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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मोदी सरकार का आडवाणी से अलग रुख,बुजुर्ग नेता ने की थी पैनल में CJI को रखने की मांग

Poll Panel Selection: केंद्र सरकार की ओर से यह विधेयक पेश किए जाने के बाद भाजपा के बुजुर्ग नेता और पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का एक पत्र भी काफी चर्चा में आ गया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 11 Aug 2023 8:57 PM IST
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मोदी सरकार का आडवाणी से अलग रुख,बुजुर्ग नेता ने की थी पैनल में CJI को रखने की मांग
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lal krishna Advani (Pic: Social Media)

Poll Panel Selection: केंद्र सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के पैनल में देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की जगह एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने की कवायद में जुट गई है। गुरुवार को राज्यसभा में सरकार की ओर से इस संबंध में एक विधेयक पेश किया गया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की ओर से पेश किए गए इस विधेयक के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन पीएम की अध्यक्षता वाला तीन सदस्यीय पैनल करेगा जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

केंद्र सरकार की ओर से यह विधेयक पेश किए जाने के बाद भाजपा के बुजुर्ग नेता और पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का एक पत्र भी काफी चर्चा में आ गया है। आडवाणी की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को लिखे गए इस पत्र में चुनाव आयुक्तों के नियुक्ति पैनल में देश के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने की मांग की गई थी। अब भाजपा ने अपने बुजुर्ग नेता के विचारों के विपरीत सीजेआई को नियुक्ति पैनल से बाहर रखने का विधेयक पेश किया है।

विधेयक पर विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से पेश किए गए विधेयक पर विपक्षी दलों ने तीखी आपत्ति जताई है। कांग्रेस और आप सहित अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार की मंशा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कमजोर करने की है। सरकार चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में अपने प्रभुत्व को कायम रखना चाहती है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि यह विधेयक विधायक चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने के प्रयास के सिवा कुछ नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि पीएम को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की जरूरत क्यों महसूस हो रही है? उन्होंने कहा कि संसद में कांग्रेस की ओर से इस विधेयक का तीखा विरोध किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नया विधेयक

दरअसल सुप्रीम कोर्ट मार्च में एक फैसले में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति की ओर से की जाएगी। जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया था।
फैसले में यह अभी कहा गया था कि यह मानदंड तब तक लागू रहेगा जब तक इस मुद्दे पर संसद की ओर से कोई कानून नहीं बनाया जाता। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केंद्र सरकार की ओर से नया विधेयक पेश किया गया है जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।

आडवाणी ने की थी CJI को शामिल करने की वकालत

इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का एक पत्र भी काफी चर्चाओं में है। इस पत्र से साफ होता है कि भाजपा ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में अपना रुख पहले से पूरी तरह बदल लिया है। मोदी सरकार की ओर से भले ही अब नियुक्ति पैनल से सीजेआई को बाहर रखने की वकालत की जा रही हो मगर पहले ऐसा नहीं था।
भाजपा के बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के संबंध में 2 जून 2012 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को एक चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम का गठन किया जाना चाहिए। इस पत्र में नियुक्ति पैनल में देश के मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल करने की मांग की गई थी।

भाजपा नेता ने उठाया था पक्षपात का मुद्दा

आडवाणी का कहना था कि मौजूदा प्रक्रिया में प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति की ओर से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाती है। ऐसे जरूरी फसलों को सत्ताधारी पार्टी के विशेषाधिकार के दायरे में रखने से हेराफेरी और पक्षपात की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। लोगों में भी चुनाव आयोग के प्रति विश्वास की भावना नहीं पैदा होती। इस कारण प्रक्रिया में बदलाव किया जाना चाहिए।
आडवाणी की ओर से भले ही चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के चयन पैनल में मुख्य न्यायाधीश को रखने की वकालत की गई हो मगर मोदी सरकार ने आडवाणी की इस मांग के विपरीत रुख अपनाया है। अब मोदी सरकार सीजेआई को नियुक्ति पैनल से बाहर कर रखने के लिए विधेयक लेकर आई है। संसद की मंजूरी के बाद इस बाबत नया कानून बन जाएगा।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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