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नोटबंदी का समर्थन कर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आ विपक्ष के निशाने पर
नई दिल्ली : संसद के दोनों सदनों में व्याप्त गतिरोध के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लेने के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण पर कांग्रेस व बाकी विपक्षी दल बुरी तरह भड़के हुए हैं। राष्ट्रपति पद की गरिमा को देखते हुए किसी भी जिम्मेदार विपक्षी नेता ने सार्वजनिक तौर पर राष्ट्रपति की आलोचना से परहेज किया है, लेकिन कई वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि राष्ट्रपति नोटबंदी पर मोदी सरकार का समर्थन करके गंभीर विवादों में घिर सकते हैं।
विपक्षी नेता राष्ट्रपति के बयान की आलोचना करते हुए कहते हैं कि नोट बंदी के बाद देश में गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। लाखों लोगों को रोजगार छिन गया है। लोग अपनी कमाई का पैसा बैंक से निकालने के लिए दर दर भटक रहे हैं। एटीएम खाली हैं तथा बैंकों में नकदी न होने से लोग घंटो इंतजारी में निराश होकर खाली हाथ लौट रहे हैं। किसान संकट में तथा शहर से लेकर गांवों में बैंकिग नाम की पूरी व्यवस्था है लेकिन राष्ट्रपति को यह सब नहीं दिखता। उन्हें बिना सोचे समझे नोट बंदी थोपने में गलत के बजाय बहुत अच्छा दिखता है तो इससे लगता है कि आम जनता के दर्द से उनका सरोकार खत्म हो चुका है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हो सकता है मुखर्जी ऐसा रुख अपनाकर दोबारा राष्ट्रपति बनने की राह आसान बना रहे हों। 2017 जुलाई में नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है। यूपी पंजाब समेत 5 प्रदेशों में मार्च माह तक चुनावी प्रकिया समापन होने के साथ ही राष्ट्रपति चुनावों की सरगर्मी चालू हो जाएगी।
पिछले कई मौकों पर प्रणब मुखर्जी ऐसे बयान दे चुके हैं जिससे लगता है कि वे पीएम नरेंद्र मोदी और संघ परिवार को खुश रखना चाहते हैं।