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एक और अश्लील वीडियो ने पंजाब की राजनीति में खड़ा किया तूफान

raghvendra
Published on: 2 Feb 2018 9:53 AM GMT
एक और अश्लील वीडियो ने पंजाब की राजनीति में खड़ा किया तूफान
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दुर्गेश पार्थसारथी

चंडीगढ़: पंजाब में इन दिनों माननीयों के अश्लील वीडियो वायरल होने का सिलसिला चल पड़ा है। पिछले साल गुरदासपुर उपचुनाव के दौरान शिरोमणि अकाली दल के पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह का अश्लील वीडियो वायरल हुआ था। अब इसी तरह का एक वीडियो सिखों की मर्यादित 115 साल पुरानी संस्था चीफ खालसा दीवान अर्थात सीकेडी के अध्यक्ष चरणजीत सिंह चडढा का वायरल हुआ है। इसमें वे अपने ही संस्थान के अंतर्गत चलने वाले एक कॉलेज की महिला प्रिंसिल के साथ आलिंगन करते दिख रहे हैं। हालांकि यह वीडियो किसने और किस मकसद से वायरल किया यह तो साफ नहीं हो सका, लेकिन इन दोनों वीडियो ने सिख पंथ से जुड़े लोगों को आहत जरूर किया है। यही नहीं सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था श्री अकालतख्त साहिब के जत्थेदारों व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी अर्थात एसजीपीसी के अध्यक्ष ने इसका संज्ञान जरूर लिया।

इस वीडियो ने सिख धर्म से जुड़े लोगों को नहीं बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हिलाकर रख दिया। सीकेडी प्रधान चरणजीत सिंह चड्ढा का अश्लील वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद कांग्रेस नेता व सचिव मंदीप सिंह मन्ना ने बिना समय गंवाए चड्ढा को सिख पंथ से निष्कासित करने व सजा दिलवाने तक की बात कह दी। वहीं 115 साल पुरानी संस्था के पदाधिकारियों ने बैठक कर चड्ढा को पद से हटाकर उनकी जगह संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धनराज सिंह को संस्था का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

उधर, पीडि़ता ने भी सीकेडी प्रधान चड्ढा व उनके बेटे के खिलाफ यौन शोषण करने व जान से मारने की धमकी देने की शिकायत डीजीपी व अमृतसर के पुलिस कमिश्नर से की। इस मामले में फंसे सीकेडी के पूर्व प्रधान चड्ढा ने अपनी सफाई में बस इतना ही कहा कि उन्हें राजनीतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है। जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें वह नहीं हैं, बल्कि इसे टेंपर किया गया है।

धार्मिक संस्था के कारण चुप रही

महिला का कहना है कि वह चीफ खालसा दीवान के स्कूल में ही पढ़ी है और यही नौकरी कर रही है। संस्थान के अध्यक्ष का व्यवहार उसके प्रति पहले अच्छा था मगर इसके पीछे छिपे मंसूबे से अनजान थी। स्कूल में होने वाले बड़े कार्यक्रमों की सारी जिम्मेदारी उसी को सौंप दी जाती थी। यहां तक संस्था के प्रधान कार्यक्रमों में खर्च होने वाले पैसे भी उसके खाते मे जमा करवा देते थे। महिला ने कहा कि जब उसे चड्ढा का चरित्र का पता चला तो उसने इसका विरोध किया, लेकिन चड्ढा अपनी राजनीतिक पहुंच की धौंस व केस में फंसाने की धमकी देकर उसके साथ अनैतिक संबंध बनाता रहा। महिला के मुताबिक वह धार्मिक संस्था का सम्मान करती है। इसलिए वह अब तक चुप रही।

पिता पर लगा आरोप, बेटे ने की खुदकशी

सीकेडी सहित सिख धर्म के कई धार्मिक संगठनों के प्रधान रहे चरणजीत सिंह चड्ढा और उनके बेटे इंद्रप्रीत सिंह चड्ढा पर यौनशोषण व जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगने व एसआईटी का गठन होने से आहत इंद्रपीत सिंह चड्ढा ने खुद की लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि चड्ढा परिवार धार्मिक संस्थाओं से जुड़ा होने के साथ-साथ बिजनेसमैन भी है। इनका होटल का कारोबार अमृतसर व चंडीगढ़ सहित पंजाब के कई शहरों में फैला हुआ है। अपने होटल के ऑफिस में बैठकर लिखे कई पन्नों के सुसाइड नोट में इंद्रप्रीत सिंह ने महिला सहित कांग्रेस एक बड़े नेता व कई अमृतसर के कई बड़े कारोबारियों पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया। पांच पन्नों के इस सुसाइड नोट में उसने अन्य लोगों के साथ-साथ कई पुलिसकर्मियों का नाम भी लिखा है। हालांकि पुलिस कमिश्नर ने इन नामों का खुलासा करने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सुसाइड नोट काफी लंबा है।

