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Shraddha Murder Case: क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट? कैसे बच जाते हैं इससे शातिर अपराधी, आज आफताब का भी होगा ये टेस्ट
Shraddha Walker Murder Case : श्रद्धा के हत्या आरोपी आफ़ताब का आज पॉलीग्राफ टेस्ट होने वाला है। जानें कितना कारगर है ये टेस्ट? क्या इसकी रिपोर्ट है भरोसे के लायक? जानें यहां..
Shraddha Walker Murder Case: श्रद्धा वॉकर हत्याकांड में आरोपी आफताब अमीन पूनावाला (Aftab Amin Poonawalla) का आज गुरुवार (24 नवंबर) को पॉलीग्राफ टेस्ट होना है। दिल्ली पुलिस को उम्मीद है कि, पॉलीग्राफ टेस्ट से उसके हाथ कुछ सुराग हाथ लग सकते हैं। ताकि, जांच में जुटी टीम को नया एंगल मिल सके। ये परीक्षण रोहिणी की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी यानी FSL की जा सकती है। यह केस अब तक कई करवटें ले चुका है, जिसमें एक 'ड्रग एंगल' भी है।
आफताब के पॉलीग्राफी टेस्ट (Polygraphy Test) की इजाजत सोमवार को ही दिल्ली पुलिस को मिल गई थी। साकेत कोर्ट (Saket Court) में आफताब के पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए आवेदन दिया था। पुलिस का कहना था कि, श्रद्धा का लिव-इन पार्टनर और हत्या आरोपी आफ़ताब कबूलनामे के बाद सवालों के भ्रामक जवाब दे रहा है, जिसके बाद पॉलीग्राफी टेस्ट की जरूरत महसूस हुई। दिल्ली पुलिस आफताब अमीन पूनावाला का आज पॉलीग्राफ टेस्ट कराने जा रही है। आफ़ताब ने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वाकर की हत्या करने के बाद उसके शरीर के 35 टुकड़े किए थे। ये गुनाह उसने कबूला था।
क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट? (What is Polygraph Test?)
अब आपके मन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि पॉलीग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) होता क्या है? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, पॉलीग्राफ एक लाई डिटेक्टर डिवाइस (Lie Detector Device) है। इस डिवाइस को किसी टेस्ट होने वाले शख्स के शरीर पर लगाया जाता है। उसके बाद वह व्यक्ति एक ऑपरेटर द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देता है। यह शारीरिक घटनाओं जैसे ब्लड प्रेशर (Blood Pressure), पल्स रेट (Pulse Rate) और मानव विषय अर्थात जिस पर टेस्ट हो रहा है, उसकी सांस को भी रिकॉर्ड करता है। इन सभी डेटा का इस्तेमाल इस बात को निर्धारित करने में किया जाता है कि वह व्यक्ति झूठ तो नहीं बोल रहा।
कैसे किया जाता है पॉलीग्राफ टेस्ट? (How a Polygraph is Performed?)
विशेषज्ञ बताते हैं कि, जिस व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) होना होता है उसके शरीर में चार-छह सेंसर लगाए जाते हैं। जैसा कि आपको बताया कि, पॉलीग्राफ एक मशीन है। यह चलती कागज यानी 'ग्राफ' की एक पट्टी पर सेंसर से कई 'पॉली' संकेतों को रिकॉर्ड करती है। पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान शख्स से सवाल पूछे जाते हैं, जिसका जवाब देते वक़्त उस व्यक्ति की सांस लेने की दर यानी पल्स रेट, ब्लड प्रेशर और पसीना आदि को रिकॉर्ड किया जाता है। कभी-कभी विशेषज्ञ आरोपी के हाथ-पैर की हरकतों को भी रिकॉर्ड करते हैं।
क्या क्रिमिनल बच सकता है पॉलीग्राफ टेस्ट से?
अब एक अहम सवाल भी मन में उठना लाजमी है कि, क्या कोई अपराधी इस टेस्ट से बचकर निकल सकता है? कहने का मतलब क्या यह टेस्ट सौ फीसदी सही होता है? या इससे बचने की गुंजाइश अपराधी के पास होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि, हां। इस टेस्ट से अपराधियों के बचने की संभावना है। इतिहास में ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है जब शातिर अपराधी ने मशीनों को धोखा दिया। ऐसा करने वालों ने अपने हाव-भाव, दिल की धड़कन को कंट्रोल रखते हुए झूठ बोले। इसलिए हम कह सकते हैं कि पॉलीग्राफ टेस्ट सौ प्रतिशत सही परिणाम नहीं देती है। इसकी रिपोर्ट संदेह के घेरे में रही है।
मनोवैज्ञानिकों के बीच विवादास्पद है ये टेस्ट
उल्लेखनीय है कि, पॉलीग्राफ टेस्ट आज से नहीं हो रहा। इस विधि का प्रयोग वर्ष 1924 से पुलिस करती रही है। पुलिसिया पूछताछ और जांच में इस्तेमाल किया जाने वाला लाई डिटेक्टर टेस्ट अभी भी मनोवैज्ञानिकों के बीच विवादास्पद है। इसे हमेशा न्यायिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है।