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President Droupadi Murmu: भारत के सशक्त लोकतंत्र की परिचायक हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

President Droupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने प्रथम संबोधन में कहा कि हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं उनकी पूर्ति के लिए अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।

Mrityunjay Dixit
Published on: 26 July 2022 8:41 PM IST
New President Draupadi Murmu
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New India President Draupadi Murmu (Image: Newstrack)

President Droupadi Murmu: महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी के शपथ ग्रहण के साथ ही भारत के राष्ट्रपति पद के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया । भारत का सम्पूर्ण गरीब व जनजातीय समाज आनंद विभोर है तथा 1.3 लाख गांवों में उत्सव का वातावरण है। उल्लास का यह वातावरण उसी दिन से है जब से द्रौपदी मुर्मू जी का राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में चयन किया गया। यह उल्लास व उमंग हो भी क्यों न क्योंकि जन मानस में यह विश्वास पनपा है कि नए भारत में देश के किसी भी कोने में बैठा एक सामान्य गरीब व्यक्ति भी सपने देख सकता है व उन्हें पूरा कर सकता है। आज सम्पूर्ण भारत आनंदित व प्रफुल्लित हो रहा है क्योंकि उसका अपने लोकतंत्र पर विश्वास दृढ़ हुआ है।

भारत की नवनियुक्त राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने जिस प्रकार से अपना संबोधन किया है उसमें भविष्य की राजनीति के संकेत छिपे हुए हैं तथा यह भी संदेश गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार आने वाले समय में देश के गरीबों के कल्याण के कई बड़े व ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। यह महज एक संयोग ही है कि जब देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की विदाई हो रही थी और द्रौपदी जी का राष्ट्रपति पद पर चयन हो रहा था उस समय नई दिल्ली में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों का सम्मेलन भी हो रहा था जिसमें गरीब कल्याण योजनाओं की समीक्षा भी की गयी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक बड़ा संदेश भी दिया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने अपने प्रथम संबोधन में कहा कि हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं उनकी पूर्ति के लिए अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियां पर आगे बढे़गा सबका प्रयास और सबका कर्तव्य। राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने अपनी जीवन यात्रा ओड़िशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से प्रारंभ की थी । मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं वहां मेरे लिए प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कालेज जाने वाली गांव की पहली बेटी बनी। मैं जनजातीय समाज से हूं और वार्ड कौंसिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मर्मू जी ने सबसे बड़ी बात यह कही कि भारत में गरीब सपने देख सकता है,मेरा चुना जाना इसका सबूत है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि,"यह मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है अपितु भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।" उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान की सरहाना करते हुए कहा कि संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को सशक्त किया था। सामाजिक उत्थान एवं देश प्रेम के लिए "धरती आबा" बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी । उन्होंने कहा कि मेरा जन्म तो उस जनजातीय परम्परा में हुआ है जिसने हजारों वर्षो से प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कोरोना वैक्सीन पर भारत की उपलब्धियों की चर्चा की और देश के युवाओं से कहा कि आप न केवल अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं बल्कि भविष्य के भारत की नींव रख रहे हैं। मेरा आपको हमेशा सहयोग रहेगा। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेनम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं की राष्ट्रीय रक्षा और राष्ट्र निर्माण में भूमिका की चर्चा की । उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि हमारी सभी बहनें व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हरक्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें। उन्होंने डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का भी अपने सम्बोधन में उल्लेख किया है जिससे यह साफ संकेत जा रहा है कि आगामी दिनों में देश की गरीब से गरीब जनता के विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से डिजिटल माध्यम का उपयोग करते हुए कई बड़े कदम उठाये जायेंगे।

द्रौपदी जी का जीवन बहुत ही सादा व उच्च विचारों वाला तथा अनुशासित रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी की सनातन धर्म में गहरी आस्था है, वे शिव की अनन्य उपासक हैं । खानपान में शुद्ध शाकाहारी हैं और भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग भी नहीं करती हैं । उनका जीवन आधुनिक व्यसनों से पूरी तरह से मुक्त है। वह स्मार्ट फोन का उपयोग बहुत कम ही करती हैं और टीवी भी कम ही देखती हैं। राष्ट्रपति जी की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई और स्नातक की पढ़ाई भुवनेश्वर में संपन्न हई। अपने पति व दो बेटों को खोने के बाद वह अपने मानसिक संबल के लिए ब्रहमकुमारीज संस्था से जुड़ी । ध्यान का अनुसरण किया तो दुख धीरे- धीरे जाता रहा। उन्होंने पहाड़पुर में अपने पति व दो बेटों की समाधि बनाई हैं। साथ में एक बड़ा विद्यालय बनाया है जहाँ निशुल्क शिक्षा कि व्यवस्था है । इस प्रकार उनका जीवन किसी तपस्वी के जीवन से कम नहीं है और ऐसी महान विभूति का राष्ट्रपति भवन में होना भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रसार का हेतु बनेगा यह स्वाभाविक है ।



Rakesh Mishra

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