पुलिस ने 11 के खिलाफ दर्ज किया मामला

इंद्रप्रीत सिंह की आत्महत्या के बाद पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर महिला सहित 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच कर शुरू कर दी है। इस मामले में पुलिस कई लोगों से पूछताछ भी कर रही है। उधर दूसरी तरफ इंद्रप्रीत सिंह को जानने वालों का कहना है कि इंद्रप्रीत धार्मिक विचारों का होने के साथ-साथ एक जिंदादिल इंसान भी था। वह आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकता। वह चंडीगढ़ में कई अनाथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व उनके खानेपीने का खर्च खुद वहन करता था। यहां तक कि गरीब मरीजों के उपचार का खर्च वह खुद उठाता था। इंद्रप्रीत के अंतिम संस्कार में पहुंचे लोगों का कहना है जिस व्यक्ति ने कई किताबें लिखी हो और कई धार्मिक संस्थाओं से जुड़ा हुआ हो वह इस तरह का काम नहीं कर सकता। इंद्रप्रीत की हत्या की गई है। इस मामले की भी जांच होनी चाहिए। फिलहाल पुलिस आत्महत्या या हत्या दोनों ही एंगल पर जांच कर रही है। इस बारे में कानूनी राय लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

बेटे के मुताबिक महिला ने ब्लैकमेल किया

14 पेज के सुसाइड नोट में चड्ढा ने लिखा है कि वह पुलिस जांच में शामिल हुआ था। पूछताछ के दौरान वह एसआईटी के सामने पेश भी हुआ था, लेकिन वह अश्लील वीडियो के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता। इसकी जांच चल रही है। उसने लिखा है कि हर पिता अपने बच्चे की सहायता के लिए आगे आता है, उसी तरह हर बच्चे को अपने पिता के साथ खड़ा होना चाहिए। मैं भी अपने पिता के साथ अंत तक खड़ा रहा। हर कोई जानता है कि मेरे पिता ने कोई जबर्दस्ती नहीं की। जो भी हुआ सहमति से हुआ। वीडियोवाली महिला ने उसके पापा को फंसाया है। महिला ने पापा को ब्लैकमेल किया और उनके खाते से अपने पति के खाते में पांच लाख रुपये ट्रांसफर कराए। इसके साथ ही इंद्रप्रीत ने अपने सुसाइड नोट में एक कांग्रेस नेता पर पचास लाख रुपये मांगने का भी आरोप लगाया है। पुलिस इन सभी मामलों को ध्यान में रखकर इसकी निष्पक्ष जांच करे।

चड्ढा के धार्मिक मंच से बोलने पर पाबंदी

सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था श्री अकालतख्त साहिब पर भी पिछले दिनों चरणजीत सिंह चड्ढा के मामले को सिंह साहिबानों की बैठक में उठाया गया। पांच सिंह साहिबानों की बैठक में जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने चड्ढा पर किसी भी धार्मिक मंच से बोलने की पाबंदी लगाते हुए उनके आचरण को छह माह तक परखने को कहा है। ज्ञानी गुरबचन सिंह के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कुछ सिख संगठनों का कहना है कि चड्ढा के मामले में भी सुच्चा सिंह लंगाह की तरह ही कठोर धार्मिक सजा सुनाई जानी चाहिए क्योंकि दोनों के ही आचरण से दुनियाभर के सिख शर्मसार हुए हैं।

संगठनों ने ने इस मामले में जत्थेदार पर दोहरा मानदंड अपनाने का भी आरोप लगाया। चरणजीत सिंह चड्ढा के अश्लील वीडियो का मामला फिलहाल अदालत में लंबित है। इस समय चरणजीत सिंह चड्ढा जमानत पर हैं और पुलिस चरणजीत सिंह चड्ढा तथा उनके बेटे के सुसाइड के मामलों की जांच कर रही है।

क्या है चीफ खालसा दीवान

चूंकि मामला चीफ खालासा दीवान के अध्यक्ष के अश्लील वीडियो के वायरल होने का है तो यह भी जानना जरूरी हो जाता है कि चीफ खालसा दीवान क्या है। यह सिखों की 115 वर्ष पुरानी संस्था है। इसकी स्थापना 1902 में की गई थी। चीफ खालसा दीवान सिंह सभा गुरुद्वारा लहर अभियान के दौरान संघर्षशील सिखों ने बनाई थी। कई सिंह सभाओं के सदस्यों ने इकठा होकर इसकी नींव रखी थी। इसी संस्था से एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल का जन्म हुआ था। चीफ खालसा दीवान के नेतृत्व में ही सिखों की आवाज उठाने वाले नेताओं ने एसजीपीसी और कालीदल की आधारशिला रखी थी। दीवान ने गुरुद्वारा सुधार लहर में भी भूमिका निभाई। चीफ खालसा दीवान के इस समय देश-विदेश में कुल 518 सदस्य हैं।

इस संस्था के तहत 46 स्कूल, चार कॉलेज, एक नर्सिंग कॉलेज, एक सिविल सर्विस ट्रेनिंग कॉलेज, दो आईटी कॉलेज, दो अस्पताल, एक अनाथ आश्रम व दो वृद्धाश्रम हैं। इस संस्था के पहले अध्यक्ष भाई अर्जुन सिंह बागडिय़ा थे जो 1902 से 1919 तक रहे। अपनी ही संस्था की महिला प्रिंसिपल के साथ अश्लील वीडियो मामले में फंसे चरणजीत सिंह चड्ढा 10वें अध्यक्ष थे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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