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Power Crisis: बिजली खरीदने-बेचने से 13 राज्यों को किया गया प्रतिबंधित, नए प्रावधान की पहली कार्रवाई

Power Crisis: 19 अगस्त की बिजली वितरण तिथि से अगली सूचना तक खरीद-बिक्री का लेनदेन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इनमें 13 राज्यों की 27 बिजली वितरण कंपनियां शामिल की गई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 19 Aug 2022 4:27 PM IST
power crisis in up yogi government has not tender to buy foreign coal
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यूपी में बिजली संकट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Power Crisis: केंद्रीय बिजली मंत्रालय (Union Ministry of Power) के अधीन पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन (Power System Operation Corporation) ने बिजली उत्पादकों को 5,085 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाने के लिए 13 राज्यों को स्पॉट मार्केट (Stock Market) से बिजली खरीदने या बेचने पर रोक लगा दी है।

19 अगस्त की बिजली वितरण तिथि से अगली सूचना तक लेनदेन पूरी तरह से प्रतिबंधित

यह पहली बार है जब पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन" (Power System Operation Corporation) ने बिजली (देर से भुगतान अधिभार और संबंधित मामले) नियम, 2022 को राज्यों के डिस्कॉम पर लागू किया है। पोसोको ने पहली बार इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (Indian Energy Exchange), पावर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड (Power Exchange India Limited) और हिंदुस्तान पावर एक्सचेंज (Hindustan Power Exchange) को लिखे पत्र में कहा है कि बिजली बाजार के सभी उत्पादों में डिस्कॉम के लिए 19 अगस्त की बिजली वितरण तिथि से अगली सूचना तक खरीद-बिक्री का लेनदेन पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

इन राज्यों की 27 बिजली वितरण कंपनियों पर लगाई रोक

इस आदेश के खिलाफ तेलंगाना जैसे राज्य अदालत में चुनौती देंगे, जबकि कुछ राज्य बकाया का भुगतान करने के लिए काम कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि आंध्र प्रदेश पहले ही 12 किस्तों में भुगतान की योजना की घोषणा कर चुका है। जिन 13 राज्यों की 27 बिजली वितरण कंपनियों पर रोक लगाई गई है वे हैं - झारखंड, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिज़ोरम, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक।

हर महीने की देरी के लिए 0.5 प्रतिशत की होती वृद्धि

बिजली नियम 2022 (Electricity Rules 2022) जिसे इस जून में अधिसूचित किया गया था, डिस्कॉम को भुगतान की देय तिथि के बाद बकाया राशि पर देर से भुगतान अधिभार (LPS) का भुगतान करने के लिए बाध्य करता है। इस एक्ट के अनुसार, लेट पेमेंट सरचार्ज की दर में हर महीने की देरी के लिए 0.5 प्रतिशत की वृद्धि होती, बशर्ते लेट पेमेंट सरचार्ज किसी भी समय आधार दर से 3 प्रतिशत से अधिक न हो। किसी भी तरह की देरी से हाजिर बाजार से अल्पकालिक बिजली खरीदने पर पूर्ण प्रतिबंध और उसके बाद मध्यम अवधि और लंबी अवधि की बिजली आपूर्ति के नियमन सहित दंड के प्रावधान लागू होंगे।

विधेयक के प्रावधानों को लागू किया जा रहा है: विशेषग्यों

हालांकि बिजली विशेषज्ञों ने एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को एकतरफा बताया है। विशेषग्यों का कहना है कि उस विधेयक के प्रावधानों को लागू किया जा रहा है, जिसे लोकसभा में पारित नहीं किया गया है और उसे फिलहाल स्थायी समिति को भेजा गया है। राज्य सरकारों पर सब्सिडी के कारण 76,000 करोड़ रुपये और सरकारी विभागों के 67,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। यदि यह 1,43,000 करोड़ रुपये संबंधित राज्य सरकारों द्वारा डिस्कॉम को भुगतान किया जाता है, तो डिस्कॉम बिजली बनाने वाली कंपनियों का भुगतान कर पाएंगी।



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Deepak Kumar

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