×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

राष्ट्रपति ने किया देश को संबोधित, कहा- कमजोरों पर हमले हमारा चरित्र नहीं

aman
By aman
Published on: 14 Aug 2016 7:13 PM IST
राष्ट्रपति ने किया देश को संबोधित, कहा- कमजोरों पर हमले हमारा चरित्र नहीं
X

नई दिल्ली : स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन ने राष्ट्रपति ने कहा, हम 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस अवसर पर मैं उन नायकों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने आजादी के लिए बलिदान दिया। ये पांचवां अवसर है जब मैं राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्र को संबोधित कर रहा हूं।

हमारा भाईचारा मजबूत हुआ है

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा, हमारा लोकतंत्र न्याय, स्वतंत्रता, समानता के स्तंभ पर टिका है। हमारा भाईचारा मजबूत हुआ है।राष्ट्रपति ने कहा, हमारा संविधान न केवल एक राजनीतिक और विधिक दस्तावेज है, बल्कि एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक करार भी है। मेरे विशिष्ट पूर्ववर्ती डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पचास वर्ष पहले स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कहा था- 'हमने एक लोकतांत्रिक संविधान अपनाया है। यह मानककृत विचारशीलता और कार्य के बढ़ते दबावों के समक्ष हमारी वैयक्तिता को बनाए रखने में सहायता करेगा।

कोई समूह स्वयं विधि प्रदाता नहीं बन सकता

लोकतांत्रिक सभाएं सामाजिक तनाव को मुक्त करने वाले साधन के रूप में कार्य करती हैं। एक प्रभावी लोकतंत्र में, इसके सदस्यों को विधि और विधिक शक्ति को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कोई व्यक्ति, कोई समूह स्वयं विधि प्रदाता नहीं बन सकता।

राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के लिए हो रहा है काम

सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के लिए साथ काम कर रही हैं। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा हम महिलाओं और बच्चों को जो सुरक्षा मुहैया कराते हैं उसी में राज्य और समाज की बेहतरी है। यदि हम महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने में सफल नहीं होते तो हम खुद को सभ्य समाज नहीं कह सकते हैं।

कमजोरों पर हमले हमारा चरित्र नहीं

कमजोरों पर हमले किए जा रहे हैं। ये हमारे राष्ट्रीय चरित्र से मेल नहीं खाते। इसके खिलाफ सख्ती से निपटने की जरूरत है। महिलाओं और बच्चों को दी गई सुरक्षा और हिफाजत देश और समाज की खुशहाली सुनिश्चित करती है। एक महिला या बच्चे के प्रति हिंसा की प्रत्येक घटना सभ्यता की आत्मा पर घाव कर देती है। यदि हम इस कर्तव्य में विफल रहते हैं तो हम एक सभ्य समाज नहीं कहला सकते।

आस्थाओं के प्रति हो सम्मान

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक-दूसरे की संस्कृतियों, मूल्यों और आस्थाओं के प्रति सम्मान एक ऐसी अनूठी विशेषता है, जिसने भारत को एक सूत्र में बांध रखा है। बहुलवाद का मूल तत्व हमारी विविधता को सहेजने और अनेकता को महत्व देने में निहित है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आपस में जुड़े हुए वर्तमान माहौल में, एक देखभालपूर्ण समाज धर्म और आधुनिक विज्ञान के समन्वय द्वारा विकसित किया जा सकता है।

वभिन्न प्रकार के पंथों के बीच सहभावना आवश्यक

राष्ट्रपति के अपने संबोधन में कहा, 'स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था- 'वभिन्न प्रकार के पंथों के बीच सहभावना आवश्यक है। यह देखना होगा कि वे साथ खड़े हों या एक साथ गिरें। एक ऐसी सहभावना जो परस्पर सम्मान न कि अपमान, सद्भावना की अल्प अभिव्यक्ति को बनाए रखने से पैदा हो।'

हमें पुराने से नए की ओर जाना है

राष्ट्रपति ने कहा, 'यह सच है, जैसा कि 69 साल पहले आज ही के दिन पंडित नेहरू ने एक प्रसिद्ध भाषण में कहा था कि एक राष्ट्र के इतिहास में ऐसे क्षण आते हैं, जब हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाते हैं, जब एक राष्ट्र की आत्मा को अभिव्यक्ति प्राप्त होती है। परंतु यह अनुभव करना आवश्यक है कि ऐसे क्षण अनायास ही भाग्य की वजह से न आएं। एक राष्ट्र ऐसे क्षण पैदा कर सकता है और पैदा करने के प्रयास करने चाहिए।

भाग्य को अपनी मुट्ठी में करना होगा

हमें अपने सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए भाग्य को अपनी मुट्ठी में करना होगा। सशक्त राजनीतिक इच्छाशक्ति के द्वारा, हमें एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना होगा, जो साठ करोड़ युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाए, एक डिजिटल भारत, एक स्टार्ट-अप भारत और एक कुशल भारत का निर्माण करे।'

हमें अव्यवस्थित कार्य को अस्वीकार करना होगा

राष्ट्रपति ने कहा, 'हम सैकड़ों स्मार्ट शहरों, नगरों और गांवों वाले भारत का निर्माण कर रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ऐसे मानवीय, हाईटेक और खुशहाल स्थान बनें जो प्रौद्योगिकी प्रेरित हों, परंतु साथ ही सहृदय समाज के रूप में भी निर्मित हों। हमें अपनी विचारशीलता के वैज्ञानिक तरीके से मेल न खाने वाले सिद्धांतों पर प्रश्न करके एक वैज्ञानिक प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देना चाहिए। हमें यथास्थिति को चुनौती देना और अक्षमता और अव्यवस्थित कार्य को अस्वीकार करना सीखना होगा।'



\
aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story