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विवादों के बीच जस्टिस खन्ना, माहेश्वरी की नियुक्ति पर राष्ट्रपति की मुहर
19 नवंबर को कॉलेजियम ने राजस्थान और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंद्राजोग और राजेंद्र मेनन को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश का फैसला लिया। लेकिन 5-6 जनवरी को इन दोनों के नाम के स्थान पर कॉलेजियम ने दिनेश माहेश्वरी (कर्नाटक हाईकोर्ट) और संजीव खन्ना (दिल्ली हाईकोर्ट) के नाम की सिफारिश कर दी। इसके बाद बवाल खड़ा हो गया।
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।
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आपको बता दें, 19 नवंबर को कॉलेजियम ने राजस्थान और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंद्राजोग और राजेंद्र मेनन को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश का फैसला लिया। लेकिन 5-6 जनवरी को इन दोनों के नाम के स्थान पर कॉलेजियम ने दिनेश माहेश्वरी (कर्नाटक हाईकोर्ट) और संजीव खन्ना (दिल्ली हाईकोर्ट) के नाम की सिफारिश कर दी। इसके बाद बवाल खड़ा हो गया।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय कॉलेजियम के इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट के कई जज नाराज हैं। उन्हें लगता है कि इस निर्णय में व्यक्तिगत पसंद हावी है।
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राष्ट्रपति के पास भी पहुंचा खत
कॉलेजियम के निर्णय के खिलाफ पूर्व जस्टिस कैलाश गंभीर ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिख 32 वरिष्ठ जजों की अनदेखी कर जस्टिस महेश्वरी और खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश को गलत बताया।