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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बोले- राज करने के लिए बहुमत नहीं, सर्वमत चाहिए
मुंबई: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की सरकारों के बारे में कहा, कि 'राज करने के लिए बहुमत नहीं, सर्वमत चाहिए।' उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा, 'मैंने कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। उनसे कई चीजें सीखीं हैं। लेकिन वर्तमान प्रधानमंत्री के काम करने का अपना तरीका है। मैं उनकी कड़ी मेहनत की सराहना करता हूं।' ये बातें राष्ट्रपति ने शुक्रवार (17 मार्च) को एक खबरिया चैनल के कार्यक्रम में कही।
प्रधानमंत्रियों पर आगे बोलते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया। उन्होंने कहा, कि अटल जी अकेले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनकी काम करने की शैली पूरी तरह अलग थी। वाजपेयी अपने साथ काम करने वालों की कद्र करना जानते थे।
पंडित नेहरू ने सांसद को जीवन बनाया
प्रणब मुखर्जी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की भी सराहना की। कहा, 'उन्होंने मंत्रियों को काम करने की छूट दी थी।' इस दौरान राष्ट्रपति ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि 'मेरी जिंदगी पर सबसे बड़ा प्रभाव पंडित नेहरू का था। पंडित नेहरू ने संसद को जीवंत बनाया।'
इंदिरा थीं सबसे प्रभावशाली पीएम
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा, व्यक्ति पूजा ने हतोत्साहित किया। प्रणब मुखर्जी ने सरदार पटेल के बारे में कहा, उन्होंने देश को जोड़ने का काम किया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए कहा, 'इंदिरा गांधी एक बहुत मजबूत नेता और सबसे प्रभावशाली प्रधानमंत्री थीं। उनकी राजनीति का चरम बांग्लादेश की आजादी था।'
संसद में दो साल और काम करना चाहता था
गौरतलब है कि जिस वक्त प्रणब मुखर्जी को देश का राष्ट्रपति बनाया गया उस समय वो मनमोहन सिंह सरकार में रक्षा मंत्री थे। संबोधन में इस पर भी बोलते हुए उन्होंने कहा, कि वह संसद में दो साल और काम करना चाहते थे। लेकिन संवैधानिक दायित्व ने ऐसा नहीं होने दिया। कई जिम्मेदारियां थीं जिन्हें मैं पूरा करना चाहता था।'