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President Election 2022: राजनाथ और नड्डा बने गेम चेंजर, सौंपी गई बड़ी जिम्मेदारी
President Election 2022: चुनाव आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्षी खेमे ने सक्रियता बढ़ा दी है।
President Election 2022 : चुनाव आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्षी खेमे ने सक्रियता बढ़ा दी है। भारतीय जनता पार्टी भी नए राष्ट्रपति को लेकर रणनीति बनाने में जुट गई है। इस मुद्दे पर एनडीए और यूपीए के सभी दलों से बातचीत करने की जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से विपक्षी नेताओं की 15 जून को बैठक बुलाए जाने के बाद भाजपा ने यह बड़ा कदम उठाया है। दरअसल भाजपा इस मुद्दे पर सभी दलों की राय जानना चाहती है। पार्टी की ओर से जारी बयान के मुताबिक नड्डा और राजनाथ से जल्द ही इस मुद्दे पर सभी दलों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
एनडीए और यूपीए के दलों से होगी चर्चा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी प्रेस बयान के मुताबिक पार्टी की ओर से नड्डा और राजनाथ को सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करने और राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में उनकी राय जानने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस बाबत सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के साथ ही यूपीए में शामिल दलों के साथ भी चर्चा करेगी। इसके साथ ही निर्दलीय सांसदों का विचार जानने का प्रयास भी किया जाएगा। पार्टी इस मामले में विपक्ष को हमला करने का कोई मौका नहीं देना चाहती।
सर्वसम्मत उम्मीदवार आसान काम नहीं
सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा की ओर से सर्वसम्मत उम्मीदवार तय करने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि यह आसान काम नहीं है। हाल के दिनों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी का माहौल दिखता रहा है। राज्यसभा चुनाव ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी को और बढ़ा दिया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की ओर से पहले ही विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई जा चुकी है। हांलाकि इस बैठक को लेकर भी विपक्षी दलों में खींचतान तेज हो गई है। माकपा नेता सीताराम येचुरी व भाकपा नेता डी राजा ने ममता की ओर से उठाए गए इस कदम को एकतरफा बताया है। ऐसे में विपक्षी दलों के बीच ही एकजुटता नहीं दिख रही है।
क्या है राष्ट्रपति चुनाव का गणित
चुनाव आयोग की ओर से घोषित कार्यक्रम के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा। मौजूदा समय में एनडीए के पास करीब 49 फ़ीसदी मत है। ऐसी स्थिति में अभी भी पार्टी को दूसरे क्षेत्रीय दलों के मदद की दरकार है। हालांकि इस मोर्चे पर एनडीए को बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस से पूरी मदद मिलने की संभावना है।
इन दोनों क्षेत्रीय दलों की मदद से एनडीए आसानी से अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार जिताने में कामयाब हो सकता है। वैसे भाजपा इस मुद्दे को लेकर विपक्ष को हमला करने का मौका नहीं देना चाहती और इसीलिए पार्टी की ओर से विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं नड्डा और राजनाथ को सौंपी गई है और दोनों वरिष्ठ नेता जल्दी ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू करेंगे।