post of Chief Sub Editor in Rajasthan Patrika Hindi daily newspaper. From July 1, 2017 to January 31, 2019, worked in Patrika Dotcom Hindi Web portal, Lucknow. Worked as News Editor in Amrit Prabhat from 1 February 2019 till 31 January 2021. During my career I got opportunity to work at General Desk, Sports, City Desk and have vast experience of journalism business. Whatever responsibilities were given, I accepted it with a challenge and performed it well. My Qualifications : - ‌MA Political Science from Gorakhpur University, Gorakhpur ‌PG Diploma in Mass Communication - Guru Jamveshwar University Hisar, Haryana My Interests: Reading, writing, playing, traveling. Interest in Media: Special interest in political news and also in the field of sports, crime, health etc.

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