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PM मोदी के दावोस भाषण पर अर्थशास्त्रियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावोस में हिन्दी में जोरदार तरीके से दुनिया के सामने अपनी बातें रखीं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत नमस्कार से की। उन्होंने मौजूदा समय में दुनिया के सामने मौजूद तीन बड़ी चुनौतियों का
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावोस में हिन्दी में जोरदार तरीके से दुनिया के सामने अपनी बातें रखीं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत नमस्कार से की। उन्होंने मौजूदा समय में दुनिया के सामने मौजूद तीन बड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी दूरियों ने इन चुनौतियों को और कठिन बना दिया है।
उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से सावधान रहना होगा और इनका मुकाबला मिलकर ही किया जा सकता है। मोदी ने कहा कि हम सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचते बल्कि हमारे देश में शुरू से ही पूरी दुनिया को ही परिवार मानने की बात की गयी है।प्रस्तुत है प्रधानमंत्री के दावोस भाषण पर लोगों से बातचीत के अंश-
डॉ अशोक कुमार कैथल
डॉ अशोक कुमार कैथल : डॉ अशोक कुमार कैथल लखनऊ यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ इकोनामिक्स के प्रोफेसर हैं। उनका मानना है कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में कई क्षेत्रों को कवर करने की सफल कोशिश की है। सारी चीजों को समाहित कर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मंच से सबको एक मजबूत संदेश दिया कि भारतवर्ष एक प्रगतिशील अर्थव्यवस्था है। उन्होंने ये बताकर कि भारत हर क्षेत्र में सक्रिय है, निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित करने का बेहतरीन प्रयास किया है।
वैश्विक स्तर पर एक बात सामने आ रही है कि सार्क देशों की जो क्षेत्रीय विषमता आज के परिप्रेक्ष्य में मौजूद है और जिस तरह से चीन के बढते हस्तक्षेप को भी अपने भाषण में शामिल कर लेते तो ये एक बेहतरीन राजनैतिक और आर्थिक रूप से सशक्त भाषण होता। हालांकि ये एक प्रभावशाली भाषण रहा।
आशीष त्रिपाठी
आशीष त्रिपाठी: आशीष त्रिपाठी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में टैक्सेशन एक्सपर्ट हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने काफी प्रभावशाली भाषण दिया। उन्होंने वैश्विक मंच से भारत का इकोनामिक विजन पेश किया है।प्रधानमंत्री ने न्यू इंडिया की तस्वीर जिस तरह से दुनिया के सामने रखी, वो सराहनीय है।
आर्थिक सुरक्षा के साथ साथ आतंकवाद के खात्मे की बात करना उनके सामरिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और आत्मकेंद्रण जैसी तीन चुनौतियों को गिनाना उनके क्लीयर विजन को दिखाता है।निश्चित रूप से यह एक प्रभावशाली भाषण रहा है।