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गरीबी में गुजरा राष्ट्रपति रामनाथ का बचपन, झोपड़पट्टी में बिताई आधी जिंदगी
देश के 14वें राष्ट्रपति बनने जा रहे कानपुर के रामनाथ कोविंद का बचपन गरीबी में बीता था। हालात कुछ ऐसे थे कि वो हर रोज सुबह करीब 6 से 8 किलोमीटर दूर स्कूल तक का सफ़र पैदल तय करते थे।
नई दिल्ली: देश के 14वें राष्ट्रपति बनने जा रहे कानपुर के रामनाथ कोविंद का बचपन गरीबी में बीता था। हालात कुछ ऐसे थे कि वो हर रोज सुबह करीब 6 से 8 किलोमीटर दूर स्कूल तक का सफ़र पैदल तय करते थे।
झोपडी में बीता बचपन
- रामनाथ के बचपन के दोस्त जसवंत ने बताया कि घास-फूस की झोपड़ी में उनका पूरा परिवार रहता था।
- जब कोविंद की उम्र 5-6 वर्ष की थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी।
- मां का साया छिनने के बाद उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया।
- गांव में अभी भी दो कमरे का घर है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक काम के लिए होता है।
- ग्रामीणों ने बताया कि कोविंद 13 साल की उम्र में 13 किमी चलकर कानपुर पढ़ने जाते थे।
रामनाथ कोविंद के बड़े भाई प्यारेलाल अपने बेटे पंकज के साथ झींझक में रहते हैं। पंकज की कपड़े की दुकान है। दूसरे भाई मोहनलाल के बेटे सुरेश की भी झींझक में कपड़े की दुकान है। इतनी बड़ी हस्ती के सगे संबंधी होने के बावजूद दोनों सादगी से जीवन यापन कर रहे हैं।
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